5 WWE सुपरस्टार जिन्हें मानसिक बीमारी का सामना करना पड़ा

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WWE सुपरस्टार अपनी जो छवि दुनिया के सामने रखते हैं, वो एक ऐसे मजबूत इंसान की होती है जिसे किसी भी चीज का असर नहीं होता। प्रो रैसलिंग की दुनिया जहां आपका पूरा भविष्य आपकी छवि पर निर्भर करता है, वहां आपको मजबूत दिखना भी पड़ता है। शायद यही कारण है कि यहां काम करने वाले अधिकतर रैसलर अपनी निजी परेशानियों और मुद्दों को छुपाकर रखते हैं।

खासकर यह मानसिक बीमारियों के लिए तो बिलकुल सत्य है। यह बात थोड़ा हैरान करती है कि कई सारे रैसलर इन बीमारियों का इलाज कराने की अपेक्षा इन्हें छुपाकर रखते हैं जो उनकी मुसीबत और बीमारी को और बढ़ा देता है। क्रिस बैन्वा का उदाहरण इसकी सबसे सटीक मिसाल है।
लेकिन कुछ ऐसे भी रैसलर हैं, जिन्होंने पहले तो इन बीमारियों को पहचाना और फिर इनका मुकाबला करने का फैसला कर लिया। न सिर्फ फैसला किया बल्कि लड़े और जीते भी।
यहां हम ऐसे 5 सुपरस्टार्स का जिक्र कर रहे हैं जिन्होंने मेंटल डिसॉर्डर का डटकर सामना किया और कामयाब हुए।

हल्क होगन : मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर

हल्क होगन प्रो रैसलर के पर्यायवाची बन चुके थे। उनके पास वो सब कुछ था, जो एक कामयाब रैसलर में होना चाहिए। हालांकि एक समय उन्होंने खुद ही इसे दूर कर दिया था।
80 और 90 के दशक में उन्होंने WWE और WCW की रिंग में कदम रखने वाले सबसे कामयाब रैसलर के रूप में अपना ऐसा नाम बनाया कि उनकी लेजेंडरी मौजूदगी आज भी महसूस की जाती है।
लेकिन होगन की पर्सनल लाइफ उनकी प्रोफेशनल लाइफ की तरह आसान नहीं थी। परेशानियों की एक पूरी लिस्ट थी। उनकी पर्सनल लाइफ में जिसने उन्हें शराब में डुबो दिया और अंत में वो मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर का शिकार हो गए। एक ऐसी मानसिक बीमारी जिसकी गंभीरता का अंदाजा केवल वही लगा सकते हैं, जिन्होंने इसे खुद झेला हो।
होगन ने इस बीमारी में फंसे रहने की जगह इससे लड़ने और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास किया। हम उम्मीद करते हैं कि अपनी इस जंग को वे पूरी तरह से जीत जाएंगे और जल्द ही हम उन्हें WWE हॉल ऑफ़ फेम में अपनी जगह संभालते देखेंगे।

मार्क हैनरी : डिस्लेक्सिया

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मार्क हैनरी ने अपने जीवन में बहुत सफलताएं देखी हैं। अपने एक दशक से भी अधिक के रैसलिंग करियर में भी और वर्ल्डस स्ट्रॉन्गेस्ट मैन व वेटलिफ्टर के रूप में भी। लेकिन इस सफलता से पहले इस शक्तिशाली इंसान ने भी अपनी लाइफ में बेहद मुश्किल पलों को झेला था।
जब मार्क 12 साल के थे, उनके पिता का देहांत हो गया और फिर कलाई पर आयी गहरी चोट के कारण उनका फुटबॉल करियर भी खत्म हो गया। इन मानसिक आघातों के बाद वे डिस्लेक्सिया के शिकार हो गए। ये एक ऐसी मानसिक बीमारी जो पढ़ने, सीखने और किसी चीज को याद करने का काम बेहद मुश्किल बना देती है।
इन सब से बाहर आने के लिए हैनरी ने अपना ध्यान अपने शरीर को बनाने की ओर लगा दिया और इसने आज उन्हें पीछे मुड़कर देखने पर एक प्रोफेशनल रैसलर और स्ट्रॉन्गमैन दोनों के रूप में गर्व करने का मौका दिया।

"द माचो मैन" रैंडी सैवेज - ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर

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प्रोफेशनल रैसलिंग की एक लेजेंडरी शख्सियत स्वर्गीय "द माचो मैन" रैंडी सैवेज 1980 की शुरुआत में अपने डैब्यू से लेकर अपने 2011 में अपने देहांत तक बहुत लोकप्रिय रहे।
अपनी कमजोरी को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाने की मिसाल देते हुए, रैंडी सैवेज ने अपनी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर नामक बीमारी का प्रयोग खुद को दुनिया के अब तक का सबसे बेहतरीन रैसलर बनाने में किया। OCD वह मानसिक अवस्था होती है, जिसमे चीजों का सही होना बेहद जरूरी हो जाता है और जब चीजें मरीज के मुताबिक सही नहीं होती तब मरीज को बेहद मानसिक तकलीफ से गुजरना पड़ता है।
सैवेज ने अपनी इस बीमारी के कारण ऐसे मैचों को प्लान करना शुरू किया जो बेहद उच्च स्तरीय होते थे। यही कारण है कि उनका होगन के साथ हुआ मुकाबला आज भी सबसे यादगार मुकाबलों में से एक माना जाता है। ऐसी अफवाहें हैं कि जॉन सीना भी OCD से ग्रसित हैं लेकिन इस बात की आधिकारिक पुष्टि कभी नहीं हुई।

द रॉक - मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर

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जब आप रॉक के बारे में सोचते हैं तो आपके दिमाग में एक स्टार, एक रैसलर या एक लैजेंड का चेहरा आता है लेकिन डिप्रेस्ड शब्द कभी नहीं आता। लेकिन रॉक के प्रो रैसलिंग कैरियर की शुरुआत से पहले ठीक यही स्थिति थी।
कॉलेज फुटबॉल के एक सफल करियर के बाद रॉक NFL और यहां तक कि इससे भी कम पहचाने जाने वाले कैनेडियन फुटबॉल लीग में भी अपनी जगह नहीं बना पाए। इसने भविष्य के पीपल्स चैम्प को बहुत ही खतरनाक मानसिक अवस्था में पहुंचा दिया था। डिप्रैशन ने उन्हें उस समय घेर लिया और अंदर तक तोड़ दिया, जब उनकी जेब में केवल 7 डॉलर ही थे।
इस बीमारी को अपने ऊपर हावी होने देने की बजाय ड्वेन जॉनसन ने अपने दिमाग को प्रोफेशनल रैसलर बनने में लगा दिया और इसे WWE के रिंग में खड़े होने वाले अब तक के सबसे बेहतरीन रैसलर के रूप में खत्म किया। उसके बाद एक्टिंग के करियर में कदम रखा और आज वो दुनिया के सबसे ज्यादा महंगे एक्टर हैं।

विंस मैकमैहन- डिस्लेक्सिया

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जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं। जरा सोचिये, वो आदमी जो दुनिया के सबसे सफल रैसलिंग प्रोमोशन को चलाने का जिम्मेदार है, डिस्लेक्सिया से पीड़ित रह चुका है। जब एक मानसिक बीमारी आपकी पढ़ने, सीखने और याद रखने की क्षमता को प्रभावित करती है तो अधिकतर लोग जीवन के दूसरे रास्तों पर विचार करने लगते हैं। विंसेंट कैनेडी मैकमैहन ने ऐसा नहीं किया।
विंस ने इसे एक चुनौती की तरह लिया और 37 साल की उम्र में अपने पिता की कंपनी संभालने में डिस्लेक्सिया को आड़े नहीं आने दिया और निश्चित रूप से यह विंस को इस कंपनी को मल्टी-मिलियन डॉलर का साम्राज्य बनाने से भी नहीं रोक पायी।
आपका इस आदमी के बारे में क्या ख्याल है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता की विंस ने जो भी किया वो प्रभावशाली और बेहतरीन है।

लेखक - आकाश सिलांकि, अनुवादक -दीप श्रीवास्तव

Edited by Staff Editor
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