स्पोर्ट्सकीड़ा एक्सक्लूसिव: मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतना अच्छा डिफेंडर बन पाऊंगा- संदीप नरवाल 

संदीप नरवाल ने हाल ही में 300 टैकल पॉइंट्स पूरे किए
संदीप नरवाल ने हाल ही में 300 टैकल पॉइंट्स पूरे किए

प्रो कबड्डी के मौजूदा सीजन में जहां युवा खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से काफी प्रभावित किया, तो कुछ दिग्गज खिलाड़ी ऐसे भी रहे जोकि अपनी टीम की उम्मीद पर खरा उतरे। यू मुंबा के दिग्गज ऑलराउंडर संदीप नरवाल ने भी टीम को प्लेऑफ में पहुंचाने में अहम रोल निभाया।

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यू मुंबा के लिए खेलते हुए मौजूदा सीजन में 22 मुकाबलों में 69 पॉइंट्स हासिल किए हैं। इसमें 51 टैकल और 18 महत्वपूर्ण रेड पॉइंट्स शामिल हैं। इसके अलावा वो कप्तान फजल अत्राचली के बाद टीम के दूसरे सबसे सफल डिफेंडर हैं।

दिग्गज ऑलराउंडर संदीप नरवाल ने हाल ही में हरियाणा स्टीलर्स के खिलाफ हुए मुकाबले में पीकेएल करियर में 300 टैकल पॉइंट्स भी पूरे किए।

संदीप नरवाल ने दबंग दिल्ली के खिलाफ हुए आखिरी लीग मुकाबले के बाद स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ खास बातचीत की:

-हाल ही में आपने 300 टैकल पॉइंट्स पूरे किए, पीकेएल करियर की शुरुआत में सोचा था कि यह मुकाम हासिल कर पाएंगे?

-मैं प्रो कबड्डी लीग में एक रेडर के तौर पर आया था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतना अच्छा डिफेंडर बनूंगा और 300 टैकल पॉइंट्स हासिल कर पाऊंगा। मुझे बहुत खुशी है कि मैं अब एक डिफेंडर के तौर जाना जाता हूं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर रेडिंग भी करता ही हूं।

-पीकेएल सीजन 7 में अपने प्रदर्शन से आप खुश हैं या आप और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे?

-मैं डिफेंस में अपना शत प्रतिशत दे रहा हूं। टीम के हिसाब से चलना होता है और मैं डिफेंस के साथ रेडिंग का भी अभ्यास कर रहा हूं। मुझे जब भी मौका मिलता या रेडर्स नहीं चलते तो रेडिंग में कुछ अलग करके दिखाता हूं।

-सीनियर खिलाड़ी होने के नाते आपके ऊपर कितना दबाव होता है?

-इतना लंबा सीजन है, तो दबाव होता ही है। जूनियर खिलाड़ियों को कुछ नहीं कहा जाता है। अच्छाई भी हमें मिलती है और बुराई भी हमारे ऊपर आती है। हम जूनियर खिलाड़ी को मोटिवेट करते हैं और उनके दबाव नहीं डालते हैं। सीनियर खिलाड़ी होने के नाते जिम्मेदारी हमारे ऊपर ही सबसे ज्यादा होती है।

-आप पहले भी पीकेएल का खिताब जीत चुके हैं, वो अनुभव प्लेऑफ में टीम के कितना काम आएगा?

-मैंने तीसरे सीजन में खिताब जीता था और उसकी खुशी अलग ही होती है। इस समय सभी टीमें बराबर की है और ज्यादा फर्क नहीं है। दिल्ली के खिलाफ मैच में हमने पिछड़ने के बाद वापसी की और यह ही सबसे बड़ा फर्क अनुभवी और जूनियर खिलाड़ी में देखने को मिलता है। जूनियर खिलाड़ी ऐसे मौकों पर घबरा जाते हैं, लेकिन हम अंतिम समय तक मैच नहीं छोड़ते और पूरी तरह से मोटिवेट करते हैं। हमारा इतनी दूर आए हैं, तो लक्ष्य यह ही रहेगा कि हम फाइनल में पहुंचे।

-आपके कप्तान और लेफ्ट कॉर्नर फजल अत्राचली के साथ आपका तालमेल किस तरह का है?

-फजल अत्राचली के साथ शुरुआत में भाषा समझने में दिक्कत होती थी, लेकिन अब तालमेल काफी शानदार हो गया है। हम दोनों को पता है कि हम कब कहां टैकल करने वाले हैं। हम दोनों ही एग्रेसिव खेलते हैं और पीछे नहीं हटते।

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Edited by मयंक मेहता