• Sports News
  • Hindi Cricket News
  • League 2
  • ओपिनियन : क्या वास्तव में महेंद्र सिंह धोनी का प्रदर्शन वर्ल्ड कप में शानदार नहीं रहा? 
सेमीफाइनल में रन आउट होने के बाद निराश धोनी!

ओपिनियन : क्या वास्तव में महेंद्र सिंह धोनी का प्रदर्शन वर्ल्ड कप में शानदार नहीं रहा? 

वर्ल्ड कप 2019 समाप्त हो चुका है और इंग्लैंड इस बार विश्व विजेता बना है। जहां तक बात करें भारतीय टीम की तो उसका सफर सेमीफाइनल तक ही था। सेमीफाइनल से पहले टीम का प्रदर्शन शानदार रहा था और उसने लीग मैच में सिर्फ एक ही मैच हारा था। भारत के सेमीफाइनल से बाहर होने के बाद हार का पूरा ठीकरा महेंद्र सिंह धोनी पर फोड़ा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सेलेक्टर्स जल्द ही धोनी से बात कर उनकी आखिरी सीरीज की घोषणा कर सकते हैं या फिर महेंद्र सिंह धोनी को संन्यास लेने के लिए कह सकते हैं। आज हम इस लेख में इस बात पर चर्चा करेंगे कि क्या वाकई में महेंद्र सिंह धोनी का प्रदर्शन इस वर्ल्ड कप में शानदार नहीं रहा और क्या टीम उन्हीं की वजह में सेमीफाइनल में हार गई।

अगर इस पूरे वर्ल्ड कप पर नजर डालें तो भारतीय टीम के टॉप ऑर्डर के सिवा किसी ने शानदार प्रदर्शन नहीं किया। मिडिल ऑर्डर पूरी तरह से ही फ्लॉप रहा, जिसमें हार्दिक पांड्या, ऋषभ पंत, दिनेश कार्तिक, केदार जाधव जैसे खिलाड़ी थे। महेंद्र सिंह धोनी वर्ल्ड कप 2019 में रन बनाने के मामले में पूरी टीम में चौथे नंबर पर रहे। जहां रोहित शर्मा ने 9 मैचों की 9 पारियों में 81 की औसत से 648 रन बनाए, जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 98.33 का रहा। वहीं विराट कोहली ने 9 मैच की 9 पारियों में 55.37 की औसत से 443 रन बनाए जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 94.05 का रहा और केएल राहुल ने 9 मैच की 9 पारियों में 45.12 की औसत से 361 रन बनाए जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 77.46 का रहा। जबकि महेंद्र सिंह धोनी ने 8 पारियों में 45.50 की औसत से 273 रन बनाए, जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 87.78 का रहा। आप आंकड़ों को देखकर समझ सकते हैं कि केएल राहुल से अधिक धोनी ने रन भी बनाए और इस दौरान उनका औसत और स्ट्राइक रेट भी उनसे ज्यादा ही रहा।

Ad

इसमें ध्यान देने योग्य बात है कि केएल राहुल ने 2 मैच में चार नंबर 4 में बल्लेबाजी की, वहीं बाकी मैचों में उन्हें ओपनिंग बैट्समैन के तौर पर उतारा गया। जबकि महेंद्र सिंह धोनी पूरे वर्ल्ड कप में छह और सात नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए नजर आए। इन आंकड़ों को दिखाने का मकसद राहुल के योगदान को कम करना नहीं बल्कि यह बताना है कि हो सकता है कि वहां की पिच ही इतनी मुश्किल हो कि कोई भी खिलाड़ी तेजी से रन ना बना सके और उन्हें खेलने में परेशानी हो। कई मैचों के दौरान देखा गया कि अंतिम समय में पिच बहुत ही धीमी हो जाती थी जैसा कि इंग्लैंड के मैच के दौरान हुआ और टीम के कई खिलाड़ियों ने इस बात को माना भी कि अंतिम समय में बल्लेबाजी करना बहुत ही मुश्किल हो गया था।

अब बात करते हैं उन दो मैचों की जिसमें धोनी की सबसे ज्यादा आलोचना हुई। पहला मैच इंग्लैंड के खिलाफ भारत हारा और दूसरा सेमीफाइनल जो भारत ने न्यूजीलैंड के सामने गंवाया। पहले बात करते हैं इंग्लैंड के खिलाफ हुए मैच की। उस मैच में सभी खिलाड़ियों ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया लेकिन महेंद्र सिंह धोनी आखिर में आक्रामक अंदाज में नहीं खेल पाए। आखिर में उस पिच पर रन बनाना काफी मुश्किल हो गया था। हालांकि ये जरूर कहा जा सकता है कि धोनी ने शायद उतनी कोशिश नहीं की। मैच के बाद रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों ने भी माना कि पिच आखिर में बहुत ही धीमा हो गया था और उस पर बल्लेबाजी करना आसान नहीं था। इस पूरे वर्ल्ड कप की बात करें तो शायद ही बांग्लादेश के अलावा किसी टीम ने 300 रन चेज किए हो।

अब बात करते हैं न्यूजीलैंड के खिलाफ हुए सेमीफाइनल की। भारतीय टीम ने अपने तीनों टॉप बल्लेबाज 5 रन के स्कोर पर ही खो दिया, उस दौरान बल्लेबाजी करने आए ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या जो काफी आक्रामक बल्लेबाज हैं। उनमें से एक की जगह धोनी को भेजा जाना चाहिए था, जो विकेट गिरने से रोकें क्योंकि लक्ष्य ज्यादा बड़ा नहीं था, उस समय विकेट बचाना सबसे बड़ी जरूरत थी लेकिन धोनी की जगह ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या को भेजा गया । उन्होंने बल्लेबाजी भी अच्छी की, लेकिन अनुभव की कमी की वजह से अपना विकेट गंवा दिया। आठवें नंबर पर धोनी का साथ देने आए रविंद्र जडेजा ने अच्छी बल्लेबाजी की।

Ad

धोनी ने एक छोर पर विकेट गिरने से रोका और लगातार स्ट्राइक रविंद्र जडेजा को दी जिन्होंने जबरदस्त पारी खेली। उनके आउट होने के बाद मैच जिताने की जिम्मेदारी पूरी तरह से धोनी पर थी लेकिन 2 रन लेने के चक्कर में वो भी आउट हो गए। कई लोगों का कहना था कि धोनी ने 2 रन क्यों लिए। मेरे हिसाब से शायद इसलिए क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि भुवनेश्वर के लिए इस पिच पर बल्लेबाजी करना आसान नहीं होगा और वह स्ट्राइक अपने पास रखना चाहते थे और बाद में हमने यह भी देखा कि भुवनेश्वर कुमार पहली ही गेंद पर आउट भी हो गए। अंत में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा।

इस लेख का यह मकसद यह नहीं था कि किसी के योगदान को कम बताया यह ज्यादा बताया जाए, इस लेख का मुख्य मकसद यह था कि लोगों को पता चले कि धोनी ने हमें यह वर्ल्ड कप नहीं हराया। यह जरूर है कि धोनी ने धीमी बल्लेबाजी की, लेकिन अब आप 6 या 7 नंबर के बल्लेबाज से क्या उम्मीद कर सकते हैं? जब लगातार विकेट गिर रही हो तो वह विकेट को बचाए या खुद भी आक्रामक खेल दिखा कर आउट हो जाए। हमारे टॉप तीन बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया लेकिन चौथे, पांचवें और छठे नंबर के बल्लेबाजों ने ऐसा प्रदर्शन नहीं किया कि धोनी बिना किसी बोझ के आक्रामक खेल दिखा सकें। महेंद्र सिंह धोनी ने बहुत ही क्रिकेट खेला है और हमें बहुत से खुशी के पल दिए हैं मुझे लगता है कि उन्हें बेहतर पता है कि उन्हें कब संन्यास लेना चाहिए और शायद हमें इसका फैसला उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए। हम सबको इस बात पर कोई शक नहीं होना चाहिए कि धोनी का ये वर्ल्ड कप शानदार रहा और पूरे वर्ल्ड कप में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया।

Hindi Cricket News, सभी मैच के क्रिकेट स्कोर, लाइव अपडेट, हाइलाइट्स और न्यूज स्पोर्टसकीड़ा पर पाएं।

Ad
Edited by
सावन गुप्ता
 
See more
More from Sportskeeda