क्रिकेट से रिटायर होने के बाद भी ये दोनों भारतीय क्रिकेट से किसी न किसी तरह जुड़े हुए हैं। जहाँ गांगुली को सचिन और लक्ष्मण के साथ बीसीसीआई की सलाहकार समिति में जगह दी गई, वहीँ द्रविड़ को भारतीय अंडर 19 और भारत 'A' का कोच बनाया गया। द्रविड़ के देखरेख में भारतीय अंडर 19 टीम इस साल विश्व कप के फाइनल में भी पहुंची थी, जहाँ उन्हें वेस्टइंडीज से हार का सामना करना पड़ा। जगमोहन डालमिया की मौत के बाद सौरव गांगुली को बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उन्होंने वर्ल्ड टी20 में पाकिस्तान के खिलाफ एक यादगार मैच आयोजित करवाया। एक बेमिसाल करियर के बाद ये दोनों क्रिकेटर अब युवा क्रिकेटरों की खोज में लगे हुए हैं। जहाँ उम्मीद है कि जल्द ही राहुल द्रविड़ भारतीय टीम के कोच बन सकते हैं , वहीँ सौरव गांगुली के लिए अब अगला लक्ष्य शायद बीसीसीआई का अध्यक्ष पद है। मैं अपने आप को काफी खुशकिस्मत मानता हूँ कि राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के करियर के हर आयाम को मैंने देखा है और एक समय में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए इनके अलावा सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंदर सहवाग और अनिल कुंबले को एक साथ खेलते देखना किसी भी क्रिकेट प्रेमी के लिए ज़िन्दगी भर के तोहफे के समान है। शायद इसी कारण से भारतीय क्रिकेट के उस दौर को सुनहरा दौर कहते हैं।