इंडियन सुपर लीग उन तमाम भारतीय फुटबॉल खिलाड़ियों का जवाब है, जो अभी तक खुद की पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। आईएसएल का पहला उद्देश्य भारतीय फुटबॉल खिलाड़ियों को एक प्लेफॉर्म मुहैया कराना है जिससे भारत के फुटबॉलर्स की प्रतिभा को सबके सामने लाया जा सके और ये भी सुनिश्तिच किया जाए कि भारतीय फुटबॉल टीम में खिलाड़ियों का निरंतर प्रवाह बना रहे। अगर, अब तक के इंडियन सुपर लीग के सफर पर नजर डालें, तो वो एक सफल इवेंट रहा है। अब दर्शकों को अपनी पसंदीदा टीम के नाम के अलावा खिलाड़ियों के नाम भी याद होने लगे हैं। एक नजर उन 5 भारतीय फुटबॉल खिलाड़ियों पर, जिनका करियर आईएसएल ने बदल दिया:
- रेहनेश टीपी
निसंदेह रेहनेश टीपी इस टूर्नामेंट की सबसे बड़ी खोज हैं। 23 वर्षीय इस केरला के गोलकीपर ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर नॉर्थ ईस्ट यूनाइटिड एफसी टीम की प्लेइंग 11 से अनुभवी विदेशी कीपर्स को बाहर कर दिया है। आईएसएल के पहले सीजन में रेहनेश ने दिल्ली डायनामोज और एफसी सिटी पूणे के खिलाफ कई खतरनाक गोल रोके और मैच के परिणाम तक बदलने में कारगर साबित हुए। दूसरे सीजन में भी टीपी का शानदार खेल जारी रहा, हालांकि टूर्नामेंट की शुरुआत में उन्हें टीम में अपनी जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। आईएसएल के शुरुआत में नॉर्थ ईस्ट यूनाइटिड अपने प्रदर्शन से दर्शकों को खुश करने में असफल रही लेकिन रेहनेश की वजह से गोल कीपिंग क्षेत्र में ये टीम मजबूत हुई और मैदान पर इसका भाग्य भी बदल गया। सेट पीस के दौरान निडर और हवा में शानदार होने की वजह से, रेहनेश इस टीम के बड़े खिलाड़ी बनकर उभर सकते हैं। अगर उनका शानदार प्रदर्शन आगे भी इसी तरह जारी रहा तो, वो भारतीय फुटबॉल की दुनिया में आईएसएल की बड़ी देन साबित होंगे।
- अनस एडाथोडिका
29 वर्षीय दिल्ली डायनामोज के इस खिलाड़ी ने अपन मौके को खूब भुनाया। उनके प्रदर्शन से प्रभावित होकर, दिल्ली डायनामोज के कोच रॉबर्टो कार्लोस ने कहा, “अनस शानदार खिलाड़ी हैं और उन्हें नेशनल टीम में मौका मिलना चाहिए।” पिछले सीजन में केरला के इस डिफेंडर ने अपने बेहतरीन खेल के दम पर दिल्ली डायनामोज को नॉकआउट स्टेज तक पहुंचाने में अहम भुमिका निभाई थी। फुटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी जॉन आर्ने के साथ खेलने से, अनस ने आर्ने के साथ एक अच्छी जोड़ी बना ली है, जिससे दिल्ली डायनामोज को काफी फायदा होगा। अनस ने एफसी पूणे सिटी के खिलाफ तेजी से हैहर कर गोल दागा और फुटबॉल जगत को अपनी हैडर करने की क्षमता को बखूबी दर्शाया। 29 वर्षीय इस खिलाड़ी के पास खुद को साबित करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं है, लेकिन अनस आईएसएल के शुक्रगुजार हैं, उन्हें यहां अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला।
3 रोमियो फर्नांडिस
24 वर्षीय गोवा का ये विंगर पहला भारतीय है जिसने सीनियर साउथ अफ्रीकन क्लब से खेलकर इतिहास रच दिया। रोमियो अपने घरेलू क्लब एफसी डेम्पो से समय लेकर 15 फरवरी 2015 को ब्राजील के एक क्लब से जुड़ गए। गोवा के इस मिडफील्डर ने आईएसएल के दोनों सीजन में शानदार खेल दिखाया। रोमियो ने पहले सत्र में कुल तीन गोल दागे हैं और दूसरे सीजन में 2 गोल किए। एफसी गोवा के कोच जीको आईएसएल में रोमिये के खेल से काफी प्रभावित हैं और उन्होंने इस मिडफील्डर के ब्राजील क्लब से जुड़ने में अहम रोल निभाया था। रोमिये से काफी उम्मीदें है और उन्हें इस टूर्नामेंट की खोज के रुप में भी देखा जाता है। 4. जेजे लालपेखलुआ
2011 में भारतीय टीम में डेब्यू करने वाले जेजे को भारत के उभरते हुए खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है। जेजे, चेन्नईयन एफसी के लिए खेलते हैं और आईएसएल के पहले सीजन में 4 गोल और एक असिस्ट उनके नाम दर्ज है। लेकिन उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दूसरे सीजन में देखने को मिला, जहां उन्होंने अपनी शानदार फॉर्म दिखाते हुए चेन्नईयन एफसी को खिताब जीताने में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। मिजोरम के इस स्ट्राइकर के नाम 6 गोल और 4 असिस्ट दर्ज हैं। जेजे ने स्ट्राइकर स्टीवन मनडोजा के साथ अच्छी साझेदारी निभाई और ये जोड़ी विरोधी टीम के डिफेंडर्स पर कहर बनकर टूटी। जेजे आईएसएल के दूसरे सीजन में, पहले सत्र से ज्यादा फिट और मसकुलर नजर आए, और अपनी फिटनेस की वजह से उनको अपने खेल को बेहतर करने में भी मदद मिली। आईएसएल के बाद, जेसे अपने क्लब मोहन बागान और भारतीय टीम के लिए खेलते हैं। 5. संदेश झिंगन
अगर असल में कोई नीता अंबानी को आईएसएल की शुरुआत करने के लिए शुक्रिया अदा करना चाहता है, तो वो निसंदेह केरला ब्लास्टर्स के डिफेंडर संदेश झिंगन होंगे। 2014 में आईएसएल की शुरुआत के वक्त कोई संदेश झिंगन का नाम तक नहीं जानता था, लेकिन जैसे-जैसे आईएसएल आगे बढ़ता गया, चंडीगढ़ का ये खिलाड़ी अपने शानदार खेल से भारतीय फुटबॉल में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा। झिंगन ने आईएसएल 2014 के फाइनल में केरला ब्लास्टर्स के लिए अहम रोल निभाया, हालांकि कोलकाता खिताब जीतने में कामयाब रहा। उनकी फिटनेस और खेल को पढ़ने की क्षमता उन्हें एक मजबूत डिफेंडर बनाती है। आईएसएल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के बाद उन्हें टीम इंडिया में खेलने का मौका मिला और तब से वो लगातार भारतीय टीम का हिस्सा हैं।