2005 में सौरव गांगुली के कहने पर ही ग्रेग चैपल को टीम का कोच बनाने को कहा था। लेकिन ग्रेग चैपल ने आते ही सबसे पहली गाज गांगुली पर ही गिराई। ज़िम्बाब्वे के दौरे के बाद गांगुली को न सिर्फ कप्तानी से हटाया गया, बल्कि उन्हें टीम से भी बाहर कर दिया गया। हालाँकि इस फैसले का देश भर में काफी विरोध हुआ और गांगुली ने 2006 के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर टीम में वापसी की। जोहान्सबर्ग के पहले टेस्ट में गांगुली ने उपयोगी अर्धशतक लगाया और राहुल द्रविड़ दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट जीतने वाले पहले भारतीय कप्तान बने। लेकिन इसके बाद 2007 के विश्व कप से भारत की पहले राउंड में ही विदाई हो गई और इसी के साथ ग्रेग चैपल को भी कोच के पद से हटा दिया गया। इस समय को भारतीय क्रिकेट के सबसे ख़राब दौर के तौर पर जाना जाता है और सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा में इसका जिक्र भी किया है।