कॉमनवेल्थ में खेलने के लिए तेजस्विन को जाना पड़ा था कोर्ट, अब मेडल जीत सेलेक्टर्स को दिया करारा जवाब 

तेजस्विन कॉमनवेल्थ खेलों में हाई जम्प स्पर्धा का मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं
तेजस्विन कॉमनवेल्थ खेलों में हाई जम्प स्पर्धा का मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं

कहा जाता है कि किसी को जवाब देना है तो मुंह से नहीं अपने काम से दो। 23 साल के भारतीय हाई जम्प खिलाड़ी तेजस्विन शंकर ने यही किया है। मौजूदा नेशनल चैंपियन तेजस्विन ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों की हाई जम्प स्पर्धा का ब्रॉन्ज जीतकर ट्रैक एंड फील्ड मुकाबलों में देश का खाता खोला है। य़ही नहीं, हाई जम्प में ये देश का पहला कॉमनवेल्थ पदक है। ये मेडल AFI यानी एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के उन सेलेक्टर्स को भी जवाब है जिन्होंने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों के लिए तेजस्विन का नाम शुरुआती लिस्ट में नहीं चुना था और तेजस्विन ने कोर्ट जाकर लड़ाई लड़ी।

बर्मिंघम के एलेग्जेंडर स्टेडियम में हुए हाई जम्प फाइनल में तेजस्विन ने 2.22 मीटर की छलांग के साथ कांस्य पदक जीता। न्यूजीलैंड के हैमिश कैर ने 2.25 मीटर की छलांग के साथ पहला स्थान हासिल किया और ऑस्ट्रेलिया के ब्रैंडन स्टार्क को सिल्वर मेडल मिला। तेजस्विन ने 2.10 मीटर, 2.15 मीटर, 2.19 मीटर और 2.22 मीटर की छलांग पहले ही प्रयास में पार कर ली। लेकिन. 2.25 की ऊचाईं वो नाप नहीं पाए। उनका पर्सनल बेस्ट 2.29 मीटर का है जो उन्होंने 2018 में प्राप्त किया था। तेजस्विन के लिए ये मेडल काफी मायने रखता है क्योंकि एक महीने पहले तक उन्हें कॉमनवेल्थ खेलों में एंट्री तक नहीं मिली थी।

दरअसल AFI ने तेजस्विन को विश्व चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ खेलों के लिए चयनित टीम में शामिल नहीं किया। AFI के मुताबिक तेजस्विन ने क्वालीफाइंग किसी भी टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया था। लेकिन तेजस्विन, जो अमेरिका की कैन्सास सिटी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे, ने वहां हुई प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए 2.27 मीटर की छलांग जून में इसी साल लगाई थी और ये विश्व चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ खेलों के आधिकारिक मानक से ज्यादा थी। तेजस्विन ने AFI से अपना फैसला बदलने की गुहार लगाई लेकिन AFI ने मौजूदा नेशनल चैंपियन का नाम भेजा ही नहीं।

ऐसे में तेजस्विन ने दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाई। हाई कोर्ट ने भी तेजस्विन का पक्ष लिया और AFI को निर्देशित किया कि एक नेशनल चैंपियन के साथ ऐसा बर्ताव न करें। AFI को कोर्ट की बात माननी पड़ी, तेजस्विन का नाम भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से खेलों के आयोजकों को भेजा गया, लेकिन तेजस्विन को खेलों में जाने का अप्रूवल देरी से मिला और वो 28 जुलाई को हुई ओपनिंग सेरेमनी में भाग तक नहीं ले पाए और 31 जुलाई को बर्मिंघम पहुंचे। लेकिन इन सारी परेशानियों को झेलने के बाद भी तेजस्विन ने देश के लिए खेला और मेडल भी जीता।

तेजस्विन को अब देशभर से बधाई मिल रही है, लेकिन प्रतियोगिता से पहले कोर्ट के चक्कर काट रहे तेजस्विन ने एक बात कही थी कि एथलीट का काम कोर्ट जाना नहीं बल्कि मैदान पर खेलने का होना चाहिए। तेजस्विन की उपलब्धि के बाद सोशल मीडिया पर अब AFI की जमकर किरकिरी भी हो रही है।

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Edited by Prashant Kumar