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वर्ल्ड कप रिकॉर्ड्स : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए सबसे रोमांचक मुकाबले

आईसीसी क्रिकेट विश्वकप के अपने शुरुआती मुकाबले में ही भारत ने दक्षिण अफ्रीका को करारी शिकस्त देकर अपने इरादों से सभी को परिचित करा दिया है। भारत की ओर से हिटमैन रोहित शर्मा ने बेहतरीन शतकीय पारी खेलते हुए अपनी टीम को जीत दिलाई। हालांकि अभी टूर्नामेंट में कई और हाई वोल्टेज मुकाबले होने बाकी हैं, जिनसे भारतीय टीम की आगे की राह तय होगी।

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इन मुकाबलों में भारत का ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और इंग्लैंड के साथ होने वाला मुकाबला बेहद अहम माना जा रहा है। क्योंकि पाकिस्तान के साथ तो भारत का विश्वकप में जीत का रिकॉर्ड बेहद उम्दा है लेकिन ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारतीय टीम को ज्यादातर हार का सामना करना पड़ा है। इस बार ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम की अगुवाई स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के हाथ में है, जो कि बेहतरीन फॉर्म में हैं।

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हालांकि भारतीय टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी भी काफी मजबूत है, ऐसे में भारत को अपने अगले मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के हाथों कड़ी टक्कर का सामना करना होगा। वहीं यह देखना भी काफी दिलचस्प होगा कि कौन सी टीम किस पर भारी पड़ेगी। खैर यह तो मैच के बाद पता चलेगा, लेकिन हम आपको भारत और ऑस्ट्रेलिया के मैच से पहले इन दोनों टीमों के बीच विश्वकप इतिहास में खेले गए बेहतरीन मुकाबलों के बारे में बताने जा रहे हैं। जानिए कौन से हैं वो सबसे बेहतरीन मुकाबले-

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#5 1987 विश्वकप- भारत की सबसे कड़ी परीक्षा

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1987 के विश्वकप के तीसरे मैच में भारत और ऑट्रेलिया के बीच एक ऐसा मुकाबला देखने को मिला था, इसे देखने के बाद दर्शक भी दांतों तले उंगलियां चबाने को मजबूर हो गए होंगे। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की शानदार गेंदबाजी से भारत को यह मुकाबला 1 रन के अंतर से हारना पड़ा था।

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इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने भारत के सामने 6 विकेट के नुकसान पर 270 रनों का स्कोर खड़ा किया था। जिसके जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम भी लय पर चल रही थी और नवजोत सिंह सिद्दू और के श्रीकांत ने क्रमशः 73 और 70 रनों की पारी खेली। लेकिन इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने शानदार गेंदबाजी की और भारत के 4 विकेट मात्र 27 रन के अंतर पर ही गिर गए। जिसके बाद ऑस्ट्रिलेया ने इस मैच को 1 रन के अंतर से जीत लिया था।

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#4 2003 विश्वकप- ऐसी हार जिसे भारत कभी न भुला पाए

2003 के विश्वकप में भारतीय क्रिकेट टीम सौरव गांगुली की अगुवाई में फाईनल तक पहुंची थी। यही नहीं फाइनल मैच में भी भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया लेकिन ऑस्ट्रिलेया के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम जल्दी ही ऑलआउट हो गई और उसे हार का सामना करना पड़ा। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता दिया गया था।

जिसका फायदा उठाते हुए ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय गेंदबाजी पर प्रहार बोला और बेहतरीन शुरुआत दी। वहीं एडम गिलक्रिस्ट और मेथ्यू हेडन के आउट होने के बाद कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने 140 रनों की बेहतरीन पारी खेली और टीम का स्कोर 359 पर पहुंचा दिया। वहीं इसके जवाब में भारतीय टीम मात्र 234 रन ही बना सकी और 125 रनों के अंतर से मैच और खिताब दोनों हार गई।

#3 1992 विश्वकप- जब लगी रन आउट की झड़ी

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1992 के विश्वकप में एक बार फिर से वैसा ही मुकाबला देखने को मिला, जब पीली जर्सी वाली इस टीम ने फिर से भारत पर 1 रन के अंतर से जीत हासिल की और भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इस मैच को इसलिए भी याद किया जाता है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम के चार विकेट रन आउट हुए थे।

ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मैच में भारत के सामने 236 रनों का टार्गेट रखा था। यह मैच बारिश के कारण प्रभावित भी हुआ था, जिसकी वजह से भारत को 47 ओवर में 236 रनों का लक्ष्य मिला था। इसके जवाब में भारतीय क्रिकेट टीम की ओर से मोहम्मद अजहरुद्दीन ने सबसे ज्यादा 93 रनों की पारी खेली और उनके अलावा अन्य सभी बल्लेबाज सस्ते में ही आउट हो गए। जबकि इन विकेट में से चार बल्लेबाज रन आउट हुए थे। जिनमें कप्तान अजहरुद्दीन का विकेट भी शामिल है।

#2 1983 विश्वकप- एक जीत जिसने भारत को नॉक आउट के लिए प्रेरित किया

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1983 में भारत पहली बार विश्व चैंपियन बना था। इस टूर्नामेंट में भारत ने लाजवाब प्रदर्शन करते हुए ग्रुप मैचों में विरोधी टीमों को करारी शिकस्त देते हुए अच्छी बढ़त बना ली थी और ग्रुप चरण के ही अंतिम मुकाबले में भारत का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से होना था। इस मैच में कपिल देव ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और ऑस्ट्रेलिया के सामने 247 रनों का स्कोर खड़ा किया।

वहीं इसके जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम मात्र 129 रनों के स्कोर पर ही पवेलियन लौट गई। इस मैच में भारत की ओर से रोजर बिन्नी और मदन लाल ने बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए चार-चार विकेट चटकाए और सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

#1 2011 विश्वकप- जब भारत ने चैंपियन बनने के लिए रोकी ऑस्ट्रेलिया की राह

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2011 में भारतीय क्रिकेट टीम दूसरी बार विश्व चैंपियन बनी थी। इस विश्वकप टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने शुरुआत से ही अपना विजय अभियान शुरू किया हुआ था और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली टीम ने लाजवाब प्रदर्शन किया। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 260 रनों का स्कोर खड़ा किया था।

वहीं इस लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर ने अपने अपने अर्धशतकों की बदौलत बेहतरीन शुरुआत दिलाई। जबकि अंत में युवराज सिंह और सुरेश रैना की 74 रनों की साझेदारी ने भारत की जीत की नींव रखी और इस तरह से ऑस्ट्रेलिया का एक बार फिर से चैंपियन बनने का सपना चकनाचूर हुआ और भारत जीत की राह पर आगे बढ़ गया।

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Edited by
Naveen Sharma
 
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