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क्या विराट कोहली वाकई में 'विराट' हैं?

सारा क्रिकेट जगत विराट कोहली को तब से देख रहा है जब उन्होंने 2008 से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खेलना शुरू किया। इससे पहले वो 'इंडिया अंडर-19' टीम के कप्तान थे, जहां उन्होने अपनी बेहतरीन बल्लेबाज़ी से सबका मन मोह लिया था। इसके साथ ही वो 'प्रथम श्रेणी' तथा 'लिस्ट-ए' क्रिकेट में लगातार 50 या उससे ऊपर के औसत से शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। सबको ये तो मालूम था कि ये बल्लेबाज़ शिखर तक जाएगा परंतु इतना महान बन जाएगा, इसका किसी को अंदाज़ा नहीं था।इस लेख में कोहली की बल्लेबाज़ी, कप्तानी, और उनके प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।

भारत में क्रिकेट को राजनीति की तरह एक विशेष स्थान दिया जाता है। हमको नायक बनाना बहुत पसंद है। महात्मा गांधी से लेकर सुनील गावस्कर, जवाहरलाल नेहरू से लेकर कपिल देव, और राजीव गांधी से लेकर सचिन तेंदुलकर तक, नायकों की सूची बहुत लंबी है। कोहली को ऊंचे मापदंडो से गुजरना है और यही उनके प्रदर्शन, क्षमता, तथा उम्मीद का सच्चा इम्तिहान होगा। अभी तक उन्होने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया है, परंतु वक़्त के साथ, जवाबों से ज़्यादा सवाल आएंगे। किस तरह से वो उन सवालों का जवाब देते हैं, ये बताएगा कि वो और कितन सफल होंगे?

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विराट कोहली में क्या खूबियाँ हैं?

कोहली अपने प्रदर्शन में सदा से प्रभावशाली रहे हैं और कुछ हद तक ऐसा ही उनकी कप्तानी में भी दिखता है। एक अच्छे बल्लेबाज़ की हैसियत से उन्होंने अपनी तकनीक, स्वभाव, तथा कौशल के द्वारा तेंदुलकर की कमी को बड़ी आसानी से भरा। जहां तेंदुलकर छोड़ के गए थे, कोहली ने वहीं से शुरुआत की और भारत को क्रिकेट में काफी आगे ले गए।

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अपनी बल्लेबाज़ी में वो तेंदुलकर और गावस्कर से भी ज़्यादा अनूकूल प्रदर्शन करते हैं। जहां बात प्रतिद्वंदी को पछाड़ने की आती है, वहाँ पर वो विवियन रिचर्ड्स से भी ज़्यादा आक्रामक हैं। उन्होने अपनी बल्लेबाज़ी के दम पर अकेले इतने मैच जिताये हैं, जितना और किसी भी अन्य खिलाड़ी ने नहीं जिताये होंगे।

वो अपनी ज़िंदगी को काफी अनुशासित ढंग से जीते है, जो उनके प्रदर्शनों में साफ झलकता है। नए खिलाड़ियों की तरह उनको भी दिखावा काफी पसंद है और वो दिखाने में झिझकते भी नहीं। उनका बस एक ही मूलमंत्र है 'किसी भी कीमत पर जीतना'।

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किसी भी नेता की तरह, उन्होंने भी बहुत सीखा है और लगातार अपने साथियों और प्रतिद्वंदीयों से सीख रहे हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने 46 टेस्ट-मैच खेले और 26 जीते। यह किसी और भारतीय कप्तान के प्रदर्शन से काफी बेहतर है।

विराट कोहली में क्या कमियाँ हैं?

क्रिकेट को हमेशा से 'सज्जनों का खेल' कहा गया है। कोहली में ये थोड़ी कमी जरूर है। मैदान पर वो काफी आक्रामक और भावुक तरीके से खेलते हैं। एक अच्छे नेता की यही पहचान है की वो शांत और संयमित रहे। इसलिए ऐसा लगता है की उनको इस तरफ थोड़ा ध्यान ज्यादा लगाना चाहिए।

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उनका 'टीम-चयन' भी थोड़ा विवादित रहा है जिसकी वजह से भारत को इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका से टेस्ट शृंखला हारनी पड़ी। उनको इस दिशा में थोड़ा सीखना होगा ताकि वो अच्छी टीम तैयार कर सकें।

वो एक कप्तान की तरह निखर रहे हैं, परंतु उनको अभी भी बारीकियों को सीखना है। उनको भारतीय पिचों की अच्छी जानकारी है, लेकिन इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका आदि देशों की पिच के बारे में अभी काफी जानना होगा।

निष्कर्ष

कोहली ने बहुत ही जल्द अपने आप को एक बड़ा खिलाड़ी बना लिया है और लगातार ही वो नया मुकाम बना रहे है। अगर उनको 'विराट' बनना है तब अपनी कमियों को दूर करके, अपनी शक्तियों का सही ढंग से उपयोग करना होगा।

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Edited by
सावन गुप्ता
 
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