बर्थडे स्पेशल: हॉकी के जादूगर ध्यान चंद के बारे में 10 बातें जो शायद आप नहीं जानते

dhayannn 2

ध्यान चंद को हॉकी का सबसे महान खिलाड़ी माना जाता है। उनकी गोल करने की क्षमता काबिले तारीफ की। भारत के इस शानदार खिलाड़ी के खेल के आगे विरोधी टीमों के डिफेंडर लाचार नजर आते थे। ध्यान चंद ने भारत को 1928, 1932, 1936 के ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने में अहम रोल निभाया। ध्यानचंद के बर्थडे 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रपति खिलाड़ियो और कोच को राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन अवॉर्ड, द्रोणाचार्य अवॉर्ड देते हैं। मेजर ध्यान चंद के जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं। 1-ध्यान ने 16 साल की उम्र में आर्मी जॉइन की और वहीं से हॉकी खेलना शुरु किया। वो रात में काफी प्रैक्टिस किया करते थे, इसी वजह से उनका नाम चंद पड़ा। चांदनी रात में वो ज्यादा प्रैक्टिस करते थे। इसी वजह से लोग उन्हें ध्यान चंद कहने लगे। 2-ध्यान चंद ने 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक गेम्स में सबसे ज्यादा 14 गोल किए। भारत की जीत के बाद एक न्यूज रिपोर्ट में कहा गया, "ये हॉकी का खेल नहीं बल्कि जादू है। ध्यान चंद हॉकी के जादूगर है। 3-वो काफी सारे यादगार मैचों का हिस्सा रहे। लेकिन एक मैच को याद करते हुए वो कहते थे, "अगर कोई मुझसे पूछेगा कि मेरा सबसे यादगार मैच कौन सा है, तो मैं बिना किसी हिचक के कहूंगा कि 1933 में कैलकटा कस्टम्स और झांसी हीरोज के बीच बीगटन कप का फाइनल सबसे यादगार है"। 4-1932 के ओलंपिक में भारत ने अमेरिका को 24-1, जापना को 11-1 से हराया। भारत द्वारा कुल स्कोर किए गए 35 गोल में से ध्यानचंद ने 12, उनके भाई रूप सिंह ने 13 गोल किए। उन्हें हॉकी के जुड़वा कहा जाता था। 5-एक बार ध्यान मैच में स्कोर नहीं कर पाए। जिसके बाद उन्होंने रैफरी को गोल पोस्ट की मेजरमेंट के बारे में बहस की। सभी हैरानी में पड़ गए, जब उनकी बात सच साबित हुई। अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से गोल पोस्ट छोटा था। 6-1936 के बर्लिन ओलंपिक के पहले मैच के बाद दूसरे खेलों को देखने वाले दर्शक हॉकी स्टेडियम में आ गए थे। एक जर्मन अखबार में हैडलाइन थी, "ओलंपिक कॉम्पलैक्स में मैजिक शो भी है"। पूरे बर्लिन में पोस्टर्स लगे हुए थे "हॉकी स्टेडियम आकर भारतीय जादूगर ध्यानचंद को देखिए" 7-काफी सारी रिपोर्ट्स के मुताबिक जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने ध्यान चंद को जर्मनी की नागरिकता और सेना में पोस्ट देने की बात की थी लेकिन ध्यान चंद ने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। 8-1935 में एडिलेड में डॉन ब्रैडमैन और ध्यान चंद की मुलाकात हुई थी। उन्हें खेलते हुए देखकर, ब्रैडमैन ने कहा था, "ये ऐसे गोल स्कोर करते हैं, जैसे मैं रन बनाता हूं"। dhayannn 3 9-ध्यान ने 22 साल के लंबे करियर में 400 से ज्यादा गोल किए। 10-नीदरलैंड्स की हॉकी अथॉरिटी ने एक बार उनकी स्टिक तोड़ दी थी, सिर्फ ये देखने के लिए कि उनकी हॉकी में कहीं चुंबक तो नहीं लगी हुई।

Edited by Staff Editor