दिमाग को हम सब बेहद कम तरजीह देते हैं। दिमाग में होने वाली दिक्कतों से आपको इंसान अलग अलग रूप और कार्यों में लिप्त मिलते हैं। ऐसे कई लोग हैं जो दीवारों से बात करते हैं तो वहीं कुछ खुद से ही बात करते हैं। ऐसे भी लोग होते हैं तो खुद और दीवारों की जगह अलग अलग किस्म की आवाजें और खुशबुओं को महसूस करते हैं।
दिमाग में वो ताकत है जो आपको फर्श से अर्श पर बिठा दे और वही आपको इसके विपरीत परिणाम भी दे सकती है। दिमाग का किस तरह से इस्तेमाल करना है ये सबसे ज्यादा जरूरी है। इस बात को ध्यान रखें कि दिमाग के दो हिस्से बताए जाते हैं लेकिन उनमें भी कुछ बेहद जरूरी अंग हैं जिनके बिना आपका दिमाग सही से काम नहीं कर सकता है।
इसमें सेरिब्रम का महत्व सबसे ज्यादा है। सेरिब्रम से ही आपकी बोलने की शक्ति एवं अन्य भावनाएं विकसित होती हैं। सेरिब्रम में जब आप किसी प्रकार की दिक्कत पाते हैं तो आप हकलाते हैं। वहीं जिसका सेरिब्रम विकसित होगा उसका आईक्यू लेवल भी बेहतर होगा। आइए आपको बताते हैं उन परेशानियों के बारे में जो दिमाग में होती हैं और उनका संभावित इलाज। (दिमाग से जुड़ी किसी भी परेशानी में साइकेट्रिस्ट से सम्पर्क जरूर करें या सरकारी अस्पताल के मानसिक विभाग में दिखाएं।)
मानसिक स्वास्थय को ना करें इग्नोर वरना बढ़ सकती हैं दिक्कतें: Maansik Swasthaya Ko Naa Karein Ignore Varna Badh Sakti Hain Dikkatein
डिप्रेशन: Depression
ये एक ऐसी परेशानी है जिससे हर कोई दो चार हो रहा है। इसके बावजूद लोग या तो इसे मानते नहीं हैं या जिसे ये परेशानी है उसकी मदद नहीं करते हैं। डिप्रेशन तब होता है जब आपका मन आपकी सोच और भावनाओं से ज्यादा सोचने और तेज दौड़ने लगता है। ऐसी स्थिति में आप उन चीजों के बारे में सोचने लगते हैं जो शायद कभी सच ही ना हों।
अगर आप इस परेशानी से दो चार हो रहे हैं तो इस बात को समझें कि आपके दिमाग को खून सही मात्रा में नहीं मिल रहा है। इसकी वजह से ये परेशानी हो रही है। एक्सरसाइज या योग करने से आपको लाभ होगा, पानी पीने से भी लाभ होगा, लेकिन अगर मन में खुद या किसी को नुकसान पहुंचाने वाले ख्याल आ रहे हैं या आपको कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है तो आज ही अस्पताल में जाएं। इस बात के बारे में ना सोचें कि लोग क्या कहेंगे। हर विभाग की एमरजेंसी हर अस्पताल में 365 दिन और 24 घंटे चलती रहती है।
सनिग्जोफ्रेनिया: Schizophrenia
सनिग्जोफ्रेनिया एक ऐसा मानसिक विकार है जिसमें इंसान को अजीब आवाजें, अजीब चीजें और खुद में ही कई अलग तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। इस दौरान इंसान को ऐसा लगता है जैसे उसके दिमाग में बैठा कोई इंसान उससे बात कर रहा है। इसके रोगियों को कई बार अजीब लोग दिखने लगते हैं।
'ए ब्यूटीफुल माइंड' नाम की फिल्म में जिस इंसान की जिंदगी को दिखाया गया है उनकी खोजों ने दुनिया में बदलाव ला दिया। वो इस बीमारी से ग्रसित होते हुए भी खुद पर कंट्रोल रख सके क्योंकि आपको खुद पर विश्वास करना चाहिए। यदि आप ऐसा कर सकते हैं तो आप इलाज की तरफ पहला कदम बढ़ा चुके हैं।
ऑब्सेसिव कपल्सिव डिसऑर्डर एवं पर्सनालिटी डिसऑर्डर : Obsessive Compulsive Disorder and Personality Disorder (OCD and OCPD)
इस परेशानी से ग्रसित लोगों को हर चीज, वस्तु, स्थिति एवं अन्य चीज एवं स्थान पर ही चाहिए होती है। ऐसे लोग कई बार हाथों को, बंद हो चुके ताले को, किसी भी घटना को या लोगों को बार बार देखते हैं और उसको तब तक करते रहते हैं जब तक उनका डिसऑर्डर उसे ठीक नहीं मान लेता है।
ऐसी स्थिति के लक्षण आपको बच्चों में भी देखने को मिल सकते हैं। इस स्थिति में ये ना सोचें कि लोग क्या कहेंगे। यदि ये आप में है या आपके बच्चे में है तो ये एक निशानी है कि उसे इलाज की जरूरत है। वैसे इसे कई बार अनुवांशिक भी माना जाता है लेकिन ऐसा हर बार हो ये जरूरी नहीं है। आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और इलाज से ठीक हो जाएंगे।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए है, इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रुप में नहीं लिया जा सकता। कोई भी स्टेप लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें।)