2011 विश्व कप में रैना को लंबे वक्त तक प्लेयिंग इलेवन में जगह ही नहीं दी गई, लेकिन टूर्नामेंट के आखिरी और जरूरी दौर में टीम को अपने इस भरोसेमंद खिलाड़ी की याद आई। रैना ने इस मौके को अच्छे से भुनाया भी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वॉर्टर-फाइनल मुकाबले में भारत के विकेट लगातार गिर रहे थे और टीम पर भारी दबाव था। भारत को जीत के लिए 12 ओवर में 74 रन चाहिए थे और सामने थी वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया। रैना पिच पर आए और युवराज सिंह के साथ मैच-विनिंग पार्टनरशिप की। रैना ने 28 गेंदों का सामना किया और सिर्फ 3 ही बाउंड्रीज लगाईं, लेकिन उन्होंने रन-रेट को नियंत्रण में रखा। रैना ने शानदार छक्का लगाकर मैच भारत के पक्ष में खत्म किया। ब्रेट ली की गेंद पर रैना का यह फाइनल स्ट्रोक फैन्स के लिए यादगार हो गया। पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में भारत का शीर्ष बल्लेबाजी क्रम लड़खड़ा चुका था। रैना ने निचले क्रम के बल्लेबाजों की मदद से भारतीय पारी को संभाले रखा। सईद अजमल ने भारत को खासा परेशान करके रखा था, लेकिन रैना ने परिस्थिति के हिसाब से शानदार खेल दिखाया और आखिरी ओवरों में तेजी से रन जोड़कर भारत को सम्मानजनक स्थिति तक पहुंचाया। लेखकः चैतन्य हलगेकर, अनुवादकः देवान्श अवस्थी