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4 कारण क्यों 2003 वर्ल्ड कप अब तक का सर्वश्रेष्ठ टूर्नामेंट रहा है

2003 का क्रिकेट वर्ल्ड कप दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और केन्या में आयोजित किया गया था। यह इस ब्लॉकबस्टर टूर्नामेंट का आठवां संस्करण था। 1999 विश्व कप फाइनल में पाकिस्तान को हराकर विश्व विजेता बनने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ख़िताब की प्रबल दावेदार थी। इस विश्व कप में पहली बार 14 टीमें हिस्सा ले रही थीं।

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विश्व कप 2003 के दौरान कुल 54 मैच खेले गए। टीमों को दो समूहों में विभाजित किया गया और प्रत्येक समूह की शीर्ष तीन टीमों ने सुपर सिक्स चरण में जगह बनाई। टूर्नामेंट में कई उतार-चढ़ाव आए क्योंकि मेज़बान दक्षिण अफ्रीका को ग्रुप स्टेज में ही बाहर होना पड़ा। वे श्रीलंका से डकवर्थ लुईस नियम के तहत महज़ एक रन से हार कर इस टूर्नामेंट से बाहर हो गए थे।

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इंग्लैंड, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीमें भी ग्रुप स्टेज में हार कर बाहर हो गईं। विश्व कप 2003 के फाइनल में गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराकर अपने खिताब का बचाव किया।

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तो आइये जानते हैं उन चार कारणों के बारे में जिनकी वजह से यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ विश्व कप था:

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#4. सचिन तेंदुलकर का ज़बरदस्त प्रदर्शन

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विश्व कप 2003 सचिन तेंदुलकर के करियर का सर्वश्रेष्ठ विश्व कप था। लिटिल मास्टर ने इस टूर्नामेंट में अपने बल्ले से सर्वाधिक रन बनाए थे।

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टूर्नामेंट की शुरूआत में सचिन ने मेज़बान जिम्बाब्वे के खिलाफ 91 गेंदों पर 81 रनों की पारी खेली और इसके बाद नामीबिया के खिलाफ शानदार 151 रन बनाए जो कि विश्व कप में उनका अब तक का सर्वोच्च स्कोर है। इसके अलावा,उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अर्धशतक और पाकिस्तान के खिलाफ 98 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली, जो विश्व कप की उनकी सबसे महत्वपूर्ण पारी थी।

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तेंदुलकर ने इस विश्व कप में लगातार चार बार 50 से ज़्यादा स्कोर बनाने का कारनामा भी किया। उन्होंने सुपर-सिक्स मैच में श्रीलंका के खिलाफ 97 और केन्या के खिलाफ सेमीफाइनल में 83 रन बनाकर भारत को फाइनल तक पहुंचाया था। चैंपियन बल्लेबाज ने इस विश्व कप में कुल 673 रन बनाकर 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' का पुरस्कार जीता। यह अभी भी विश्व कप में किसी भी बल्लेबाज़ी द्वारा बनाये सर्वाधिक रन हैं।

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#3. भारत और पाकिस्तान के बीच रोमांचक मुकाबला

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जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच खेला जाता है तो क्रिकेट प्रशंसकों को हमेशा एक दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद होती है। दोनों तरफ के क्रिकेट प्रशंसक इस मुकाबले का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच 2003 विश्व कप के ग्रुप चरण में एक बेहद दिलचस्प मुकाबला खेला गया था .पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया। सलामी बल्लेबाज़ सईद अनवर के शतक की बदौलत पाकिस्तान ने निर्धारित 50 ओवरों में 273 रन बनाए।

इसके बाद बल्लेबाज़ी करने उतरे भारतीय टीम की वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंदुलकर की जोड़ी ने विस्फोटक बल्लेबाज़ी करते हुए उस समय की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी तिकड़ी वसीम अकरम, वकार यूनुस और शोएब अख्तर को मैदान के चारों ओर मनचाहे शॉट लगाए।

भारत ने केवल पांच ओवर में 50 रन बना लिए थे। सहवाग और सौरव गांगुली लगातार वकार युनुस की दो गेंदों पर आउट हुए लेकिन तेंदुलकर ने अपनी शानदार पारी जारी रखी। हालाँकि, वह शतक नहीं बना सके और 98 रनों पर आउट हुए लेकिन उन्होंने तब तक भारत को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया था। इसके बाद राहुल द्रविड़ और युवराज सिंह ने आसानी से भारत को जीत दिला दी।

#2. दो सर्वश्रेष्ठ टीमों के बीच फाइनल मुकाबला

2003 के विश्व कप में इंग्लैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज जैसे टीमें ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थीं। लेकिन फिर भी, इससे टूर्नामेंट के रोमांच में कोई कमी नहीं आई। पूरे टूर्नामेंट में दबदबा बनाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम बिना एक भी मैच गंवाये फाइनल में पहुंची थी। जबकि दूसरी फाइनलिस्ट भारतीय टीम ने केवल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ एक मैच हारा था।

बहरहाल, 23 मार्च 2003 को जोहान्सबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में खेले गए इस फाइनल में भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फैसला किया। लेकिन उनका यह फैसला टीम को भारी पड़ गया क्यूंकि ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाजों ने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए मात्र 14 ओवरों के भीतर ही 100 रनों का आंकड़ा पार कर दिया।

इसके बाद डेमियन मार्टिन और कप्तान रिकी पोंटिंग की जोड़ी ने भारतीय गेंदबाज़ों की खूब धुनाई की। अपनी पारी में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने महज 121 गेंदों पर 8 गगनचुम्बी छक्कों की मदद से 140 रन बनाए। भारत को जीत के लिए 360 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य मिला।

लक्ष्य का पीछा करने भारतीय सलामी बल्लेबाज़ वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंदुलकर की जोड़ी मैदान में उतरी। लेकिन सचिन पहले ही ओवर में ग्लेन मैक्ग्रा का शिकार बने और इसके बाद बाकी बल्लेबाज़ भी नियमित अंतराल पर आउट होते रहे।

हालांकि सहवाग दूसरे छोर पर डटे रहे और रन आउट होने से पहले उन्होंने शानदार 82 रन बनाए थे। अंततः मेन इन ब्लू 40 ओवर के अंदर ही 234 रनों पर आलआउट हो गए। जबकि ऑस्ट्रेलिया ने लगातार दूसरा विश्व कप अपने नाम किया।

#1. केन्या विश्व कप सेमीफाइनल में पहुंचने वाले एकमात्र गैर-टेस्ट टीम बनी

क्रिकेट अनिश्चतताओं का खेल है लेकिन इसका सबसे बड़ा उदाहरण मिला विश्व कप 2003 में जब एक गैर-टेस्ट टीम इस टूर्नामेंट के सेमीफइनल तक पहुंच गई। 2003 के इस संस्करण में 14-टीमों ने हिस्सा लिया था, केन्या और जिम्बाब्वे जैसी कमज़ोर मानी जाने वाली टीमों ने सभी बाधाओं को पार कर सुपर सिक्स चरण में जगह बनाई थी।

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इंग्लैंड ने राजनीतिक कारणों से जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलने से मना कर दिया था जिसकी वजह से अफ़्रीकी टीम को सुपर सिक्स चरण में पहुंचने में मदद मिली जबकि केन्या ने ग्रुप चरण में श्रीलंका और बांग्लादेश जैसी टीमों को हराया था।

इसके बाद वे अपने से उच्च रैंकिंग वाले जिम्बाब्वे को हराने में कामयाब रहे, और पहली बार विश्व कप में पहुंचने वाली गैर-टेस्ट टीम बने। हालांकि, वे सेमीफाइनल में भारत से 91 रनों से हार गए लेकिन एक अंडर-रेटेड टीम का इस तरह से सेमीफइनल में प्रवेश करना सचमुच में इस विश्व कप की सबसे आश्चर्यजनक घटनायों में से एक था।

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Edited by
सावन गुप्ता
 
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