हाल के दिनों में टीम इंडिया में बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ आशीष नेहरा का प्रदर्शन कमाल का रहा है, और भारत को सफलता दिलाने में इस 37 वर्षीय गेंदबाज़ ने क़ाबिल-ए-तारीफ़ प्रदर्शन किया है। ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर 5 साल बाद टीम में वापसी करने वाले नेहरा एशिया कप और वर्ल्ड टी-20 में महेंद्र सिंह धोनी के सबसे बड़े ट्रंप कार्ड साबित हुए हैं। 1999 में भारत के लिए डेब्यू करने वाले नेहरा का करियर काफ़ी उतार चढ़ाव भरा रहा है। 17 सालों से नेहरा भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं, और 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ उनकी घातक गेंदबाज़ी आज भी सभी के ज़ेहन में ज़िंदा है। 2011 वर्ल्डकप विजेता टीम का भी हिस्सा थे आशीष नेहरा। काफ़ी सालों तक टीम इंडिया का हिस्सा न रहने का मलाल नेहरा को आज भी है, नेहरा ने कहा, "मैं ये सोच कर हैरान हो जाता हूं कि मुझे 4-5 सालों तक टीम में चुना क्यों नहीं गया था। 2009 से लेकर 2011 के बीच किया गया मेरा प्रदर्शन ये दर्शाता है कि मैं उस वक़्त भारतीय टीम का बेहतरीन गेंदबाज़ था। 2011 वर्ल्डकप के दौरान मैं सेमीफ़ाइनल मुकाबले में चोटिल हुआ और फिर टीम से ही ग़ायब हो गया। यहां तक कि उस दौरान पीयूष चावला और मुनाफ़ पटेल तक को टीम इंडिया में खेलने का मौक़ा मिला, लेकिन मेरा चयन क्यों नहीं हुआ, इसका जवाब शायद बीसीसीआई या चयनकर्ताओं के ही पास होगा।" नेहरा का ये मलाल और चयनकर्ताओं की ओर उठता ये सवाल बिल्कुल जायज़ है, सही मायनों में नेहरा जैसे गेंदबाज़ का कई सालों तक टीम से बाहर रहना हैरान करता है। 2015 के आख़िर में जब क़रीब 5 साल बाद इस 37 वर्षीय गेंदबाज़ की ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भारतीय टी-20 टीम में वापसी हुई, तो कईयों ने नेहरा की उम्र का हवाला देते हुए उनकी आलोचना भी की और कहा कि टी-20 युवाओं का खेल है। लेकिन नेहरा ने इन सारी बातों को झूठा साबित करते हुए बेहतरीन वापसी की और अब आईपीएल में सनरइज़र्स हैदराबाद के लिए भी दमदार प्रदर्शन दे रहे हैं। नेहरा ने कहा, "ये सब आपके दिमाग़ में होता है, टी-20 युवाओं का खेल है ये सच नहीं, बल्कि मीडिया का बनाया हुआ है। अगर हम अच्छा प्रदर्शन नहीं करते तो आप कह सकते थे कि टी-20 युवाओं का खेल है। मुझे लगता है कि मैदान पर आप कैसा प्रदर्शन करते हैं, मायने वह रखता है आपकी उम्र नहीं।" नेहरा ने सिर्फ़ बातों से ही नहीं बल्कि मैदान पर अपने प्रदर्शन से भी आलोचकों को करारा जवाब दिया है।