पिता रोज 40 किलोमीटर का सफर तय कर रवि के लिए लाते थे दूध-दही, कॉमनवेल्थ गोल्ड जीतकर रवि ने दिया तोहफा

कॉमनवेल्थ खेलों में रवि का ये पहला गोल्ड और मेडल है
कॉमनवेल्थ खेलों में रवि का ये पहला गोल्ड और मेडल है

टोक्यो ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट पहलवान रवि दहिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड के रूप में एक और पदक अपनी झोली में डाल लिया है। 27 साल के रवि ने पुरुषों की 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी के फाइनल में नाइजीरिया के पहलवान को सवा दो मिनट में ही टेक्निकल सुपिरियोरिटी के आधार पर हराकर अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल जीता। रवि की इस जीत से उनका परिवार भी बेहद खुश है लेकिन इस पहलवान की जीत के पीछे का असली कारण भी उनका परिवार ही है।

हरियाणा के सोनिपत जिले के नाहरी गांव के रहने वाले रवि के परिवार ने बचपन में ही तय कर लिया था कि बेटा कुश्ती सीखेगा। इसके लिए रवि को 10 साल की उम्र में मशहूर कुश्ती पहलवान और गुरु सतपाल सिंह के पास अखाड़े में छोड़ दिया गया था। बेटा कुश्ती की बारीकियां सीखते हुए शारीरिक रूप से मजबूत हो इसके लिए दादी और मां हर रोज दूध, दही, मट्ठा बनाकर रवि के पिता राकेश दहिया को देती थीं जिसे वो करीब 40 किलोमीटर की दूरी तय कर बेटे को दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम अखाड़े में देने जाते थे। फिर यही दूरी तय कर रवि के पिता को वापस भी आना होता था।

रवि ने साल 2015 में जूनियर विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप के सिल्वर के रूप में पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल जीता। साल 2017 में चोट के कारण वो करीब एक साल रेसलिंग की दुनिया से दूर रहे। रवि ने 2018 में अंडर 23 विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप में 57 किलो भार वर्ग का सिल्वर जीता। 2019 की विश्व चैंपियनशिप में भाग लेते हुए रवि ने देश को टोक्यो ओलंपिक का एक कोटा दिला दिया और ब्रॉन्ज भी जीता। 2020 में एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में दहिया ने गोल्ड जीता तो टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर जीत भारत के दूसरे पहलवान बने जो खेलों में चांदी का तमगा लाए हों। उनसे पहला 2012 ओलंपिक में सुशील कुमार ने सिल्वर जीता था।

रवि ने 2020, 2021 और 2022 लगातार तीन साल एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप का गोल्ड जीतने में कामयाबी भी हासिल की। मौजूदा समय में रवि गजब फॉर्म में है। कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला मेडल जीतने के बाद रवि का लक्ष्य अगले साल होने वाली विश्व चैंपियनशिप है और उसके बाद 2024 के पेरिस ओलंपिक में मेडल लाना चाहते हैं।

Quick Links

Edited by Prashant Kumar