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क्रिकेट जगत के 5 ऐसे फैसले जिन्होंने इतिहास रच दिया

हर व्यक्ति के जीवन और करियर में कई ऐसे मोड़ आते है जहां उसे सामान्य से हट कर कुछ अलग फैसले करने पड़ते हैं। कुछ फैसले हित में साबित होते हैं और कुछ फैसलों से नुकसान उठाना पड़ता है। उसी प्रकार से क्रिकेट में भी फैसलों की बड़ी अहमियत होती है जैसे कि कौन सी टीम चुननी है, किस गेंदबाज से कब गेंदबाज़ी करवानी है, किस बल्लेबाज के लिए किस तरह का क्षेत्ररक्षण चाहिए और किस बल्लेबाज को किस क्रम पर भेजना है इस तरह के कई फैसले होते है जिन्हें बेहद सोच और समझदारी के साथ लेना पड़ता है। क्रिकेट में एक छोटा सा गलत फैसला भी पूरे खेल पर गहरा प्रभाव डालता है और कई बार यही गलत फैसला हार का कारण बन जाता है । खैर यह तो खेल के दौरान मैदान पर होने वाले फैसलों की बात हुई।

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क्रिकेट में फैसले सिर्फ कप्तान नहीं करते बल्कि खिलाड़ी और टीम मैनेजमेंट का भी अहम योगदान होता है कई बार खिलाड़ियों के जीवन में भी कई ऐसे मोड़ आते हैं जहां पर कुछ फैसले उनके कैरियर के लिए वरदान साबित हो जाते है वहीं कुछ उनके कैरियर के खात्मे का कारण भी बन जाते है।

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क्रिकेट जगत में कई खिलाड़ी आए है जिन्होंने अपने निर्भीक फैसलों के दम पर क्रिकेट जगत में अपना लोहा मनवाया वहीं कई ऐसे भी खिलाड़ी आए है जिन्हें अपने गलत फैसलों के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा यहां तक कि उनके गलत फैसलों के कारण उनके करियर का भी खात्मा हो गया । हालांकि कई बार कुछ फैसले सोची-समझी रणनीति के तहत लिए जाते है जिससे फायदा भी पहुंचता है और नुकसान भी होता है।

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हम बात करने वाले है क्रिकेट जगत के ऐसे पांच ऐसे फैसलों बारे में जिन्होंने खिलाड़ियों की जिंदगी को बदल कर रख दिया:

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#5. वीरेंदर सहवाग का ओपनिंग करना

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दुनिया के विस्फोटक बल्लेबाज़ों में शुमार वीरेंदर सहवाग ने अपना अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय और टेस्ट पदार्पण क्रमशः 1999 और 2001 में किया था। पाकिस्तान के खिलाफ हुए अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में वीरेंदर सहवाग मात्र 2 रन बनाकर आउट हो गए थे।

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इसके बाद उनको 20 महीनों तक टीम में शामिल नहीं किया गया। 2001 में भारत, श्रीलंका और न्यूजीलैंड के बीच हुई त्रिकोणीय श्रृंखला में सचिन तेंदुलकर के चोटिल होने की वजह से वीरेंदर सहवाग बतौर ओपनर पारी की शुरुआत करने उतरे और सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 69 गेंदों में अपना पहला शतक लगाया। इसके बाद एकदिवसीय मुकाबलों मे उन्हें जब भी पारी शुरुआत करने का मौका मिला उन्होंने हर मौके पर बेहतरीन प्रदर्शन किया। अब बात करते है वीरेंदर सहवाग के टेस्ट करियर के बारे में।

अंतरराष्ट्रीय टेस्ट पदार्पण मैच में उन्होंने मध्य क्रम में बल्लेबाजी करते हुए साउथ अफ्रीका के खिलाफ बेहतरीन 105 रन की पारी खेली थी, हालांकि भारत यह मैच हार गया। साल 2002 में वीरेंदर सहवाग को इंग्लैंड दौरे पर पारी की शुरुआत करने का मौका मिला और सहवाग ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। टेस्ट क्रिकेट में वीरेंदर सहवाग के नाम सबसे तेज 250 और 300 रन बनाने का रिकॉर्ड है जिसका टूटना लगभग नामुमकिन है। वीरेंदर सहवाग क्रिकेट को अलविदा कहने तक भारतीय टीम में बतौर ओपनर ही खेले। एक बार वीरेंदर सहवाग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सौरव गांगुली ने उनसे कहा था कि अगर उन्हें टीम में रहना है तो उन्हें पारी की शुरुआत करनी पड़ेगी और शायद इसी फैसले ने वीरेंदर सहवाग को विस्फोटक बल्लेबाजों में से बना दिया ।

#4. राशिद खान को टीम में शामिल करना

टी20 क्रिकेट में फिरकी गेंदबाजी के जादूगर कहे जाने वाले राशिद खान को कौन नहीं जानता । बेहद कम समय में उन्होंने अपने आप को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक बेहतरीन गेंदबाज के तौर पर स्थापित किया है । राशिद खान अपनी एक अलग शैली की गेंदबाजी के कारण जाने जाते है।

विश्व का बेहतरीन से बेहतरीन बल्लेबाज भी उनका सामना करने से कतराता है । हालांकि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उन्हें अफगानिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में जगह नहीं मिली थी। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के सीईओ सफीक स्टैनिकज़ाई ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जिस दिन से उन्होंने राशिद खान को गेंदबाजी करते हुए देखा उन्हें उनकी गेंदबाजी से प्यार हो गया था।

उन्होंने बताया कि किस तरह से उन्होंने अफगानिस्तान टीम के कप्तान असग़र स्टैनिकज़ाई से राशिद खान को टीम में शामिल करने को कहा था। सफीक ने यह भी कहा था कि अगर एकदिवसीय में न सही तो कम से कम टी20 क्रिकेट में राशिद खान को जरूर शामिल करें। राशिद खान को टीम में शामिल होने का मौका मिला और बेहद कम उम्र और समय में राशिद खान ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना दबदबा कायम कर लिया है। मौका मिलने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार नए कीर्तिमान रच रहे है।

#3. महेंद्र सिंह धोनी का रोहित शर्मा को बतौर ओपनर खिलाना

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एकदिवसीय क्रिकेट के दिग्गज बल्लेबाजों में से एक माने जाने वाले हिटमैन के नाम से मशहूर रोहित शर्मा ने अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण 23 जून 2007 में आयरलैंड के खिलाफ किया था । रोहित शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज के रूप में की थी। रोहित शर्मा के प्रशंसकों में से एक सचिन तेंदुलकर उन्हें एक अदभुत प्रतिभा वाला बल्लेबाज कहा करते थे। रोहित शर्मा ने अपने करियर के शुरुआती दिनों के दौरान काफी उतार-चढ़ाव देखे। 2011 में खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें टीम से निकाल दिया गया था, लेकिन उन्होंने जल्द ही टीम में दमदार वापसी की।

2013 में रोहित शर्मा के करियर ने एक बेहतरीन मोड़ लिया जब 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रोहित शर्मा को शिखर धवन के साथ बतौर ओपनर पारी की शुरुआत करने को कहा और यही फैसला रोहित शर्मा की करियर का सबसे बड़ा फैसला साबित हुआ। रोहित शर्मा ने बतौर ओपनर चैंपियंस ट्रॉफी में धुआंधार बल्लेबाजी की। उन्होंने ने हर मैच में भारत को एक शानदार शुरुआत दिलाई और भारत के चैंपियंस ट्रॉफी विजय अभियान में बेहद अहम योगदान दिया। चैंपियंस ट्रॉफी के बाद से रोहित शर्मा का बतौर ओपनर एक बेहतरीन आगाज हुआ।

2013 की सफलता के बाद रोहित शर्मा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रोहित शर्मा ने महेंद्र सिंह धोनी के इस फैसले के बारे में कहा कि यह उनके जिंदगी का सबसे बेहतरीन फैसला साबित हुआ और इस फैसले के बाद वह एक बेहतर बल्लेबाज बन सके। आपको बता दें कि रोहित शर्मा एकदिवसीय क्रिकेट के बादशाह माने जाते हैं। उन्होंने सर्वाधिक तीन दोहरे शतक लगाए हैं जो कि अभी भी एक विश्व रिकॉर्ड है और जिसका टूटना असंभव प्रतीत होता है।

#2. स्टीव स्मिथ का गेंदबाजी छोड़ बल्लेबाजी करना

आधुनिक क्रिकेट के बेहतरीन बल्लेबाज कहे जाने वाले स्टीव स्मिथ ने अपने करियर की शुरुआत बतौर गेंदबाज की थी। 13 जुलाई 2010 में पाकिस्तान के खिलाफ अपना अंतरराष्ट्रीय टेस्ट पदार्पण करने वाले स्टीव स्मिथ एक गेंदबाज के तौर पर टीम में शामिल किए गए थे।

2010 में हुए टी20 विश्व कप में स्मिथ 7 मुकाबलों में 11 विकेट चटकाकर सर्वाधिक विकेट लेने के मामले में दूसरे स्थान पर रहे। अपनी बेहतरीन गेंदबाजी के साथ साथ 2010-11 की एशेज सीरीज में स्टीव स्मिथ को बल्लेबाज के तौर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिला और उन्होंने पूरी सीरीज में बेहतरीन बल्लेबाजी की। 2013 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत का दौरा किया और यह दौरा स्मिथ के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ, हालांकि आस्ट्रेलिया भारत के खिलाफ 4-0 से टेस्ट सीरीज हार गई।

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लेकिन स्मिथ ने बतौर बल्लेबाज अपनी छाप छोड़ दी। इसके बाद स्टीव स्मिथ ने बतौर बल्लेबाज कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2015, 2016, 2017 में आईसीसी टेस्ट बल्लेबाजी रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर रहे और आज उनके नाम बल्लेबाजी के कई रिकॉर्ड दर्ज है।

#1. सचिन तेंदुलकर का तेज गेंदबाजी छोड़ बल्लेबाजी करना

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाजी में कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सचिन तेंदुलकर एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे। इस बात का खुलासा खुद सचिन तेंदुलकर ने किया था।

बात 1987 की है जब चेन्नई में सचिन तेंदुलकर गेंदबाजी का अभ्यास कर रहे थे तब उन्होंने डेनिस लिली से मुलाकात की थी और उस वक्त तक सचिन तेंदुलकर एक तेज गेंदबाज गेंदबाज बनने का ख्वाब देखा करते थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और तेज गेंदबाज डेनिस लिली ने उन्हें सलाह दिया कि वह गेंदबाजी छोड़कर बल्लेबाजी पर ध्यान दें।

सचिन ने लिली की इस सलाह को गंभीरता से लिया और नतीजा आज सबके सामने है। सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाजी में ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए है जो कि तोड़ना लगभग नामुमकिन है । सचिन तेंदुलकर ने सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के रूप में क्रिकेट को अलविदा कहा था। सचिन तेंदुलकर ने लिली को उनके 68 वें जन्मदिन पर एक वीडियो संदेश द्वारा इस सलाह के लिए दिल से धन्यवाद कहा था।

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Edited by
निशांत द्रविड़
 
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