10 खिलाड़ी जिनके शानदार खेल के बाद भी उन्हें ज्यादा तारीफ नहीं मिली

एलेक स्टीवर्ट

क्रिकेट में सुपरस्टार्स की कोई कमी नहीं है। प्लेयरों ने अपने आपको फैन्स और एक्सपर्ट की वाहवाही से स्थापित किया है। इन खिलाड़ियों के आंकड़े दूसरे खिलाड़ियों के लिए माइलस्टोन हैं, जिन्हें पार करने की वो कोशिश में लगे रहते हैं। इन प्लेयरों की बड़ी परफॉर्मैंस क्रिकेट में इतिहास का हिस्सा बन गई हैं। लेकिन ऐसे बहुत से क्रिकेटर हैं, जो बहुत ही ज्यादा टैलेंटेड थे, पर उनको ज्यादा वाहवाही नहीं मिल सकी। अपनी टीम के लिए उनका किया गया योगदान दूसरे प्लेयरों से कम याद किया जाता है। नजर डालते हैं 10 खिलाड़ियों की लिस्ट पर जिनका करियर शानदार रहा, लेकिन उन्हें ज्यादा वाहवाही नहीं मिली:

#1 एलेक स्टीवर्ट

[caption id="attachment_14914" align="alignnone" width="594"] एलेक स्टीवर्ट[/caption] एलेक स्टीवार्ट ने अपने 14 साल के करियर में 130 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने करीब 40 की औसत से 8500 रन बनाए। स्पेशलिस्ट बल्लेबाज की तौर पर उन्होंने 51 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 47 की औसत से 9 शतक लगाए। इसी संदर्भ में बात करें तो, माइकल एथर्टन, जिन्हें इंग्लैंड के मॉडर्न टाइम के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में गिना जाता है। उनकी औसत स्टीवर्ट से उसी समय के दौरान 10 यूनिट कम थी। बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज उनकी औसत लगभग 35 की थी, जो उनके समय के विकेटकीपर बल्लेबाजों से कहीं ज्यादा थी। विकेटकीपर और कप्तान का रोल निभाने के बाद भी उन्होंने वो वाहवाही नहीं मिली जिसके वो हकदार थे, हालांकि ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर उनको कुछ वाहवाही जरूर मिली। बतौर विकेटकीपर वनडे मैचों में उनके नाम सबसे ज्यादा शिकार है, जबकि टेस्ट मैचों में वो इस लिस्ट में तीसरे पायदान पर हैं।

#2 गौतम गंभीर

[caption id="attachment_14913" align="alignnone" width="594"]गौतम गंभीर गौतम गंभीर[/caption] दिल्ली रणजी टीम के कप्तान गौतम गंभीर को खराब फॉर्म और चोट और मुरली विजय-शिखर धवन की वजह से टीम से बाहर होना पड़ा था। गौतम गंभीर ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 10 हजार से ज्यादा रन बनाए हैं। 2007 से 2011 तक गंभीर की फॉर्म जबरदस्त रही थी। उन्होंने भारत को 2 वर्ल्ड कप जिताने में भूमिका अदा की। मौजूदा समय में गंभीर चयनकर्ताओं की सोच में ही नहीं हैं, गंभीर को पारी को संभालने वाले खिलाड़ी के तौर पर जाना जाता है। राहुल द्रविड़ के जाने के बाद गंभीर ने ये रोल बखूबी निभाया। वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में उनकी 97 रनों की पारी धोनी की 91 रनों की पारी के पीछे छिप गई। 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल में भी उन्होंने 75 रनों की पारी खेलकर मैच जिताने में अहम योगदान दिया था। गंभीर को अपने प्रदर्शन का पूरा फल नहीं मिल पाया।

#3 जस्टिन लैंगर

[caption id="attachment_14912" align="alignnone" width="594"]जस्टिन लैंगर जस्टिन लैंगर[/caption] 90 और 2000 के दशक में जस्टिन लैंगर ऑस्ट्रेलिया की अपराजेय की टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे। मैथ्यू हेडन के ओपनिंग पार्टनर लैंगर ने 14 सालों तक ऑस्ट्रेलिया के लिए रन बनाए। उन्हें 2001 में ओपनिंग के लिए प्रोमोट किया गया था। मैथ्यू हेडन के साथ मिलकर वो ऑस्टेलिया के सबसे कामयाब ओपनिंग जो़ड़ी बने। रिकी पोंटिंग, गिलक्रिस्ट, मैक्ग्रा जैसे सितारों की मौजूदगी में उनकी चमक थोड़ी फीकी पड़ गई थी। लेकिन ओपनर बल्लेबाज के तौर पर उनका काफी अहम योगदान था। वो मैच पर कंट्रोल रखने और रन बनाते रहने में एक्सपर्ट थे। उन्होंने मैथ्यू हेडन के साथ जोड़ी बनाकर 5 हजार से ज्यादा टेस्ट रन बनाए। अपने करियर के शुरुआती 6 सालों में मात्र 8 टेस्ट मैच खेलने वाले अपने लैंगर ने अपने आपको रीइनवेंट किया।

#4 मिस्बाह उल हक

[caption id="attachment_14911" align="alignnone" width="594"]मिस्बाह उल हक मिस्बाह उल हक[/caption] पाकिस्तानी कप्तान मिस्बाह उल हक इंटरनेशनल क्रिकेटर में लेट ब्लूमर रहे हैं। उन्होंने सभी फॉर्मट्स में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वो पाकिस्तान को 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप में जीत दिलाने के करीब आ ही गए थे, पर ऐसा नहीं हो पाया। 2010 में सामने आए मैच फिक्सिंग स्कैंडल के बाद से वो पाकिस्तान टीम की कमान संभाल रहे हैं। जबरदस्त डिफैंसिव तकनीक और हर स्थिति में रन बनाने की काबिलियत के कारण मिस्बाह की टेस्ट मैचों में 50 जबकि वनडे मैचों में 45 की औसत रही है। लगातार कई सालों से निरंतर प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें अपने ही देश में वो सम्मान नहीं मिलता, जिसके वो हकदार हैं। रनों का पीछा करते समय उनकी धीमी रफ्तार की वजह से मीड़िया और फैन्स उनका खूब मजाक बनाते हैं।

#5 स्टीफन फ्लैमिंग

[caption id="attachment_14910" align="alignnone" width="594"]स्टीफन फ्लैमिंग स्टीफन फ्लैमिंग[/caption] बाएं हाथ के बल्लेबाज स्टीफन फ्लैमिंग न्यूजीलैंड के सबसे सफलतम कप्तान रहे हैं। उन्होंने टेस्ट मैचों में 7 हजार और वनडे मैचों में 8 हजार रन बनाए हैं। अपने समय में वो न्यूजीलैंड की टीम के स्तंभ रहे हैं। न्यूजीलैंड की टीम में धुरंधरों की भरमार थी, जिसकी वजह से उन्हें वो शोहरत नहीं मिल पाई, जो उन्हें मिलनी चाहिए थी। दोनों ही फॉर्मेट्स में उन्होंने अपने देश की ओर से सबसे ज्यादा मैच खेले हैं। सबसे पहले 7 हजार रन बनाने वाले वो न्यूजीलैंड के पहले बल्लेबाज थे। टेस्ट मैचों में उनकी औसत 40 से ज्यादा की थी, जिसमें 9 शतक भी शामिल थे। टेस्ट के साथ-साथ वो सीमित ओवरों के भी बेहतरीन बल्लेबाज थे। उन्होंने वनडे मैचों में 8 हजार से ज्यादा रन बनाए हैं। ऐसा करने वाले वो न्यूजीलैंड के एकलौते बल्लेबाज हैं।

#6 मार्क वॉ

[caption id="attachment_14909" align="alignnone" width="594"]मार्क वॉ मार्क वॉ[/caption] अफगान जूनियर के नाम से मशहूर मार्क वॉ ने स्टीव वॉ के 5 साल बाद इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरु किया। मार्क वॉ ने अपने भाई के दम पर टीम में जगह बनाई। मार्क वॉ अपने भाई स्टीव की परछाई में 11 साल तक क्रिकेट खेले। साल 2002 में उनकी टीम से छुट्टी कर दी गई। लेजी एलिगैंस की वजह से मशहूर वॉ ने अपने करियर के 20 टेस्ट शतक बनाए। उन्होंने अपने देश के लिए वनडे मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाए। लेकिन उनके भाई का शानदार करियर और कप्तानी,टीम में धुरंधर खिलाड़ियों की मौजूदगी की वजह से उनको वो शोहरत हासिल नहीं हुई।

#7 मखाया एंटिनी

[caption id="attachment_14908" align="alignnone" width="594"]मखाया एंटिनी मखाया एंटिनी[/caption] मखाया एंटिनी यूनाइटेट क्रिकेट बोर्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम की उपज हैं। मखाया को वाइट केप के मैदान से साउथ अफ्रीकी टीम में 20 साल की उम्र में जगह मिली। उन्होंने अपने शानदार करियर में शॉन पोलाक के बाद सबसे ज्यादा 400 विकेट लिए। अभी उनसे ज्यादा विकेट लेने का नाम शॉन पोलाक और डेल स्टेन के नाम है। हालांकि वो अपने देश में काफी चर्चित खिलाड़ी हैं। पर उन्हें अपने दूसरे साथियों जितनी वाहवाही नहीं मिली। एलेन डोनाल्ड के पतन और डेल स्टेन के उद्य के बीच मखाया की जबरदस्त गेंदबाजी की सफलता के बाद भी उन्हें वो लेजेंडरी दर्जा नहीं मिलना, जिसके वो हकदार हैं। उभरते हुए फास्ट बॉलिंग यूनिट के आ जाने के बाद हमेंशा हस्ते रहने वाले इस खिलाड़ी को टीम से बाहर होना पड़ा। उन्होंने 100 टेस्ट मैच खेलकर क्रिकेट को अलविदा कहा।

#8 नेथन एस्टल

[caption id="attachment_14907" align="alignnone" width="594"]नेथन एस्टल नेथन एस्टल[/caption] नेथन एस्टल ने 15 साल पहले वही किया जो तब के दूसरे विध्वंसक बल्लेबाज किया करते थे। टी-20 के लिए बने इस खिलाड़ी ने न्यूजीलैंड की टीम को शुरुआती ओवरों में धाकड़ शुरुआत दिलाई। उन्होंने अपने वनडे करियर में 16 सेंचुरी के साथ 7000 से ज्यादा रन बनाए और 99 विकेट लिए। एस्टल उस समय की न्यूजीलैंड की टीम के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज थे। लेकिन वो अपने समय के दूसरे खिलाड़ियों जितने फेमस नहीं हुए। उन्होंने विपरित हालत में टीम के लिए बेहतरीन पारियां खेली। उनका अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जबरदस्त परफॉर्मैंस और कई रिकॉर्डों के साथ दर्ज है। वो एक बेहतरीन टेस्ट खिलाड़ी भी थे। उन्होंने 81 टेस्ट मैच खेलकर अपने देश की तरफ से तीसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने। नंबर 5 और 6 पर बल्लेबाजी करने वाले एस्टल ने 11 शतक लगाए। उनके नाम सबसे तेज डबल सेंचुरी का रिकॉर्ड भी दर्ज है।

#9 डैमियन मार्टिन

[caption id="attachment_14906" align="alignnone" width="594"]डैमियन मार्टिन डैमियन मार्टिन[/caption] 1990 के दशक में अपनी क्लास औऱ बेहतरीन टेलेंट के दम पर डैमियन मार्टिन ने ऑस्ट्रेलियाई टीम में अपनी जगह बनाई। जिसके बाद वो ऑस्ट्रेलियाई टीम का अभिन्न अंग बन गए। 2000 से 2006 तक वो दोनों ही फॉर्मेट में टीम के खास खिलाड़ी थे। उन्होंने खेल की खासियत थी उनके एलिगेंट ड्राइव्स, कट और कलाईयों का प्रय़ोग। उनकी बेहतरीन पारियों पर लोगों को ध्यान नहीं जाता था। टीम में मौजूद एक से बढ़कर एक खिलाड़ियों की मौजूदगी की वजह से उनकी परफॉर्म छिप जाती थी। 2001 में वो 31 साल के हुए। टेस्ट मैचों में उनकी औसत 50 से ज्यादा की थी, लेकिन उनके एक बार भी मैन ऑफ द मैच का खिताब नहीं मिला था। मार्टिन एक बेहतरीन वनडे खिलाड़ी भी थे। उन्होंने अपने वनडे करियर में 5 हजार से ज्यादा रन बनाए। औऱ वो 2003 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे थे। भारत के साथ खेले गए फाइनल मैच में उन्होंने 88 रनों की अहम पारी खेली थी।

#10 वीवीएस लक्ष्मण

[caption id="attachment_14905" align="alignnone" width="594"]वीवीएस लक्ष्मण वीवीएस लक्ष्मण[/caption] अपने जबरदस्त खेल और कलाईयों के इस्तेमाल की वजह से मशहूर वीवीएस लक्ष्मण 2000 के बाद टीम इंडिया की मशहूर लाइन अप का हिस्सा थे। आंकडे वीवीएस लक्ष्मण के टेलेंट को बयां नही कर सकते। अपनी बहुत बार अपने दम पर टीम की नैया पार लाई और खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ। उन्होंने टीम इंडिया को तब मैच जिताए जब टॉप ऑर्डर पूरी तरह फेल हो जाता था। 2010 में मोहाली टेस्ट के दौरान चोटिल लक्ष्मण ने टीम को मुसीबत से बाहर निकाला। ये काफी दुखद है कि उन्हें जिस तरह की फेयरवेल मिलनी चाहिए थी और उन्हें नहीं मिली। लेखक- आद्य शर्मा, अनुवादक- विजय शर्मा

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