इंग्लैंड की सीरीज के बाद गांगुली का फॉर्म काफी बढ़िया हो गया और उसे उन्होंने अपने आखिरी मैच तक बरक़रार रखा लेकिन इस बीच द्रविड़ का फॉर्म कुछ खराब हो गया था। उन्होंने कप्तानी भी छोड़ दी थी और अनिल कुंबले नए टेस्ट कप्तान थे। 2008 में जब ऑस्ट्रेलिया चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने भारत आई तो उससे पहले गांगुली ने कह दिया कि ये उनकी आखिरी टेस्ट सीरीज होगी। इस सीरीज में गांगुली ने शानदार बल्लेबाजी की और शान के साथ क्रिकेट को अलविदा कहा। द्रविड़ हालाँकि इसके बाद खेलते रहे और 2011 के इंग्लैंड दौरे पर उन्होंने चार मैचों में तीन शतक जड़कर आलोचकों को जवाब दिया। भारत ये सीरीज 4-0 से हारा था लेकिन फिर भी द्रविड़ की बल्लेबाजी को मौजूद समय की सबसे बेहतरीन बल्लेबाजी में से एक माना गया। इसके बाद उन्हें एकदिवसीय सीरीज में भी टीम में चुना गया जो उनकी आखिरी सीरीज थी। 2011-12 ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट दौरे पर द्रविड़ का बल्ला खामोश रहा और उन्होंने मार्च में क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। इसके बाद दोनों ही क्रिकेटरों ने कमेंट्री में हाथ आजमाया और इसी दौरान 2014 में भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान दोनों एक साथ कमेंट्री कर रहे थे। इस बातचीत में द्रविड़ और गांगुली के बीच 2007 के इंग्लैंड दौरे को लेकर काफी गंभीर चर्चा हुई और सुनने वालों को विश्वास नहीं हो रहा था कि ये हो क्या रहा है। हालाँकि एक नीरस से टेस्ट मैच में इन दोनों की इस तथाकथित बहस के कारण जान आ गया था। इस बातचीत में मुख्य रूप से गांगुली की गेंदबाजी को लेकर चर्चा हो रही थी जिसपर द्रविड़ ने कहा था कि गांगुली अगर थोड़ी और तेज़ गेंदबाजी करते तो वो ज्यादा बेहतर गेंदबाज होते। इसपर गांगुली ने जवाब दिया था कि अगर वो भारत के प्रधानमंत्री होते तो और भी बहुत कुछ कर सकते थे। हर्षा भोगले इन दोनों के साथ कमेंट्री बॉक्स में मौजूद थे और उन्होंने उस लम्हे का भरपूर मज़ा लिया।