बार्सिलोना क्लब की स्थापना हुए 100 से अधिक वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन बार्सिलोना के किसी भी फैन के लिए यह सोचना एक बचकानी बात होगी कि इस क्लब में कोई खामी या कोई बुरी बात नहीं है। ऐसा सोचना भोलापन ही होगा कि पिछले 100 सालों में क्लब या क्लब से जुड़े लोगों ने ऐसी कोई गलती नहीं की हो, जिससे उन्हें शर्मसार होना पड़े। भले ही बार्सिलोना के पास इतनी ट्राफियां हो जिनसे एक पूरा अपार्टमेंट भरा जा सकता है, लेकिन उन अपार्टमेंट्स के कोने में क्लब के कुछ ऐसे ‘राज’ भी पड़े मिल जाएंगे जिनके बारे में वे कतई बात नहीं करना चाहेंगे, बल्कि वे चाहेंगे कि दुनिया इसे जल्द से जल्द भूल जाए। अच्छी बात ये है कि उनकी टीम कई सालों से इतना अच्छा खेल रही है कि उनके समर्थक जानते हुए भी उनके शर्मनाक रहस्यों को भूला देते हैं। इन रहस्यों में कुछ मजाकिया बातें हैं, तो कुछ ऐसी भी बातें हैं जो कानून का गंभीर अतिक्रमण करती हैं। अब बातों को हम बिना घुमाए एफसी बार्सिलोना के उन 6 रहस्यों के बारे में बात करेंगे जो वे नहीं चाहते कि आप जानें: #6 सुअर की धड़ वाली घटना बार्सिलोना और रीयल मैड्रिड के बीच प्रतिद्वंद्विता इतनी कड़वी है कि दोनो क्लब एक दूसरे के साथ शायद ही किसी खिलाड़ी का लेन-देन या ट्रांसफर बिजनेस करते हैं। लेकिन लुईस फिगो को साइन करते वक्त इन दो स्पैनिश दिग्गज क्लबों ने एक बार इस अनिधकृत नियम को तोड़ा था। पूर्व पुर्तगाली कप्तान लुईस फिगो को आमतौर पर एक ग्लेक्टिकॉस यानि मैड्रिड का स्टार माना जाता है। लेकिन कुछ लोग भूल जाते हैं कि वह पहले बार्सिलोना के खिलाड़ी थे और उनके ट्रांसफर के समय कुछ ऐसा घटनाक्रम घटा जिसे बार्सिलोना के फैन विश्वासघात मानते थे। यही कारण है कि एल-क्लासिको के एक मैच के दौरान, जब फिगो कॉर्नर ले रहे थे तब गुस्साए बार्सिलोना के समर्थकों ने उन पर एक कटे हुए सूअर का सिर और व्हिस्की की एक बोतल फेंक दी थी। यह क्लब के लिए एक शर्मसार करने वाली घटना थी और वे निश्चित रूप से नहीं चाहते है कि लोग इस घटना को याद रखें। #5 'क्युल्स' बार्सिलोना के प्रशंसकों को 'क्युल्स' नाम से भी जाना जाता है। यदि आप इस शब्द के अर्थ से अनजान हैं, तो आपको नहीं पता लग पाएगा कि एक कैटलन (बार्सिलोना के प्रशंसक) के लिए यह कितना शर्मनाक है। दरअसल 'क्यूल' एक कैटलोनियन भाषा का शब्द है जिसका मूल रूप से अर्थ होता है 'नितम्ब' या 'पुठ्ठा'। दरअसल यह 1920 के दौर का किस्सा है जब बार्सिलोना के पास 'कैंप नाऊ' नहीं एक छोटा सा स्टेडियम 'कैंप डे ला इंडस्ट्रिया' होता था। इस स्टेडियम की क्षमता सिर्फ 20,000 थी। स्टेडियम में भारी भीड़ के कारण कई दर्शक ऐसे भी होते थे जिन्हें सीट नहीं मिलता था और वे स्टेडियम के बॉउंड्री रेलिंग्स पर अपने पुठ्ठे या चूतड़ को लटका कर बैठते थे। इस कारण से स्टेडियम के पास से गुजरने वाले लोगों को स्टेडियम की तरफ देखने पर सिर्फ उनका पुठ्ठा ही दिखता था। धीरे-धीरे बार्सिलोना के समर्थकों को ‘क्यूल’ नाम से ही पुकारा जाने लगा। हालांकि अब बार्सिलोना एक बड़े स्टेडियम 'कैंप नाऊ' में खेलता है पर अब भी उनके समर्थकों के लिए यहीं नाम प्रयोग किया जाता है। हालांकि कई लोग इसके सही अर्थ को नहीं जानते है और ना बार्सिलोना चाहता है कि उसे जाना जाए। आखिरकार, कौन चाहता है कि उनके समर्थकों को 'पुठ्ठा' या 'चूतड़' कहा जाए? #4 बार्सिलोना ब्रांड है, अब यह भी बिकता है 2011-12 के सीजन से पहले दूसरे क्लबों से उलट बार्सिलोना का कोई भी कॉर्पोरेट प्रायोजक नहीं होता था और बार्सिलोना इस पर गर्व भी करता था। यह बार्सिलोना के लाखों प्रशंसकों के लिए भी गर्व की बात होती थी कि उनकी टीम किसी कॉर्पोरटे घराने से बिकती नहीं है। हालांकि, पहली बार अपने नीति में परिवर्तन करते हुए उन्होंने 2006 में यूनिसेफ को एक कॉर्पोरेट प्रायोजक के रूप में साइन किया। लेकिन इस करार में बार्सिलोना, यूनिसेफ से पैसा लेने के बदले उन्हें ही 1.5 मिलियन यूरो हर साल चैरिटी के रूप में देता था। 111 साल बाद 2011-12 के सीजन की शुरूआत में बार्सिलोना ने अपनी यह परंपरा तोड़ी जब उसने कतर फाउंडेशन के साथ पांच साल के लिए 550,000 यूरो का करार किया। अब खबर यह है कि अगले सत्र से जापान की दिग्गज ई-कॉमर्स कम्पनी 'राकुटेन' बार्सिलोना का कॉर्पोरेट प्रायोजक होगा। #3 बार्सिलोना का घर अब 'कैंप नाऊ' नहीं रहेगा बार्सिलोना अपने 60 साल पुराने स्टेडियम 'कैंप नाऊ' की दर्शक क्षमता बढ़ाने और उसे एक नया रूपरंग देने के लिए उसके मरम्मत की योजना बना रहा है। इस नवीनीकरण परियोजना के लिए 600 मिलियन यूरो की एक भारी लागत आ सकती है और क्लब के पास इस खर्च को जुटाने के लिए एकमात्र तरीका है कि वह स्टेडियम के अनेक भागों के नामकरण अधिकार को बड़े-बड़े कॉर्पोरेट घरानों को बेच दे। 'कैंप नाऊ' सिर्फ एक ईमारत या एक स्टेडियम का नाम नहीं बल्कि 1956 से बार्सिलोना की पहचान है, बार्सिलोना का घर है। यही कारण है कि क्लब के अधिकारी और प्रशंसक इस बदलाव को लेकर कतई उत्सुक नहीं है, पर उन्हें यह करना पड़ रहा है। मैनचेस्टर सिटी, आर्सेनल और बायर्न म्यूनिख जैसे क्लब ऐसा पहले कर चुके हैं और अब लगता है कि बार्सिलोना की बारी है। हालांकि बार्सिलोना के प्रशंसकों को उम्मीद है कि स्टेडियम के नाम में कोई बड़ा या खास बदलाव न हो, लेकिन शायद यह 'कैंप राकुटेन' जैसा भी कुछ हो सकता है। #2 अस्पष्ट ट्रांसफर नियम बार्सिलोना के पास ट्रांसफर का कोई निर्धारित और स्पष्ट नियम नहीं है। इन नियमों की अस्पष्टता के कारण कई बार बार्सिलोना को जुर्माना और प्रतिबंध भी झेलना पड़ा है। साल 2015 में युवा खिलाडियों के ट्रांसफर के एक मामले में क्लब को अंतर्राष्ट्रीय स्थानांतरण नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया और इस वजह से क्लब को प्रतिबंध का सामना करना पड़ा। बार्सिलोना पर यह भी आरोप है कि 2013 में ब्राजीलियन स्टार नेमार के सैंटोस से ट्रांसफर के समय उनकी ट्रांसफर राशि भी छुपाई गई थी। इस बात को मीडिया में आने पर स्पेन के एक राष्ट्रीय अदालत ने मामले को संज्ञान में लिया और सितंबर, 2016 में भ्रष्टाचार, कर चोरी और अन्य अनुचित गतिविधियों का आरोप लगाकर क्लब और नेमार के खिलाफ मुकदमा चलाया। दिसंबर 2016 में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बार्सिलोना और नेमार दोनों पर 5.5 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया। इस मामले में नेमार पर टैक्स चोरी का भी आरोप लगा और उन्हें 2 साल की जेल भी हो सकती थी लेकिन वह बच गए। इसलिए कहा जाता है कि अस्पष्ट ट्रांसफर नियम बार्सिलोना के लिए परेशानी और बदनामी दोनों का सबब है। #1 खिताबों की संख्या हाल के सालों में बार्सिलोना के खिताबी जीत की संख्या उसके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी रियल मैड्रिड से कहीं अधिक है, इसलिए वे केवल हाल के अतीत के बारे में बात करते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि लॉस ब्लैंकोस (रियल मैड्रिड) के कैबिनेट में कैटलन (बार्सिलोना) की तुलना में कहीं अधिक ट्रॉफी हैं। यह एक सामान्य सी बात है कि मैड्रिड के पास बार्सिलोना से अधिक चैंपियंस लीग खिताब है। वहीं ला लीगा में भी मैड्रिड 32 खिताबों के साथ बार्सिलोना के 24 खिताब से कहीं आगे है। कोपा डेल रे एकमात्र ऐसी प्रतियोगिता है, जहां पर मैड्रिड पिछड़ता है। हालांकि वे इसकी परवाह भी नहीं करते हैं। लेखक: टीना कविराज अनुवादक: सागर