2003 के विश्व कप से पहले किसी ने सोचा नहीं था कि भारतीय टीम फाइनल में खेलेगी। विश्व कप से पहले न्यूजीलैंड में भारत को काफी बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था और ऐसे में उन्हें कोई फेवरेट नहीं मान रहा था। ग्रुप स्टेज में पहले मैच में भारत ने किसी तरह नीदरलैंड्स को हराया था। दूसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 9 विकेट से हराकर झटका दिया लेकिन इसके बाद भारत ने बहुत ही जबरदस्त वापसी की। सचिन तेंदुलकर बहुत ही शानदार फॉर्म में थे और उसी के साथ सौरव गांगुली का भी बल्ला चल रहा था। टीम की भलाई के लिए उप-कप्तान राहुल द्रविड़ विकेटकीपर की भूमिका निभाई और कई उपयोगी पारियां भी खेली। भारत ने इसके बाद ज़िम्बाब्वे, पाकिस्तान, नामीबिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और केन्या को लगातर मैचों में हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। सेमीफाइनल में उन्होंने फिर से केन्या को हराया और फाइनल में उनका सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ। हालाँकि भारत फाइनल में 125 रनों से हार गया लेकिन फिर भी उस समय के क्रिकेट फैन्स के लिए ये एक बहुत ही यादगार विश्व कप रहा।