जब भी हम फुटबॉल की दुनिया में सबसे बड़े क्लबों के बारे में बात करते हैं, तो दिमाग में सबसे पहला नाम एफसी बार्सिलोना का ही आता है। स्पेन के सबसे बड़े क्लबों में से एक बार्सिलोना ने स्पैनिश फुटबाल को बदल कर ही रख दिया और फुटबाल के दुनिया के नक्शे पर स्पेन का उभार हुआ। बार्सिलोना को ना सिर्फ फुटबाल की दुनिया बल्कि खेलों की दुनिया का सबसे मशहूर क्लब माना जाता है। अगर हम सीधे शब्दों में कहें तो इस क्लब में कुछ अलग और कुछ अनूठी बात है, जो इसे लोकप्रिय बनाती है। आज हम इसकी लोकप्रियता के 5 प्रमुख कारणों को ढूढ़ने की कोशिश करेंगे।
हमें इस बात का पता होगा कि कैटालोनिया जो वर्तमान में स्पेन का एक भूभाग है, पर एक अलग भाषा, इतिहास और संस्कृति होने के कारण एक अलग और स्वतंत्र देश बनने की ख्वाहिश रखता है। इस बात पर बहस हो सकता है कि क्या एक स्वतंत्र कैटालोनिया की मांग जायज है या नहीं, पर बार्सिलोना एक स्वतंत्र कैटालोनिया के विचार का समर्थन करता है। कुछ महीने पहले ही इस क्लब ने स्पैनिश सरकार से स्वतंत्र कैटालोनिया के लिए जनमत कराने की मांग की है, जबकि स्पैनिश सरकार इस मांग का विरोध करती है। इस क्लब का नीति वाक्य है 'मेस क्वी अन क्लब' जिसका अर्थ होता है 'एक क्लब से कहीं ज्यादा' और एक फुटबाल क्लब होकर भी इस तरह की राजनीतिक मांग का समर्थन करना बताता है कि सच में बार्सिलोना एक क्लब से कहीं ज्यादा है। हालांकि कैटालोनिया का एक और फुटबॉल क्लब 'आरसीडी स्पेनॉल' है, जो ला लीगा में कैटालोनिया का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन यह बार्सिलोना ही है जिसके पास अपना खुद का इतिहास, खुद की सफलता और दुनिया भर में लाखों प्रशंसकों का समर्थन है। ऐसे क्लब दुनिया में बहुत कम है जो एक पूरे देश या किसी देश के विचार का प्रतिनिधित्व करते हैं, पर बार्सिलोना उनमें से एक है। यही कारण है कि बार्सिलोना विश्व की सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय टीमों में से एक है। #2 सफलता का एक लंबा इतिहास बार्सिलोना ना सिर्फ यूरोप के सबसे बड़े क्लबों में से एक है बल्कि सबसे सफल टीमों में से भी है। मैनचेस्टर यूनाइटेड और बायर्न म्यूनिख जैसे दूसरे बड़े क्लब भी सफलता के मामले में बार्सिलोना से कहीं पीछे हैं। बार्सिलोना की यह सफलता आश्चर्यजनक और अभिभूत कर देने वाली है। अगर हम बार्सिलोना के खिताबों की बात करें तो बार्सिलोना ने ला लीगा को 24 बार, कोपा डेल रे कप को 29 बार, सुपरकोपा डी एस्पाना (स्पैनिश सुपर कप) को 12 बार और 5 बार अन्य छोटे घरेलू खिताब जीते हैं। वहीं यूरोप के स्तर पर उन्होंने पांच बार चैंपियंस लीग,पांच बार यूएफा सुपर कप और चार बार यूरोपियन कप का खिताब जीता है। इसके अलावा तीन मौकों पर बार्सिलोना ने फीफा वर्ल्ड क्लब कप का खिताब भी अपने नाम किया है। बार्सिलोना की सबसे कड़ी प्रतिद्वंदी रियल मैड्रिड ने भले ही बार्सिलोना से अधिक ला लीगा और चैंपियंस लीग का खिताब जीता हो, पर ओवरऑल रिकॉर्ड में बार्सिलोना रियल मैड्रिड को मात दे देता है। जहां बार्सिलोना के पास कुल मिलाकर 90 ट्राफियां हैं, वहीं रियल के पास सिर्फ 85 खिताब हैं। रियल मैड्रिड से पीछे दूसरे स्थान पर रहना बार्सिलोना के लिए कोई शर्म की बात भी नहीं है, आखिर रियल मैड्रिड भी विश्व फुटबॉल के सबसे लोकप्रिय क्लबों में से एक है। #3 महान खिलाड़ियों से भरी एक टीम किसी क्लब या टीम को उसके खिलाड़ी ही महान बनाते है और बार्सिलोना भी कोई अपवाद नहीं है। फिलहाल बार्सिलोना के पास मेसी, सुआरेज और नेमार यानि ‘MSN’ की तिकड़ी है, जो वर्तमान समय के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से हैं। यूरोपीय फुटबाल में यह तिकड़ी वर्तमान युग की संभवतः सबसे खतरनाक आक्रमण पंक्ति है और इन तीन महान खिलाड़ियों की उपस्थिति किसी भी टीम को महान बनाने के लिए काफी है। सिर्फ वर्तमान नहीं बार्सिलोना क्लब का इतिहास भी महान खिलाड़ियों से भरा पड़ा है। जहां 70 के दशक में इस टीम के पास डच स्टार जोहान क्रयफ और जोहान निसकेंस जैसे खिलाड़ी थे, वहीं 80 के दशक में महान डिएगो मैराडोना के साथ दिग्गज इंग्लिश फुटबॉलर गैरी लिनेकर ने इस क्लब को अपनी सेवाएं दी थी। लेकिन यह 90 का दशक था जब टीम में इक्का दुक्का महान खिलाड़ी नहीं बल्कि पूरी टीम ही महान और दिग्गज खिलाड़ियों से भर गई। 1988-89 में जोहान क्रयफ ने टीम में एक मैनेजर के रूप में वापसी की और उन्होंने एक ऐसा टीम बनाया, जो 'ड्रीम टीम' के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई। इस ड्रीम टीम में रोमारियो, हरिस्टो स्टोइचकोव, जॉर्ज हैगी और लाउड्रप ब्रदर्स जैसे अपने समय के महान खिलाड़ी शामिल थे। 90 के दशक के अंत में इस टीम में लुईस फिगो, रोनाल्डो, रिवाल्डो, रोनाल्डिन्हो और सैमुअल ईटो जैसे बड़े खिलाड़ी शामिल हुए। फिर 2000 के दशक में पेप गार्डियोला का एक महान टीम दुनिया के सामने दिखा। वास्तव में बार्सिलोना की तरह किसी भी और क्लब के पास प्रतिष्ठित खिलाड़ियों का ऐसा इतिहास नहीं है। #4 सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ क्लब निःसंदेह क्रूफ की 'ड्रीम टीम' एक महान साइड थी, लेकिन 2000 के दशक के अंतिम वर्षों की पेप गार्डियोला की टीम बार्सिलोना की सभी टीमों पर 20 साबित होती है। अपने समय के दिग्गज मिडफील्डर गार्डियोला ने 2008 में बार्सिलोना के युवा टीम को कोचिंग दिया। इस दौरान गार्डियोला ने खेल के एक नई तकनीक का ईजाद किया, जिसे 'टिकी-टाका' कहा गया। इस तकनीक में खिलाड़ी लंबे पास की जगह छोटे-छोटे पास पर भरोसा करते है, ताकि बॉल पर अधिक समय तक कब्जा रखा जा सके। इसके अलावा मिडफील्डर्स को डिफेंस में भी प्रयोग करना ताकि उनके पासिंग क्षमता का अधिक से अधिक उपयोग किया जा सके। वहीं इस शैली में गोलकीपर को हाथों से अधिक अपने पैरों का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है ताकि वह जोरदार किक लगा के कम समय में ही गेंद को दूसरे पाले में पहुंचा दे। इस नई तकनीक का प्रयोग अन्य टीमों ने भी करने की कोशिश की, लेकिन जिस बेहतर ढंग से बार्सिलोना ने इसका इस्तेमाल किया कोई और टीम नहीं कर पाई। इसकी एक प्रमुख वजह यह थी कि बार्सिलोना के खिलाड़ी क्लब के 'ला मेसिया' एकेडमी से टिकी-टाका के गुर सिख कर आते थे। लियोनेल मेसी, जावी, आंद्रे इनिएस्ता, पेड्रो इस नई शैली के प्रतीक बन कर उभरें, वहीं मिडफील्डर्स कार्लोस प्यूओल और गेरार्ड पिक को इस शैली का उस्ताद माना जाने लगा। इस कारण कुछ विशेषज्ञ इस टीम को फुटबॉल इतिहास का सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ क्लब मानते हैं। हालांकि कुछ क्लब दावा कर सकते हैं कि उनके पास एक ऐसी टीम थी जो सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ क्लब होने के योग्य है। लेकिन उनमें से बहुत कम ही ऐसा कह सकते हैं कि उन्होंने खेलने की एक नई शैली को विकसित किया और उससे दूसरी टीम भी प्रभावित हुई। यही कारण है कि बार्सिलोना कुछ अलग और खास है। #5 रियल मैड्रिड के साथ प्रतिद्वंदिता फुटबॉल खेलने वाले हर देश में कुछ ऐसे क्लब होते हैं, जिनके बीच कड़ी प्रतिद्वंद्विता रहती है। स्कॉटलैंड में 'ग्लासगो डर्बी' के नाम से मशहूर सेल्टिक और रेंजर्स, इटली में मिलान और इंटर मिलान और इंग्लैंड में मैनचेस्टर यूनाइटेड और लिवरपूल कुछ ऐसे क्लब हैं, जिनकी आपसी प्रतिद्वंद्विता देखते बनती है। लेकिन ये बार्सिलोना और रीयल मैड्रिड के बीच प्रतिद्वंद्विता के सामने कहीं नहीं टिकते, जिनका एक-दूसरे के विरुद्ध गेम 'अल-क्लासीको' के रूप में जाना जाता है। यह प्रतिद्वंदिता सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि ये दोनों स्पेन के सबसे बड़े शहर हैं, बल्कि इनके राजनीतिक विचार भी परस्पर धुर विरोधी हैं। जहां बार्सिलोना कैटोलोनिया की स्पेन से आजादी का समर्थक है, वहीं रियल मैड्रिड एक एकीकृत स्पेन राष्ट्र का समर्थन करता है। इन दोनों क्लबों के प्रतिद्वंदिता का एक लम्बा इतिहास रहा है। उदाहरण के लिए, दोनों क्लबों के बीच 1950 के दशक में अल्फ्रेडो डी स्टीफानो का ट्रांसफर विवाद हुआ था। दोनों क्लबों ने दावा किया कि हमने स्टीफानो का पंजीकरण पहले किया है। मामला इतना बढ़ गया कि फीफा को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। फीफा ने दोनों क्लबों को एक विकल्प सुझाया कि स्टीफानो एक- एक साल के लिए दोनों क्लबों की तरफ से खेलें। पर बार्सिलोना ने इस सुझाव को नामंजूर कर दिया और स्टीफानो रियल मैड्रिड के हो कर रह गए और उन्होंने मैड्रिड को अभूतपूर्व सफलताएं दिलाई। हालिया समय में जब पुर्तगाली स्टार लुइस फिगो बार्सिलोना को छोड़कर रियल मैड्रिड का दामन थाम रहे थे, तब उन्हें बार्सा समर्थकों के गुस्से का शिकार होना पड़ा था। अगर हम इन दोनों चिर प्रतिद्वंदियों के बीच हुए प्रतिस्पर्धी मुकाबले की बात करें तो रियल मैड्रिड 93 जीत के साथ बार्सिलोना के 91 जीत से दो कदम आगे है। लेकिन अगर प्रतिस्पर्धी मुकाबलों के साथ दोस्ताना मुकाबलों को भी मिला लिया जाए तो रियल मैड्रिड के 97 के मुकाबले बार्सिलोना के 110 जीत हो जाते हैं। इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कड़ी प्रतिद्वंदिता के कारण दोनों टीमों के खेल में आश्चर्यजनक सुधार होता है, जो इन दोनों क्लबों की महानता को बढ़ाते हैं। अल-क्लासीको जैसे कड़े मुकाबले भी बार्सिलोना की लोकप्रियता और प्रसिद्धि में इजाफा करता है।