दिमाग कहने में एक शब्द है लेकिन असलियत में ये नसों का एक ऐसा मकड़जाल है जिसे मालिक और कुदरत ने मिलकर एक सुलझे हुए रूप में आपके शरीर के सबसे ऊपरी स्थान में जगह दी है। इस स्थान पर होने का हक दिमाग को हासिल है और ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि ये आपके शरीर के हर काम को कंट्रोल करता है।
दिमाग के अंदर मौजूद हिस्सों के बारे में हम किसी अन्य आर्टिकल में बात करेंगे। इसके उन तीन हिस्सों के बारे में आपको जान लेना चाहिए जो आपकी सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं। इनके नाम हैं सेरीब्रम, हाइपोथैलेमस, और थैलमस। आपके शरीर में थैलमस बाहरी भावनों और प्रभावों के बारे में बताता है, जैसे कि मुक्के या गिरने से लगी चोट, बाहर से आ रहे किसी भी प्रकार के खतरे इत्यादि। हाइपोथैलेमस अंदर के होर्मोनेस, शरीर का तापमान, ब्लड प्रेशर और प्यास, नींद, सेक्स से जुड़ी भावनाओं के बारे में बताता है।
सेरीब्रम के माध्यम से आप अपने शरीर के हर मूवमेंट को कंट्रोल करते हैं। इसमें बोलना, शरीर का मूवमेंट, सीखना और रीजनिंग शामिल है। यही वजह है कि इसपर ध्यान दिया जाता है और आपको भी इसपर ध्यान देना चाहिए। आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी कुछ बेहद जरूरी बातें जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।
हकलाने की दिक्कत को ठीक करने से आपके कॉन्फिडेंस और दिमाग की सेहत में होगा सुधार: Haklaane Ki Dikkat Ko Theek Karne Se Aapke Confidence Aur Dimaag Ki Sehat Mein Hoga Sudhaar
सेरिब्रम से हकलाने की परेशानी को ऐसे कर सकते हैं ठीक: Stop stuttering through cerebrum
जी हाँ, अगर आप सेरिब्रम के कमाल को जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे कि आप जो बोल रहे हैं वो भी इसके कारण ही मुमकिन है। ऐसे कई लोग हैं जिनको बोलने में दिक्कत होती है और वो हकलाते हैं। ऐसे लोगों को अपने सेरिब्रम को ठीक करने के लिए रुक रुककर बोलना चाहिए। हकलाने की स्थिति क्यों पैदा होती है? आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।
हकलाना और डिप्रेशन में क्या कोई समानता है: Does stammering and depression interconnect?
मन में जब भावनाएं या सोच आपके शब्दों से तेज हो जाती है तो उस स्थिति में आप हकलाते हैं और ये डिप्रेशन के पीछे एक बड़ा कारण है । डिप्रेशन में इंसान के दिमाग में सोच हर सेकेंड बदलती है। इससे काफी नुकसान होता है और इंसान हर उस बुरे पल को सोच बैठता है जो सच नहीं होता है। हकलाने के पीछे भी ये कारण है क्योंकि आपका दिमाग बेहद तेजी से सोच रहा होता है और आप उसको बोलने का प्रयास कर रहे होते हैं। अगर इन दोनों में से कोई भी दिक्कत हो, तो डिप्रेशन के मरीज बेवजह अधिक और तेज सोचना और हकलाने वाले अधिक और तेज बोलना बंद कर दें। आपकी परेशानी धीरे धीरे दूर हो जाएगी।
कॉन्फिडेंस की कमी को दर्शाता है: Denotes low self confidence
हिंदी फिल्मों में से एक अमर अकबर एंथोनी में एक डायलॉग है जिसके बोल हैं,'ऐसा तो इंसान लाइफ में दो ही बार भागता है, ओलिंपिक का रेस हो या पुलिस का केस हो।' ये बात आपके कॉन्फिडेंस पर भी लागू होती है क्योंकि एक कॉंफिडेंट इंसान बेहद आराम से और संभलकर बोलता है जबकि कॉन्फिडेंस की कमी वाले लोग तेज बोलने की आदत रखते हैं। अब आप तय करें कि आप किस तरफ होना चाहते हैं।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए है, इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रुप में नहीं लिया जा सकता। कोई भी स्टेप लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें।)