एमएस धोनी की 10 बेहतरीन पारियां

“एमएस धोनी के खिलाफ खेलना किसी युद्ध से कम नहीं है।” -गैरी किर्सटन किर्सटन के ये शब्द साबित करते हैं कि धौनी ने भारतीय क्रिकेट को कितना सम्मान दिलाया है। बेहतरीन बल्लेबाज, शानदार कप्तान व उम्दा फिनिशर एक ही खिलाड़ी की इतनी खासियत जो धौनी को सबसे वैल्यूवल बनाता है। शांतचित धौनी का करियर बेहद शानदार रहा है। जिसमें उन्होंने विभिन्न भूमिकाएं निभाईं हैं। धौनी भारत के सबसे बेहतरीन कप्तानों में से एक हैं, साथ ही बतौर बल्लेबाज वह विश्व के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर हैं। धौनी ने कई बार अकेले दम पर भारतीय टीम को संकट से निकालकर जीत की ओर अग्रसर करने का काम किया है। आज हम धौनी की 10 बेहतरीन पारियों के बारे में आपको बता रहे हैः

72 रन नाबाद बनाम पाकिस्तान, लहौर-2006

भारत वर्ष 2005/06 में पाकिस्तान के दौरे पर था, ये सीरीज धौनी के करियर की अहम सीरीज साबित हुई थी। जहां गद्दाफी स्टेडियम में 289 रन के लक्ष्य का सफल पीछा करने में भारत की तरफ धौनी ने बेहतरीन पारी खेली थी। क्योंकि एक समय टीम इंडिया 35 ओवर में 190 रन पर 5 विकेट गवांकर संघर्ष कर रही थी। तब युवराज के साथ धौनी ने बेहतरीन साझेदारी निभायी थी। धौनी ने 46 गेंदों में 72 रन की पारी खेली थी। इस मैच का सबसे शानदार लम्हा पोस्ट मैच प्रेस कॉन्फ्रेस थी, जिसमें तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशरर्फ ने धौनी की बल्लेबाजी व उनके स्टाइल की तारीफ की थी। 76 रन नाबाद बनाम इंग्लैंड, लॉर्ड्स - 2007 इस पूर्व भारतीय कप्तान ने टेस्ट मैचों में ज्यादा यादगार पारियां नहीं खेली हैं। लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में धौनी ने भारत के नजरिये से एक बेहद अहम पारी खेली थी। इस मैच में जीत के लिए भारत को 380 रन बनाने थे। मैच का आखिरी दिन था, भारत का स्कोर 180/5 था, जबकि 80 ओवर शेष बचे थे। धौनी व लक्ष्मण मैदान पर बल्लेबाजी कर रहे थे, दोनों ने मिलकर 30 ओवर में 86 रन की साझेदारी की। लंच के बाद 20 ओवर का खेल बचा था, जो भारत के लिहाज से बेहद अहम था। लेकिन धौनी ने पुच्छले बल्लेबाजों के साथ मिलकर संघर्ष जारी रखा। हालांकि बारिश ने भारत को मैच बचाने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई। 224 रन बनाम ऑस्ट्रेलिया, चेन्नई-2013 धोनी के सम्पूर्ण करियर की सबसे बड़ी खासियत रही है कि उन्होंने मोर्चे से अगुवाई की है। ऐसा चेन्नई टेस्ट में हुआ था, जब ऑस्ट्रेलिया ने 380 रन का स्कोर बनाया था। जवाब में भारतीय टीम को भी बड़ा स्कोर बनाना था। लेकिन भारतीय टीम 196 के स्कोर तक पहुंचते-पहुंचते अपने 4 विकेट गवां चुकी थी। तब धोनी ने विराट के साथ मिलकर 128 व डेब्यू कर रहे भुवी के साथ 140 रन की साझेदारी निभाई। धोनी ने अपने टेस्ट करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलते हुए इस मैच में 265 गेंदों पर 224 रन की पारी खेली, जिसमें 24 चौके व 6 लगाए। धोनी की इस पारी ने भारतीय टीम इस मैच में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। 64 रन नाबाद बनाम किंग्स इलेवन पंजाब, वाइजेग- 2016 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा का जलवा आईपीएल में भी रहा है। धोनी ने वाईजेग में किंग्स इलेवन पंजाब के साथ हुए मुकाबले में अपने पुराने अंदाज में बल्लेबाज़ी करते हुए जोरदार 64 रन की पारी खेली। धोनी तब बल्लेबाज़ी के लिए मैदान में आये थे जब पुणे को 51 गेंदों में 95 रन बनाने थे। पुणे को जीत दर्ज करने के लिए आखिरी ओवर में 23 रन बनाने थे, तब धोनी ने अक्षर पटेल के एक ओवर में 3 छक्के व चौका लगाकर अपनी टीम जीत दर्ज करा दिया। अक्षर के अंतिम ओवर का विश्लेषण कुछ ऐसा था- 0, 1wd, 6, 0, 4, 6, 6 44 रन नाबाद बनाम ऑस्ट्रेलिया, एडिलेड-2012 इस मैच में जब धोनी बल्लेबाज़ी के लिए उतरे थे, तो शुरू में उन्हें रन बनाने में दिक्कत हुई थी। लेकिन उनके साथी रैना दूसरी तरफ कंगारू गेंदबाजों की जमकर धुनाई कर रहे थे। भारत को जीत के लिए 270 रन बनाने थे। गौतम गम्भीर ने टीम को बढ़िया शुरुआत दिलाई थी। रैना के आउट होने के बाद भारतीय टीम को आखिरी ओवर में जीत के लिए 13 रन बनाने थे, जबकि स्ट्राइक पर आर आश्विन थे। पहली दो गेंदों में मात्र एक रन बने जिसके बाद जीत के लिए जरुरी 4 गेंदों में 12 रन हो गया। लेकिन धोनी ने वही किया जो वह लम्बे समय से करते आ रहे थे। धोनी ने एडिलेड ओवल के इस ग्राउंड पर यादगार छक्का लगाकर भारतीय टीम को विजयी बनाया।

113 रन नाबाद बनाम पाकिस्तान, चेन्नई-2012

धोनी की ये पारी इसलिए भी खास थी क्योंकि भारत ये मुकाबला हार गया था, जो धोनी के चलने पर कम ही होता है। धोनी मैदान पर तब उतरे थे, जब टीम इंडिया टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी और उसके 29 रनों पर 5 बल्लेबाज़ पवेलियन लौट गये। लेकिन कप्तान ने बेहतरीन पारी खेली। 125 गेंदों में धोनी ने 113 रन बनाये और अंत तक आउट नहीं हुए इस पारी में उन्होंने 7 चौके व 3 छक्के लगाये थे। जिसमें रैना के साथ 75 व आश्विन के साथ 125 रन साझेदारी भी शामिल थी। भारत ने 50 ओवर में 227/6 का स्कोर खड़ा किया था। लेकिन पाकिस्तान ने मुकाबला 4 विकेट से जीत लिया था।

45 रन नाबाद बनाम श्रीलंका, पोर्टऑफ़ स्पेन-2013

श्रीलंका के साथ ये मुकाबला तीन देशों की सीरिज का फाइनल भी थे। जहां भारत को जीत के लिए 202 रन बनाने थे। जवाब में भारत ने 32 ओवर में 139/3 रन बना लिए थे। लेकिन रंगना हेराथ ने 4 विकेट लेकर भारत की कमर लगभग तोड़ दिया। भारत को 2 ओवर में जीत के लिए 17 रन बनाने थे और इशांत शर्मा व एमएस क्रीज़ पर थे। इशांत शर्मा ने मैच को और रोमांचक बनाते हुए एक ओवर में सिर्फ दो रन ही भारत के खाते में जोड़ने दिए और अंतिम ओवर में जीत के 15 का लक्ष्य हो गया। आखिरी ओवर श्रीलंकाई तेज गेंदबाज़ शर्मिंडा एरंगा और उनके सामने धोनी, पहली गेंद पर धोनी एक भी रन नहीं बना पाए। लेकिन उसके बाद उन्होंने मुकाबले को अपने ही अंदाज में खत्म किया। दूसरी गेंद पर छक्का व उसके बाद 2 चौका लगाकर धोनी ने भारत को जीत दिला दिया।

183 रन नाबाद बनाम श्रीलंका, जयपुर- 2005

धोनी ये स्कोर श्रीलंका के खिलाफ बनाकर पूरी दुनिया में छा गए। इससे पहले वह खतरनाक बल्लेबाज़ माने जाते थे। लेकिन सवाई मानसिंह स्टेडियम में श्रीलंका के 299 के स्कोर पीछा करते हुए धोनी ने पूरी दुनिया में अपनी धमक कायम की। हालांकि भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही और सचिन तेंदुलकर जल्द ही आउट हो गये। लेकिन कप्तान द्रविड़ व टीम मैनेजमेंट ने धोनी को तीसरे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने के लिए भेज दिया। उसके बाद जो हुआ वह सदा के लिए इतिहास बन गया, धोनी ने इस मैच में एक-एक करके सभी गेंदबाजों को निशाने पर रखा और 145 गेंदों में 183 रन की पारी खेली। जिसमें 15 चौके व 11 छक्के शामिल थे। ये उनकी सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक थी।

54 रन नाबाद बनाम किंग्स इलेवन पंजाब, धर्मशाला-2010

एमएस धोनी ने आईपीएल में सीएसके के लिए कई बेहतरीन पारियां खेली हैं, जिसमें धर्मशाला में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ खेली गयी उनकी ये पारी खास थी। क्योंकि चेन्नई के सामने जीत के लिए 192 रन का लक्ष्य था। धोनी जब मैदान पर उतरे तो चेन्नई को जीत के लिए 10 ओवर में 104 रन बनाने थे। धोनी ने तेजी से 29 गेंदों में 54 रन की पारी खेली। चेन्नई ने आखिरी 18 गेंदों में 47 रन बनाए। साथ ही इरफ़ान पठान के एक ओवर में 18 रन भी बने। धोनी ने पठान की पहली चार गेंदों में 2, 4, 6, 6 रन बनाकर मैच को खत्म कर दिया। धोनी की इस बल्लेबाज़ी ने स्टेडियम में मौजूद सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। धोनी की आईपीएल में ये सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है।

91 रन नाबाद बनाम श्रीलंका, वानखेड़े स्टेडियम- 2011

साल 2011 का विश्वकप फाइनल कौन क्रिकेटप्रेमी भूल सकता है। इस विश्वकप के शुरूआती चरणों में धोनी का बल्ला खामोश रहा था। लेकिन कप्तानी उनकी हिट रही थी। फाइनल मुकाबले में श्रीलंका ने भारत के सामने जीत के लिए 275 रन का स्कोर रखा था। धोनी इस मुकाबले में तब बल्लेबाज़ी के लिए उतरे जब लोग सोच रहे थे कि टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे युवराज सिंह मैदान पर आयेंगे। स्पिन जोड़ी मुथैय्या मुरलीधरन व सूरज रंडीव की वजह से धोनी ने खुद को बल्लेबाज़ी क्रम में प्रमोट करके युवराज से पहले मैदान पर आये और नुवान कुलशेखरा की गेंद पर विजयी छक्का लगाकर भारत की झोली में दूसरा विश्वकप डाल दिया। धोनी की ये पारी उनके करियर की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक रही है। जिसे सुनील गावस्कर ने इतिहास की सबसे अहम पारी बताया। उन्होंने कहा, “मैं जब मरने की कगार पर रहूं तो धोनी के लगाये इस आखिरी छक्के को सोचना पसंद करूंगा।” लेखक-सुमेह, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी

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