अपने भारतीय ओलंपिक खिलाड़ी को जानें: विनेश फोगट (रेसलिंग)

देश की पहली महिला रैसलर्स के परिवार से आई विनेश फोगट का रैस्लिंग में करियर बनाना ही सबसे अच्छा काम है। जुलाई 2014 से विनेश फोगट ने सात अंतराष्ट्रीय मुकाबलों में हिस्सा लिया और छह में जीत हासिल की। इसलिए उनसे रियो ओलंपिक में पदक की उम्मीद है। करोड़ो दर्शकों की उम्मीदें अपने कंधों पर लेकर विनेश फोगट रियो के ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने पहुँच गयी हैं। वे 48 किलो वर्ग फ्रीस्टाइल रेसलिंग में हिस्सा लेंगी। 21 वर्षीय रैसलर जहाँ ओलंपिक में स्वर्ण जीतने की कोशिश करेंगी। हम यहाँ पर उनसे जुड़ी 10 बातें करते हैं:

  1. विनेश का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरयाणा के बलाली गांव में हुआ था। नौ साल की।उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया। फिर उनकी देखभाल उनके अंकल महावीर सिंह फोगाट ने उनकी देखभाल की। महावीर सिंह फोगाट चैंपियन रैसलर्स गीता और बबिता के पिता हैं।
  2. महावीर और उनके परिवालों पर उनके गाँव वालों से काफी दबाब डाला जब उन्होंने अपनी लड़कियों को रेसलिंग के लिए आगे किया। यहाँ तक की उन्हें उनके गांव से भी निकाल दिया गया। लेकिन फोगाट बहनों की कामयाबी ने आज काफी कुछ बदल दिया है और आज वें पुरे गांव की गौरव हैं। महावीर की देखरेख में ही विनेश बड़ी हुई और रेसलिंग के गुण सीखें। अक्सर उन्हें पुरुषों से मुकाबला करना पड़ता था। जल्द ही सभी को उनकी प्रतिभा का पता चला। 2010 में गीता के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण के जीत के बाद विनेश को परिवार के इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कहा गया।
  3. उनमें काबिलियत की तो कोई कमी नहीं थी लेकिन शुरू में उन्होंने रेसलिंग की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन जैसे जैसे अच्छे नतीजे आते गये वैसे ही उनकी इसमें रूचि बढ़ती गयी। उन्होंने साल 2013 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप के 51 किलो वर्ग में कांस्य और रजत पदक जीतकर अपना दम दिखाया।
  4. साल 2014 में विनेश सबकी नजर में आई। ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में 19 वर्षीय विनेश ने अपने पहले ही कामनवेल्थ खेल के महिलाओं के 48 किलो फ्रीस्टाइल रैस्लिंग में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने के इंचियोन एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतकर अपने आप को बड़ा रैसलर साबित किया।
  5. विनेश ने अपना अच्छा खेल जारी रखा और अगले साल एशियाई रैस्लिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। साल 2016 में वें 48 किलो वर्ग की होने के बावजूद 53 किलो वर्ग में मुकाबला किया और कांस्य पदक जीता।
  6. उलान बाटोर, मंगोलिया में हुए उनके पहले ओलंपिक क्वालीफाइंग मुकाबले में उन्होंने 400 ग्राम ज्यादा होने के कारण डिसक्वालीफाई कर दिया गया। भले ही ये उनके लिए बड़ा झटका हो, लेकिन इसके कुछ हफ्ते बाद उन्होंने वापसी करते हुए इस्तांबुल क्वालीफ़ायर के ज़रिये रियो ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई किया। इस दौरान उन्होंने 2014 विश्व चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता इवोना मैकोव्स्का को हराकर स्वर्ण पदक जीता।रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वें पहली महिला रैसलर थी। उसके बाद साक्षी मलिक और उनकी चचेरी बहन बबिता कुमारी ने क्वालीफाई किया।
  7. 21 वर्षीय रैसलर अपने पहले ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए उत्साहिक हैं। उन्होंने दावा किया कि वें ब्राज़ील से स्वर्ण लेकर ही लौटेंगी और उनके रेसलिंग वर्ग में वें सबसे मजबूत रैसलर हैं। "मैं रियो में जाते हुए स्वर्ण के अलावा और कुछ नहीं सोच रही हूँ। मैं किसी दूसरे रैसलर का अपमान नहीं कर रही हूँ, लेकिन मेरे ख्याल से मेरे वर्ग में मैं पदक जीतने की प्रबल दावेदार हूँ। मेरे लेग अटैक (सिंगल और डबल दोनों) का सामना करना मुश्किल हैं। मेरे विरोधियों से पूछ लीजिए।"
  8. प्रो रैस्लिंग लीग के पहले संस्करण में विनेश को दिल्ली वीर के टीम का कप्तान बनाया गया और उन्होंने अपने सभी मुकाबले जीते।
  9. विनेश को JSW स्पोर्ट्स के स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम का साथ मिला हुआ है। उन्हें बचपन से टेनिस पसंद है और टेनिस खिलाड़ी बनाना चाहती थी।
  10. दिसंबर में आमिर खान की मूवी 'दंगल' आ रही है और इसकी कहानी महावीर और फोगाट बहनों पर आधारित है। विनेश का मानना है की ऐसी फ्लिम फोगाट बहनों को और प्रेरित करेगी। "ये अच्छी बात है की बॉलीवुड ऐसे विषय पर काम कर रही है। ताऊजी (महावीर) की ज़िंदगी पर कहानी बनानी चाहिए और इससे कई सारी महिलाएं रैस्लिंग के खेल को अपनाएंगी और इससे फोगाट बहनों को बढ़ावा मिलेगा।"
लेखक: सुदेशना बनर्जी, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी
Edited by Staff Editor