पुलेला गोपीचंद ने खोली पोल, बताया- खिलाड़ी क्‍यों ट्रेनिंग में कर रहे हैं ढिलाई

पुलेला गोपीचंद
पुलेला गोपीचंद

भारत के हेड कोच पुलेला गोपीचंद ने बुधवार को कहा कि खिलाड़‍ियों में ट्रेनिंग शुरू करने के लिए थोड़ी ढिलाई बरती जा रही है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण अंतरराष्‍ट्रीय बैडमिंटन कैलेंडर में कई बार बदलाव देखने को मिल रहे हैं। विश्‍व बैडमिंटन महासंघ (बीडब्‍ल्‍यूएफ) ने कई शीर्ष टीमों के नाम वापस लेने के बाद 3-11 अक्‍टूबर तक होने वाले थॉमस एंड उबर कप को अगले साल तक के लिए स्‍थगित कर दिया है। कोरोना वायरस के कारण शीर्ष टीमों ने इस टूर्नामेंट से नाम वापस लिया, जिससे अंतरराष्‍ट्रीय बैडमिंटन की वापसी होने जा रही थी। विश्‍व संस्‍था ने 20-25 अक्‍टूबर तक होने वाले डेनमार्क मास्‍टर्स 2020 को भी रद्द कर दिया है।

पुलेला गोपीचंद ने भारतीय एथलेटिक्‍स संघ (एएफआई) द्वारा आयोजित वेबीनार में कहा, 'मेरा मानना है कि हमारे खिलाड़‍ियों को इस तथ्‍य पर विश्‍वास नहीं है कि हमारा बैडमिंटन कैंलेंडर जल्‍द ही शुरू होने वाला है। इसलिए खिलाड़‍ियों की तरफ से ट्रेनिंग शुरू करने में ढिलाई देखने को मिल रही है। खिलाड़ी एकसाथ ट्रेनिंग करने पर अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं।' हाल ही में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़‍ियों ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के क्‍वारंटीन नियमों को मानने से इंकार कर दिया था। इसके चलते थॉमस एंडर उबर कप के लिए होने वाले ट्रेनिंग कैंप को रद्द करना पड़ा था।

हालांकि गोपीचंद का मानना है कि ट्रेनिंग चिंता का विषय नहीं है क्‍योंकि एक बार अंतरराष्‍ट्रीय इवेंट्स शुरू होंगे तो फिर खिलाड़ी दोबारा ट्रेनिंग की तरफ लौट आएंगे। उन्‍होंने कहा, 'अगर सभी संभावनाओं के साथ दानिश ओपन होता तो सभी खिलाड़ी ज्‍यादा मेहनत करते।'

पुलेला गोपीचंद को इस बात की है खुशी

पुलेला गोपीचंद ने कहा कि महामारी ने खिलाड़‍ियों पर विभिन्‍न तरह से असर डाला है और कुछ ने इसका भरपूर उपयोग करके फायदा उठाया। गोपीचंद ने कहा, 'कुछ खिलाड़‍ियों के लिए महामारी का समय अच्‍छा रहा क्‍योंकि उन्‍हें समय का पूरा फायदा उठाया। मैं सभी के लिए नहीं कहता, लेकिन कुछ खिलाड़‍ियों ने ट्रेनिंग शुरू की तो वो अपनी सर्वश्रेष्‍ठ आकार में नहीं थे, जैसे कि उनसे उम्‍मीद थी।'

दुनियाभर में खेल गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। यूएस ओपन, एफ1 रेस, अंतरराष्‍ट्रीय फुटबॉल और क्रिकेट बायो-बबल में वापसी करने में सफल रहे। गोपीचंद ने कहा, 'पहले दो महीने आराम का समय था। अगले दो-तीन सप्‍ताह अभ्‍यास शुरू करने का समय था, लेकिन अब भविष्‍य के बारे में तैयारी शुरू करने का समय आ गया है।' 2006 में भारतीय बैडमिंटन की बागडोर संभालने वाले गोपीचंद ने कहा कि देश को स्थिति में खुद को ढालते हुए लीग शुरू करना होगी जहां शीर्ष खिलाड़ी एक-दूसरे के खिलाफ बायो-बबल में प्रतिस्‍पर्धा कर सकें।