जिस खिलाड़ी को हराकर सौरव ने मेडल जीता, उसी के पिता से सीखा स्क्वॉश

ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद खुशी का इजहार करते सौरव घोषाल
ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद खुशी का इजहार करते सौरव घोषाल

35 साल की उम्र और फिटनेस में 20 साल के खिलाड़ी भी मात खा जाएं, ऐसी शख्सियत है स्क्वॉश प्लेयर सौरव घोषाल की जिन्होंने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में पुरुष सिंगल्स कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीत इतिहास रचा है। सौरव पुरुष सिंगल्स स्पर्धा में मेडल लाने वाले पहले भारतीय हैं। खास बात ये है कि विश्व नंबर 15 सौरव ने ब्रॉन्ज मेडल के लिए जिस जेम्स विलस्ट्रोप को हराया, उन्हीं के पिता से सौरव ने काफी समय तक स्क्वॉश सीखा है।

सौरव जेम्स को पिछले 15 सालों से जानते हैं और दोनों काफी अच्छे दोस्त हैं। जेम्स के पिता मैल्कम विलस्ट्रोप प्रोफेशनल स्क्वॉश प्लेयर रह चुके हैं। सौरव ने कुछ साल मैलकम से भी स्क्वॉश के गुर सीखे। इस दौरान वो जेम्स के संपर्क में अच्छे से आए और दोनों ने साथ ट्रेनिंग की। विलस्ट्रोप पूर्व विश्व नंबर 1 स्क्वॉश खिलाड़ी रह चुके हैं और ऐसे में उन्हें हराना सौरव के लिए काफी बड़ी उपलब्धि है।

ब्रॉन्ज मेडल मैच जीतने के बाद सौरव खुशी के कारण बेहद भावुक हो गए
ब्रॉन्ज मेडल मैच जीतने के बाद सौरव खुशी के कारण बेहद भावुक हो गए

मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले सौरव ने स्कूल के समय से ही स्क्वॉश खेलना शुरु कर दिया था। स्कूलिंग के बाद वो चेन्नई की ICL स्क्वॉश अकादमी पहुंचे जहां मेजर मनियम और साइरस पोंचा की देखरेख में उन्होंने अपने खेल पर काम किया। साल 2004 में 18 साल की उम्र में अंडर-19 ब्रिटिश ओपन का खिताब अपने नाम किया। ये खिताब जीतने वाले वो पहले भारतीय बने। 2006 में सौरव एशियन गेम्स में स्क्वॉश का ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2013 में सौरव विश्व चैंपियनशिप के अंतिम 8 में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। सौरव ने करीब 18 सालों तक भारत का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया है और आज देश के टॉप रैंकिंग वाले स्क्वॉश खिलाड़ी हैं।

सौरव ने पिछली बार 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में दीपिका पल्लीकल के साथ मिलकर मिक्स्ड डबल्स का सिल्वर जीता था और बर्मिंघम में उन्होंने अपना दूसरा कॉमनवेल्थ मेडल जीता है। ब्रॉन्ज मेडल मैच जीतने के बाद सौरव की आंखों से आंसू छलक पड़े और दुनिया को पता चला कि ये जीत और ये मेडल इस खिलाड़ी के लिए क्या मायने रखता है। सौरव ने मेडल अपने दादाजी और अपने पूर्व कोच मैल्कम विलस्ट्रोप को समर्पित किया, इन दोनों का निधन हो चुका है।

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