91 रन नाबाद बनाम श्रीलंका, वानखेड़े स्टेडियम- 2011
साल 2011 का विश्वकप फाइनल कौन क्रिकेटप्रेमी भूल सकता है। इस विश्वकप के शुरूआती चरणों में धोनी का बल्ला खामोश रहा था। लेकिन कप्तानी उनकी हिट रही थी। फाइनल मुकाबले में श्रीलंका ने भारत के सामने जीत के लिए 275 रन का स्कोर रखा था। धोनी इस मुकाबले में तब बल्लेबाज़ी के लिए उतरे जब लोग सोच रहे थे कि टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे युवराज सिंह मैदान पर आयेंगे। स्पिन जोड़ी मुथैय्या मुरलीधरन व सूरज रंडीव की वजह से धोनी ने खुद को बल्लेबाज़ी क्रम में प्रमोट करके युवराज से पहले मैदान पर आये और नुवान कुलशेखरा की गेंद पर विजयी छक्का लगाकर भारत की झोली में दूसरा विश्वकप डाल दिया। धोनी की ये पारी उनके करियर की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक रही है। जिसे सुनील गावस्कर ने इतिहास की सबसे अहम पारी बताया। उन्होंने कहा, “मैं जब मरने की कगार पर रहूं तो धोनी के लगाये इस आखिरी छक्के को सोचना पसंद करूंगा।” लेखक-सुमेह, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी