• Sports News
  • Hindi Cricket News
  • 2000 के बाद से सबसे बदकिस्मत रहे 5 भारतीय क्रिकेटर

2000 के बाद से सबसे बदकिस्मत रहे 5 भारतीय क्रिकेटर

भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई महान क्रिकेटर रहे हैं जिन्होंने अपने प्रदर्शन के दम पर क्रिकेट इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों से लिख दिया है। भारतीय टीम में हर दशक मे कम से कम एक सुपरस्टार रहा हैं।

Ad

कपिल देव और सुनील गावस्कर जैसे खिलाड़ियों ने 80 के दशक में अपनी धाक जमाई जबकि सचिन, द्रविड़ और गांगुली ने 1990 के दशक में अपनी बल्लेबाज़ी का लोहा मनवाया।

Ad

वर्तमान में धोनी, कोहली और रोहित भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी हैं। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने 2000 की शुरुआत में मैच फिक्सिंग कांड के बाद भारतीय टीम की कमान संभाली थी, उन्होंने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को एकजुट किया, इस टीम ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किये। 'दादा' के बाद धोनी ने भारतीय टीम की कप्तानी संभाली और भारत के सफलतम कप्तान बने।

Ad

2000 के बाद से कई क्रिकेटरों ने विभिन्न कप्तानों के नेतृत्व में खेला है। हालाँकि, 2000 के बाद कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पर्दापण किया लेकिन लेकिन उन्हें पर्याप्त मौके ना मिलने की वजह से उनका उनका क्रिकेट करियर लगभग खत्म होने की कगार पर आ गया।

Ad

तो आइये जानते हैं ऐसे 5 क्रिकेटरों के बारे में:

Ad

#5. अमित मिश्रा

Ad
Ad

अमित मिश्रा सबसे अंडर-रेटेड भारतीय स्पिनरों में से एक हैं। उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 500 से अधिक विकेट, और सूची 'ए' क्रिकेट में 242 विकेट लिए हैं। लेकिन उन्हें भारतीय टीम की ओर से खेलने के सीमित मौके ही मिले हैं। मिश्रा ने 2003 में अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी लेकिन एक दो मैच खेलने के बाद ही उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा।

Ad

यह ऐसा समय था जब भारत के शीर्ष दो स्पिनर- हरभजन सिंह और अनिल कुंबले अपनी फॉर्म में थे और भारत के नियमित स्पिनर थे।

इसलिए हरियाणा में पैदा हुए इस स्पिनर के लिए टीम में जगह बना पाना बहुत मुश्किल था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने पदार्पण के पांच साल बाद, आखिरकार उन्हें 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने का मौका मिला, वो भी तब जब अनिल कुंबले को चोटिल होने के कारण मैच से बाहर होना पड़ा था।

मिश्रा ने अपने टेस्ट करियर की अच्छी शुरुआत की और अपने पहले ही मैच में पांच विकेट लिए थे। उसी वर्ष कुंबले के रिटायर होने के साथ, उनके लिए खुद को स्थापित करने का यह एक अच्छा अवसर था। लेकिन विविधताओं की कमी और अनियमित प्रदर्शन के कारण उनकी जगह टीम में जडेजा और अश्विन जैसे युवा स्पिनरों को तरजीह दी गई।

तब से, मिश्रा टीम से बाहर हैं और उनका करियर लगभग खत्म होने की कगार पर है। अगर उन्हें आज से तीन-चार पहले खेलने के ज़्यादा मौके मिले होते तो शायद वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को अच्छी तरह से स्थापित कर लेते।

#4. रॉबिन उथप्पा

Ad

रॉबिन उथप्पा ने खुद को एक आक्रामक सलामी बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया। 2005 की चैलेंजर सीरीज़ में जब उन्हें पहली बार भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिला तो इस सीरीज़ में उन्होंने कुछ अच्छी पारियां खेली थीं।

उन्हें 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ वीरेंदर सहवाग के स्थान पर भारत की वनडे टीम में शामिल होने का मौका मिला और उन्होंने अपने वनडे डेब्यू में शानदार 86 रन बनाए। लेकिन उसके बाद, उथप्पा को अपना बल्लेबाज़ी कौशल दिखाने के ज़्यादा मौके नहीं मिले। वैसे भी टीम में सौरव गांगुली, वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंदुलकर जैसे सलामी बल्लेबाज़ की मौजूदगी से उनका टीम में वापसी कर पाना वाकई मुश्किल था।

2008 के बाद, उन्हें 2014 में एक और अवसर मिला, लेकिन शिखर धवन और रोहित शर्मा के लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करने के साथ उनकी यह उम्मीद भी जाती रही। अब दोबारा उनके टीम में वापसी करने की उम्मीद लगभग ना के बराबर है।

#3. वसीम जाफर

वसीम जाफर भारतीय घरेलू सर्किट के लिजेंड खिलाड़ी माने जाते हैं। उन्होंने अब तक खेले गए हर एक रणजी ट्रॉफी फाइनल में अपनी टीम को जीत दिलाई है। इसके अलावा वह दो बार रणजी ट्रॉफी में 1000 से ज़्यादा रन बनाने वाले एकमात्र क्रिकेटर भी हैं।

40 साल की उम्र में वो अभी भी लगातार घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं। वह रणजी ट्रॉफी में कुल 11000 रन बनाने वाले पहले क्रिकेटर बन गए हैं। ऐसे रिकॉर्ड रखने वाले खिलाड़ी को भारतीय टीम में पर्याप्त मौके ना मिलना सचमुच में चौकाने वाला है।

जाफर ने अपना पहला टेस्ट 2000 में खेला, लेकिन खुद को स्थापित नहीं कर सके। हालाँकि उन्होंने अपने छोटे से टेस्ट करियर में पांच शतक बनाए हैं, जिसमें दो दोहरे शतक भी शामिल हैं।

अपनी धीमी बल्लेबाज़ी की वजह से वह सिर्फ एक टेस्ट क्रिकेटर बन कर रह गए। वैसे भी उस समय सचिन-सहवाग की जोड़ी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सलामी जोड़ियों में से एक मानी जाती थी। इसलिए घरेलू क्रिकेट में अपने ज़बरदस्त प्रदर्शन के बावजूद जाफर को भारतीय टीम में जगह नहीं मिली।

#2. दिनेश कार्तिक

Ad

तमिलनाडु के विकेटकीपर-बल्लेबाज़ ने 2004 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पदार्पण किया। दुर्भाग्य से, उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत कुछ खास नहीं रही और उसी दौरान भारतीय टीम को एमएस धोनी के रूप में एक ऐसा खिलाड़ी मिला जिसने अपने पर्दापण के एक दशक के अंदर ही भारतीय टीम को विश्व की शीर्ष टीमों की फेहरिस्त में ला खड़ा किया।

धोनी ने 2007 में पहली बार भारतीय टीम का नेतृत्व करने के बाद से पीछे मुड़ के नहीं देखा। दूसरी ओर, धोनी के शानदार प्रदर्शन के चलते कार्तिक को खेलने का ज़्यादा मौका नहीं मिल पाया।

कार्तिक ने 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में अच्छी बल्लेबाज़ी की थी लेकिन तब भी टीम संयोजन में उनकी जगह पक्की नहीं हो सकी। तब से, कार्तिक भारतीय टीम से अंदर-बाहर होते रहे हैं।

हाल ही में कार्तिक ने घरेलू क्रिकेट में अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर टीम में वापसी की है लेकिन उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी एकदिवसीय श्रृंखला से हटा दिया गया है। फिर भी, भारतीय प्रशंसक यह उम्मीद करेंगे कि उन्हें विश्व कप जैसे मेगा इवेंट में टीम में चुना जाएगा।

#1. सुरेश रैना

Ad

सुरेश रैना ने 2005 में अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी। हालाँकि, उन्हें अपने पहले 11 वनडे मैचों में केवल पांच बार बल्लेबाजी करने का मौका मिला, इसलिए वह अपनी योग्यता साबित नहीं कर पाए।

उन्होंने अपने करियर में ज़्यादातर नंबर पांच और छह पर बल्लेबाजी की है लेकिन जब भी मौका मिला, उन्होंने टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। अपने वनडे करियर में रैना ने पांच शतक जड़े हैं जो निचले मध्य-क्रम में बल्लेबाज़ी करने वाले किसी भी बल्लेबाज़ के लिए एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।

इसके अलावा, वह आईपीएल इतिहास में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए उन्होंने तीन सत्रों में लगातार 400 से ज़्यादा रन बनाने हैं। लेकिन, इस सबके बावजूद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में रैना वो मुकाम नहीं बना पाए जिसके वह हकदार थे। इसका सबसे बड़ा कारण उनको पर्याप्त अवसर ना मिलना रहा। फिलहाल टीम में धवन, रोहित और कोहली जैसे खिलाड़ियों ने खुद को वास्तव में शीर्ष तीन में स्थापित कर दिया है और मध्य क्रम में भी प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ी की कमी नहीं है, ऐसे में रैना का टीम में वापसी कर पाना मुश्किल लगता है।

Hindi Cricket News, सभी मैच के क्रिकेट स्कोर, लाइव अपडेट, हाईलाइटस और न्यूज़ स्पोर्ट्सकीड़ा पर पाएं

Ad
Edited by
सावन गुप्ता
 
See more
More from Sportskeeda