दो बार के ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार मंगलवार से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में शुरू होने जा रहे राष्ट्रीय चयन ट्रायल्स का हिस्सा नहीं होंगे। चयन ट्रायल्स के आधार पर कजाख्स्तान के अल्माटी में अप्रैल से शुरू होने वाली एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर्स और एशियाई रेसलिंग चैंपियनशिप्स के लिए फ्री स्टाइल और ग्रीको रोमन का भारतीय रेसलिंग स्क्वाड चुना जाना है।
कोविड-19 महामारी के बाद सुशील कुमार की इस इवेंट से वापसी की उम्मीद की जा रही थी क्योंकि रियो 2016 का कट चूकने के बाद वह टोक्यो का टिकट हासिल करने का लक्ष्य बना चुके हैं। हालांकि, ऐसा नहीं हो पाया। सुशील कुमार ने दिल्ली लेट्स प्ले पब्लिकेशन को दिए वीडियो इंटरव्यू में कहा, 'मैं स्कूल गेम्स संघ के चुनाम में व्यस्त था। इसलिए मैंने हाल के दिनों में ज्यादा ट्रेनिंग नहीं की। मैं किसी भी इवेंट में सर्वश्रेष्ठ तैयारी के साथ उतरना चाहता हूं। इसलिए मैंने फैसला किया है कि ट्रायल्स में हिस्सा नहीं लूं। मैंने दोबारा ट्रेनिंग शुरू की है और जल्द ही अन्य टूर्नामेंट्स में हिस्सा लूंगा।'
सुशील कुमार दोबारा चुने गए अध्यक्ष
सुशील कुमार को भारतीय स्कूल गेम्स संघ का दोबारा अध्यक्ष चुना गया है- जिसका मकसद ओलंपिक और अन्य खेलों को स्कूल के बच्चों में लोकप्रिय बनाना है।
2008 बीजिंग में ब्रॉन्ज मेडलिस्ट और 2012 लंदन में सिल्वर मेडलिस्ट सुशील कुमार 74 किग्रा वर्ग में जगह ढूंढ रहे हैं। इसमें वह नरसिंह यादव और नेशनल चैंपियन संदीप सिंह मान के साथ हैं। एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर्स के स्क्वाड में सुशील कुमार का रहना मुश्किल है। टोक्यो ओलंपिक्स में क्वालीफाई करने के लिए अब सुशील कुमार के पास मई में वर्ल्ड ओलंपिक क्वालीफायर्स में हिस्सा लेकर जगह पक्की करने का मौका होगा।
सुशील के ट्रायल्स से बाहर रहने के फैसले से बाकी खिलाड़ियों को फायदा हो सकता है। सुशील 74 किलोग्राम भारवर्ग में खेलते हैं और इस भारवर्ग में नरसिंह यादव, गौरव बालियान हैं। अगर कोई पहलवान अल्माटी में कोटा जीत लेता है तो सुशील के ओलिंपिक खेलने का सपना टूट सकता है क्योंकि डब्ल्यूएफआई के नियमों के मुताबिक जो देश के लिए कोटा जीतते हैं उन्हीं का चयन होता है। अगर कोई भी खिलाड़ी कोटा नहीं जीत पाता है तो मई में सोफिया में होने वाले विश्व ओलिंपिक क्वालीफायर्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें फिर ट्रायल्स से गुजरना होगा।