ऑस्ट्रेलिया में चल रहे बिग बैश लीग में वेस्टइंडीज के ऑलराउंडर आंद्रे रसेल ने एक मैच में अपने बल्ले से सबको हैरान कर दिया। दरअसल उस मैच में रसेल एक अलग तरह के बल्ले के साथ बल्लेबाजी करने उतरे। उस बल्ले का रंग काला था। इसके बाद सोशल मीडिया पर रसेल के बल्ले को लेकर काफी तरह के कमेंट्स आने लगे। सबका यही कहना था कि क्या इस तरह के बल्ले का उपयोग करना जायज है? हालांकि आपको बता दें कि क्रिकेट इतिहास में ये पहला मौका नहीं है जब किसी खिलाड़ी के बल्ले को लेकर इतना विवाद हुआ हो। पहले भी कई बार इसको लेकर काफी विवाद हो चुका है। अब क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया जिन्होंने पहले इस बल्ले के उपयोग के लिए रसेल को इजाजत दे दी थी, उन्होंने इस पर बैन लगा दिया है। इस पर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि ' इस बल्ले से गेंद के कलर के ऊपर प्रभाव पड़ता है'। इस पूरे मामले पर मैच ऑफिशियल ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को दी गई अपनी रिपोर्ट मे कहा कि 'रसेल ने जिस काले बल्ले का उपयोग किया है उससे गेंद पर काले धब्बे पड़ गए'। ' जिसकी वजह से हमने रसेल को काले बल्ले से खेलने के लिए दी गई मंजूरी को वापस ले लिया है' इस फैसले के बाद रसेल को दोबारा से सामान्य बैट का प्रयोग करना पड़ा। किसी बल्ले को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। क्रिकेट इतिहास में बल्ले और विवादों का गहरा नाता रहा है। आइए आपको इतिहास में लिए चलते हैं और बताते हैं कुछ ऐसे ही बैट विवाद के बारे में। 5. 1771 का विशालकाय बल्ला क्रिकेट के इतिहास में ये पहला मौका था जब क्रिकेट बैट को लेकर इतना बड़ा विवाद हुआ। ये 1771 की बात है, जब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच शुरु नहीं हुए थे। ये विवाद इतना बढ़ गया था कि इसके बाद क्रिकेट के नियमों में बदलाव करके बल्ले की चौड़ाई की सीमा तय कर दी गई थी। ये विवाद 25 सितंबर 1771 को चेर्ट्सी और हैंब्लेटन के बीच खेले गए मैच के दौरान हुआ था। उस मैच में थामस व्हॉइट एक ऐसे बल्ले के साथ बल्लेबाजी करने के लिए उतरे जिसकी चौड़ाई बहुत ज्यादा थी। वो बल्ला इतना चौड़ा था कि सिर्फ बल्ले से पूरा स्टंप कवर हो जाता था। अगर उस मैच में व्हॉइट सिर्फ हर गेंद को रोकने की कोशिश करते तो कोई भी गेंदबाज उनको आउट नहीं कर पाता। हैंब्लेटन के खिलाड़ियों के पास इस बल्ले के विरोध के अलावा और कोई चारा नहीं था। टीम के तेज गेंदबाज थॉमस ब्रेट की अगुवाई में उन्होंने इसका जमकर विरोध किया। इसके बाद हैंब्लेटन के कप्तान और ऑल राउंडर रिचर्ड नाइरन और मुख्य तेज गेंदबाज और बल्लेबाज जॉन ने एक छोटा सा पेटीशन साइन किया। इसके तहत क्रिकेट के नियमों में थोड़ा बदलाव किया गया और बल्ले की चौड़ाई कम कर दी गई। हालांकि उस मैच में चेर्ट्सी की टीम हैंब्लेटन के 218 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए महज 1 रन से मैच हार गई। 4. डेनिस लिली का एल्यूमीनियम बैट 15 दिसंबर 1979 को ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज डेनिस लिली एल्युमीनियम की बैट के साथ बल्लेबाजी करने के लिए उतरे। एशेज सीरीज का पहला टेस्ट मैच पर्थ में खेला जा रहा था और पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम 232 रनों पर 8 विकेट गंवाकर संघर्ष कर रही थी। लिली नाबाद 11 रनों पर खेल रहे थे। लेकिन जब दूसरे दिन का खेल शुरू हुआ तो डेनिस लिली एल्युमीनिय के बल्ले के साथ बल्लेबाजी के लिए मैदान में आए। इससे सभी लोग हैरान रह गए। लिली पहले भी एल्युमीनियम के बैट का प्रयोग कर चुके थे। पर्थ टेस्ट के 12 दिन पहले ब्रिस्बेन मे ंवेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में उन्होंने इसका प्रयोग किया था, लेकिन तब कोई शिकायत नहीं की गई थी। लेकिन पर्थ टेस्ट में महज 4 गेंद बाद ही जब लिली ने इयान बॉथम की गेंद को ड्राइव कर 3 रन लिया, इसके बाद ही बैट को लेकर विवाद शुरु गया। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रैग चैपल को लगा कि गेंद बाउंड्री लाइन को टच करनी चाहिए थी, इसीलिए उन्होंने 12वें खिलाड़ी रॉडनी हॉग से लिली के लिए सामान्य बल्ला भिजवाया, लेकिन लिली नहीं माने और एल्युमीनियम के बैट से ही खेलते रहे। इसके बाद इंग्लैंड टीम के कप्तान माइक ब्रेरली ने लिली के बल्ले के बारे में एंपायरों से शिकायत की। इंग्लिश कप्तान का कहना था कि लिली के बल्ले से गेंद को नुकसान हो रहा है जिससे खेल का समय बर्बाद हो रहा है। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल खुद मैदान में आए और लिली को लकड़ी का बल्ला दिया। इससे लिली गुस्से में आग बबूला हो गए और उन्होंने अपना बल्ला जमीन पर फेंक दिया। हालांकि इसके बाद उन्होंने नए बल्ले से ही बल्लेबाजी की 3. रिकी पॉन्टिंग का कार्बन ग्रेफाइट बैट साल 2005 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान रिकी पॉन्टिंग भी अपने बल्ले को लेकर काफी विवादों में रहे। पॉन्टिंग ने तब एक ऐसे बल्ले का प्रयोग किया था जिसके पीछे कॉर्बन ग्रेफाइट लगा हुआ था। एमसीसी ने इसको लेकर आईसीसी से शिकायत की और कहा कि कॉर्बन ग्रेफाइट की वजह से बल्ले में अतिरिक्त पॉवर आ जाती है, जो बल्लेबाज के लिए काफी फायदेमंद होती है। पॉन्टिंग के बल्ले की बारीकी से जांच करने के बाद एमसीसी ने कहा कि ऐसे बल्ले का उपयोग करना गैरकानूनी है। इसके अलावा उन्होंने दो और कोकोबर्रा बैट्स को भी नामंजूर कर दिया। ये बल्ले बीस्ट और जेनेसिस हरिकेन के थे जिनके निचले हिस्से में रंगीन ग्रेफाइट लगे हुए थे। एमसीसी ने कहा कि इससे क्रिकेट के नियमों का उल्लंघन होगा। पॉन्टिंग ने उसी बल्ले के साथ 2004-05 में सिडनी टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ दोहरा शतक लगाया था। 2. द् मूनगूज 2010 के आईपीएल सीजन में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी मैथ्यू हेडेन भी अपने बल्ले के कारण विवादों में रहे। हेडन ने आईपीएल के उस संस्करण में एक ऐसे बल्ले का प्रयोग किया था जिसको 'मूनगूज' कहा जाता था और लोगों का मानना था कि इससे खेल में काफी बदलाव आएगा। हेडन के हाथ में एक छोटा सा एमएमआईथ्री का खतरनाक सा बल्ला था। इस बल्ले को लेकर काफी विवाद हुआ कि क्या इस बैट का उपयोग करना सही है कि नहीं। हेडन ने उसी बल्ले से दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ 43 गेंदों पर तूफानी 93 रन बनाए। हालांकि हेडन के उस बल्ले का बांग्लादेशी क्रिकेटर मोहम्मद अशरफुल ने समर्थन किया और कहा कि 'बल्ले में ऐसी कोई गैरकानूनी बात नहीं है और गेंद को जब आप सही से हिट करते हैं तो वो अपने आप सीमा रेखा के पार चली जाती है' लेकिन आईपीएल में हेडन की टीम के साथी खिलाड़ी सुरेश रैना जिन्होंने खुद उस बैट का प्रयोग किया था कहा कि ' ये बल्ला गेंद को हिट करने के लिए तो काफी अच्छा है, लेकिन डिफेंड करने के लिए ये बल्ला सही नहीं है। इसी वजह से मैंने सामान्य बल्ले का प्रयोग करना शुरु कर दिया।' इसके बाद उस बल्ले का प्रयोग धीरे-धीरे बंद हो गया। 1.गेल का गोल्डेन बल्ला गेल के गोल्डने कलर के बल्ले ने भी काफी सूर्खियां बटोरी। ये बल्ला स्पॉर्टन कंपनी का था और इसे गोल्डन कलर में रंगा गया था। गेल ने पहले इस बल्ले का भारत में प्रयोग किया फिर ऑस्ट्रेलिया में 2015 के बिग बैश लीग सीजन में भी उन्होंने इसी बल्ले से बल्लेबाजी की। गेल ने बीबीएल में इस बल्ले से 23 रनों की छोटी सी पारी खेली और कुछ बड़े शॉट भी लगाए, हालांकि एक छोटी गेंद को पुल करने के चक्कर में वो आउट हो गए। लेकिन तब तक रंगीन बल्ले का प्रयोग करने वाले वो पहले बल्लेबाज बन चुके थे। गेल के इस बल्ले पर काफी विवाद पैदा हुआ। बहुत सारे लोगों का ये मानना था कि इस बैट के अंदर मेटल लगा हुआ है। लेकिन स्पॉर्टन के मालिक कुनाल शर्मा ने इस विवाद को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि' बल्ले पर जो हमने गोल्डन कलर लगाया है उसके अंदर कोई भी मेटल नहीं लगा हुआ है। क्रिकेट में इस बात को लेकर कई सारे नियम हैं कि किस तरह के बल्ले से खेलना है और किस तरह के बल्ले से नहीं'।