हॉकी टीम अंतरराष्‍ट्रीय मैचों की फिटनेस स्‍तर को दोबारा हासिल करने के करीब: ग्राहम रीड

ग्राहम रीड
ग्राहम रीड

कोरोना वायरस महामारी के कारण उनकी टीम की ओलंपिक तैयारियों को दिक्‍कत हुई थी, भारतीय पुरुष हॉकी टीम के प्रमुख कोच ग्राहम रीड को उम्‍मीद है कि अगले साल की शुरूआत में जल्‍द ही अंतरराष्‍ट्रीय हॉकी एक्‍शन शुरू होगा। ग्राहम रीड ने कहा कि जितनी जल्‍दी भारतीय टीम को अंतरराष्‍ट्रीय मैच खेलने को मिलेंगे, उतनी ही बेहतर उसकी टोक्‍यो ओलंपिक्‍स को लेकर तैयारियां होंगी, जो वैश्विक महामारी के कारण अगले साल तक स्‍थगित हो चुके हैं।

ग्राहम रीड के हवाले से हॉकी इंडिया द्वारा जारी बयान में कहा गया, 'हॉकी इंडिया के समर्थन से हमने अगले साल की शुरूआत में मैचों की योजना बनाई है। यह मुकाबले हमें स्‍तर दर्शाएंगे कि हम वास्‍तव में कहां खड़े हैं और ओलंपिक गेम्‍स में ठीक करने के लिए किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है।' भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के दक्षिण केंद्र में करीब 20 सप्‍ताह राष्‍ट्रीय कैंप में बिताने के बाद भारतीय पुरुष टीम के संभावित खिलाड़ी सप्‍ताहांत पर अपने-अपने घर लौट गए हैं।

ग्राहम रीड खिलाड़‍ियों की फिटनेस से संतुष्‍ट

ग्राहम रीड पिछले चार महीने में खिलाड़‍ियों की प्रगति से संतुष्‍ट हैं और उन्‍होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से पहले जो खिलाड़‍ियों की फिटनेस थी, खिलाड़ी अब दोबारा उस स्‍तर के करीब पहुंच गए हैं। ग्राहम रीड ने कहा, 'हम फिटनेस बरकरार रखने के लिए हरसंभव प्रयास किया और हाल ही में खिलाड़‍ियों को उस स्‍तर पर पहुंचाया कि वह विश्‍व मंच पर प्रतिस्‍पर्धा कर सकें। ताकत, वजन, गति और मांसपेशी को लेकर हमारे फिटनेस टेस्‍ट दर्शाते हैं कि हम लक्ष्‍य पर हैं। हमारे ट्रेनिंग सेशन आउटपुट डाटा हमें फरवरी के आंकड़ें दिखा रही है। मेरा मानना है कि हम पुरानी फिटनेस हासिल करने के बेहद करीब पहुंच चुके हैं।'

ग्राहम रीड को इस बात की खुशी है कि उनके खिलाड़‍ियों ने साई सेंटर में जैव-सुरक्षित माहौल में समर्पण और एकाग्रता दर्शायी। कोच ने कहा, 'पिछले चार महीने में बहुत मुश्किल परिस्थितियां थीं। मुझे खुशी है कि हम कहां हैं और कैसे खिलाड़‍ियों ने साई में जैव-सुरक्षित माहौल में खुद को रखा। आम साल में आप 4-6 सप्‍ताह कैंप में रहते हैं और फिर खिलाड़‍ियों को एक सप्‍ताह की छुट्टी दी जाती है ताकि वह अपने दोस्‍तों और परिवार वालों के साथ समय बिताएं। वीकेंड्स पर खिलाड़ी कैंपस से बाहर, मॉल या सिनेमा देखने चले जाते हैं। हालांकि, इस साल ऐसा कुछ भी नहीं हो सका और सभी खिलाड़‍ियों के लिए मानसिक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण परीक्षण रहा। मगर कोच हैं कि खिलाड़‍ियों ने इस स्थिति को अच्‍छे से संभाला।'

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Edited by Vivek Goel