10 महान बल्लेबाज़ जिनके नाम टेस्ट की दोनों पारियों में है शून्य

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ज़िंदगी आपको दोबारा मौक़ा नहीं देती है, लेकिन एक टेस्ट मैच में आपके लिए दो मौक़े होते हैं। हर टीम को दो पारियां मिलती हैं, कई बल्लेबाज़ पहली पारी में फ़्लॉप रहते हैं लेकिन दूसरी पारी में वह बड़ा स्कोर कर जाते हैं। जबकि टेस्ट क्रिकेट में 38 बल्लेबाज़ों ने मैच की दोनों पारियों में शतक भी लगाया है। लेकिन साथ ही साथ ही ऐसे बदक़िस्मत बल्लेबाज़ों की भी फ़ेहरिस्त है, जहां दोनों ही पारियों में बल्लेबाज़ ने खाता भी नहीं खोला। एक टेस्ट की दोनों पारियों में शून्य पर आउट होने वाले बल्लेबाज़ों के लिए अंग्रेज़ी में पेयर (जोड़ा) कहा जाता है, तो हिंदी में इसे कहते हैं शून्य का चश्मा। आपके सामने 10 महान बल्लेबाज़ों की फ़ेहरिस्त रख रहे हैं, जिनके नाम क्रिकेट के कई शानदार रिकॉर्ड दर्ज हैं, लेकिन फिर भी वह इस बदक़िस्मत लिस्ट में शामिल हैं: एडम गिलक्रिस्ट एक ऐसा बल्लेबाज़ जिसने टेस्ट क्रिकेट में नंबर-7 की परिभाषा ही बदल डाली। एडम गिलक्रिस्ट ऑस्ट्रेलिया के लिए 1990 के अंत और 2000 की शुरुआत में इस स्थान पर बल्लेबाज़ी करते हुए कई मैच विजयी पारियां खेली और रिकॉर्ड अपने नाम किए। गिलक्रिस्ट ऑस्ट्रेलिया के 41वें टेस्ट कप्तान भी रह चुके हैं, गिलक्रिसेट के नाम टेस्ट क्रिकेट में 47.60 की औसत से 96 मैचो में 5570 रन हैं। गिलक्रिस्ट का टेस्ट क्रिकेट में बेस्ट स्कोर प्रोटियाज़ के ख़िलाफ़ नाबाद 204 रन रहा है। लेकिन वह इस लिस्ट इसलिए शामिल हैं कि भारत के ख़िलाफ़ 2001 में खेले गए ऐतिहासिक कोलकाता टेस्ट की दोनों पारियों में बाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने खाता भी नहीं खोला था, और हरभजन सिंह की हैट्रिक में एक शिकार वह भी थे। इयान बॉथम botham इंग्लैंड के इस स्टार ऑलराउंडर को जाना जाता था गेंद और बल्ले से खेल का रुख़ मोड़ने के लिए, बल्लेबाज़ी में निचले क्रम में आकर बॉथम एक सेशन में ही मैच का पासा पलट देने वाले बल्लेबाज़ थे। बॉथम का यही अंदाज़ उन्हें सभी का चहेता बनाता है, अपनी गेंदो के अलावा बल्ले से भी कई मैच में बॉथम ने इंग्लैंड को जीत दिलाई थी। जिसमें से 1981 में हेडिंग्ली टेस्ट में खेली गई 149 नाबाद रनों की पारी प्रमुख है। इस पारी से ठीक एक मैच पहले लॉर्ड्स टेस्ट की दोनों पारियों में इयान बॉथम ने स्कोरर को ज़हमत नहीं दी थी, वह मैच ड्रॉ रहा था। मार्क वॉ unnamed (1) मार्क वॉ पहली बार ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में अपने जुड़वा भाई स्टीव वॉ की जगह ही शामिल किए गए थे। 1991 में डेब्यू करने वाले मार्क वॉ को जाना जाता है, उनके ख़ूबसूरत स्ट्रोक्स और बेहतरीन फ़ील्डिंग के लिए। वॉ ने ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट के दोनों फ़ॉर्मेट में 8000 से ज़्यादा रन बनाए हैं। लेकिन इस शानदार बल्लेबाज़ के नाम लगातार दो बार शून्य का चश्मा पहनने का भी शर्मनाक रिकॉर्ड है। 1992 के श्रीलंकाई दौरे पर दाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने लगातार 4 पारियों में कोई भी रन नहीं बनाया था। एलन बॉर्डर Border 1985 के बाद से ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए एक नए दौर की शुरुआत हुई थी, जिसमें 1987 की वर्ल्डकप जीत भी शामिल है। अलन बॉर्डर ऑस्ट्रेलिया का एक चेहरा बनकर उभरे थे, बेहद ख़राब दौर से कप्तानी की शुरुआत करने वाले बॉर्डर ने इस टीम को जीत का भूखा बना दिया था। एलन बॉर्डर को जाना जाता था उनकी जुझारू बल्लेबाज़ी और फ़िट्नेस के लिए, बॉर्डर के नाम बिना ब्रेक लिए लगातार टेस्ट (153) खेलने का भी वर्ल्ड रिकॉर्ड है। टेस्ट क्रिकेट में 10000 से ज़्यादा रन बनाने वाले एलन बॉर्डर भी इस लिस्ट में शामिल हैं, और उसका कारण है 1993 में पर्थ में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शून्य पर आउट होना। इसके एक साल बाद एलन बॉर्डर ने संन्यास का ऐलान कर दिया था। स्टीफ़ेन फ़्लेमिंग STEPHEN FLEMING न्यूज़ीलैंड के पूर्व कप्तान स्टीफ़ेन फ़्लेमिंग जिनके नाम रिकी पॉन्टिंग से पहले वनडे में सबसे ज़्यादा मैचो में कप्तानी करने का विश्व कीर्तिमान था। फ़्लेमिंग एक भरोसेमंद टेस्ट ओपनर थे जिनके नाम 111 टेस्ट में 7000 से ज़्यादा रन हैं। शेन वॉर्न ने फ़्लेमिंग को दुनिया के सबसे बेहतरीन कप्तान का भी ख़िताब दिया था, इस बाएं हाथ के बल्लेबाज़ की ख़ूबी थी उनके आकर्षक ड्राइव और ज़रूरत पड़ने पर क्रीज़ खूंटा गाड़ देने की आदत। पूर्व कीवि बल्लेबाज़ स्टीफ़ेन फ़्लेमिंग ने 1997 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ होबार्ट टेस्ट की दोनों पारियों में बिना रन बनाए आउट हुए थे। विजय हज़ारे VIJAY HAZARE स्वर्गीय विजय हज़ारे को याद किया जाता है भारत को पहली जीत दिलाने के लिए। जो इंग्लैंड के ख़िलाफ़ मद्रास में पारी की जीत से आई थी। विजय हज़ारे प्रथम श्रेणी मैचो में चौथे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले भारतीय क्रिकेटर थे। महाराष्ट्र में जन्में विजय हज़ारे ने 1947-48 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर एडिलेड टेस्ट की दोनों पारियों में शतक बनाया था। ऑस्ट्रेलिया के बाद पाकिस्तान दौरे पर भी इस बल्लेबाज़ का कमाल जारी था। हालांकि विजय हज़ारे ने बुरा दौर भी देखा जब कानपुर में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ एक टेस्ट की दोनों पारियों में शून्य पर आउट होने वाले वह पहले भारतीय क्रिकेटर बने। फ़्रैंक वॉरेल FRANK WORRELL वेस्टइंडीज़ क्रिकेट इतिहास के सबसे महान बल्लेबाज़ों मे शुमार सर फ़्रैंक वॉरेल ने 51 टेस्ट में 50 के क़रीब औसत के साथ 3860 रन बनाए। फ़्रैंक वॉरेल के लिए सबसे यादगार सीरीज़ 1950 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ थी, जिसमें 90 की औसत से उन्होंने 539 रन बनाए थे। 1960 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर लगातार तीन पारियों में अर्धशतक लगाने वाले वॉरेल, मेलबर्न टेस्ट की दोनों पारियों में बिना रन बनाए पैवेलियन लौटे थे। मार्क टेलर unnamed (2) एलन बॉर्डर के संन्यास के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी करने वाले मार्क टेलर को प्यार से 'टबी' भी कहा जाता है। एक बेहतरीन और भरोसेमंद बल्लेबाज़ होने के साथ साथ टेलर स्लिप के शानदार फ़ील्डर भी थे। टेलर ने टेस्ट क्रिकेट में 104 मैचो में 7525 रन बनाए, जिसमें उनकी औसत 43 की रही और 19 शतक आए। एक कप्तान के तौर पर टेलर की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी, पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कराची टेस्ट की दोनों पारियों में टेलर शून्य पर आउट हुए। पहली पारी में उन्हें वसीम अकरम ने अपना शिकार बनाया, तो दूसरी पारी में वक़ार युनिस ने उन्हें आउट किया। वीरेंदर सहवाग unnamed (3) टेस्ट क्रिकेट की किताब तो दोबारा से लिखा गया, जब इस खेल ने वीरेंदर सहवाग जैसे बल्लेबाज़ को देखा। सहवाग अपने बल्ले से गेंदबाज़ों की धज्जियां उड़ा दिया करते थे, जिसके बाद सलामी बल्लेबाज़ की भूमिका ही नई गेंद को खेलने की बदल गई थी। 'गेंद को देखो और मारो' कुछ इसी अंदाज़ से बल्लेबाज़ी करने वाले सहवाग के नाम टेस्ट क्रिकेट में एक नहीं बल्कि दो दो तिहरे शतक हैं। भारत की ओर से तिहरा शतक लगाने वाले वीरेंदर सहवाग इकलौते बल्लेबाज़ हैं। स्कोर की तरफ़ न देखने वाले सहवाग के नाम भी ये रिकॉर्ड दर्ज है, जिसनें उन्हें इस फ़ेहरिस्त में शामिल कर लिया है। 2011 के इंग्लैंड दौरे पर एजबेस्टन टेस्ट में सहवाग दोनों पारियों में स्कोरर को परेशान किए बिना ही पैवेलियन लौट गए थे। एबी डीविलियर्स AB DE VILLIERS इस फ़ेहरिस्त में इस बल्लेबाज़ का होना चौंकाने वाला है, डीविलियर्स के नाम टेस्ट मैच में बिना शून्य के सबसे ज़्यादा पारी खेलने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है। 78 मैचो के बाद पहली बार डीविलियर्स बिना रन बनाए आउट हुए थे। क्रिकेट के हरेक फ़ॉर्मेट में दक्षिण अफ़्रीका के इस बल्लेबाज़ का कोई जवाब नहीं, बड़े इत्मिनान से गैप ढूंढ निकाल लेना और मर्ज़ी के हिसाब से गेंद को दर्शक दीर्घा में पहुंचा देना इस दाएं के बल्लेबाज़ के लिए बाएं हाथ का खेल है। लेकिन साल 2016 डीविलियर्स के लिए अच्छा नहीं जा रहा है, जोहांसबर्ग टेस्ट की तीसरी पारी में डीविलियर्स बिना रन बनाए आउट हुए थे और फिर अगले ही टेस्ट में दोनों पारियों में शून्य पर आउट होते हुए लगातार तीन पारियों में बिना खाता खोले आउट हुए। डीविलियर्स दूसरे दक्षिण अफ़्रीकी कप्तान हैं, जिन्होंने एक टेस्ट मैच में शून्य का चश्मा पहना हो। इत्तेफ़ाक से 2007 वर्ल्डकप में डीविलियर्स 4 बार शून्य पर आउट हुए थे।

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