10 भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जिनकी चमक फीकी पड़ गयी

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भारतीय टीम का तेज गेंदबाज़ी आक्रमण काफी समय के लिए लगभग तय हो गया है। अभी यह दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है लेकिन यह पिछले दशक में तेजी से गेंद करने वाले तेज गेंदबाजों की लंबी खोज करने के बाद आ पाया है। कुछ लोगों ने अपनी जगह बना ली है, कुछ गेंदबाज़ थोड़े समय के लिए अच्छे दिखे थे, लेकिन चोटों की वजह से लंबे समय तक नहीं टिक पाए। कुछ आधुनिक खेल की बदलती मांगों के साथ अनुकूल नहीं हो पाए । आइए नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ गेंदबाजों पर # 10 अभिमन्यु मिथुन मिथुन ने फरवरी 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने एकदिवसीय करियर की शुरुआत की। उसी श्रृंखला में सचिन तेंदुलकर ने पहली बार एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक लगाया था। जल्द ही जुलाई में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच में भी उन्होंने पदार्पण किया। 6 फीट से ऊपर की ऊंचाई और अच्छी गति से, वह भारत के लिए एक आशाजनक संभावना की तरह दिखते थे, लेकिन वह जिस संभावना की तरह नज़र आये उस पर खरे नही उतरे और 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना अंतिम टेस्ट खेले। चोट लगने के बाद और उनके स्थान पर अन्य गेंदबाजों ने जगह बना ली। आईपीएल में ध्यान देने योग्य प्रदर्शन के बिना, वह जल्द ही चयनकर्ताओं के रडार से दूर हो गए। हालांकि वो अभी भी कर्नाटक की रणजी टीम में एक नियमित रूप से नज़र आते है, लेकिन राष्ट्रीय टीम में इस 27 वर्षीय के लिए वापसी मुश्किल लगती है। टेस्ट मैच -4 विकेट-9 औसत-50.66 स्ट्राइक रेट-80 इकॉनामी-3.8 =========================================================== एकदिवसीय मैच-5 विकेट-3 औसत-67.66 स्ट्राइक रेट-60 इकॉनामी-676 # 9 वी आर वी सिंह b95e6-1506558090-800 विक्रम राज वीर सिंह या वीआरवी सिंह ने अपने शुरुआती वर्षों में सही गेंदबाजी नहीं कि, जो कि 145 किमी प्रति घंटे से ऊपर की गति को नियमित रूप से करते थे। 22 साल की उम्र में उन्हे 2006 में वेस्टइंडीज दौरे के लिए चुना गया था लेकिन उस दौरे पर वो महज 2 टेस्ट मैच खेल पाए और 2 विकेट लिए उसी साल उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी भी 2 टेस्ट खेले, लेकिन केवल 3 विकेट ले पाए। इसके बाद विश्व कप टीम में उन्हे जगह नहीं मिली लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ श्रृंखला में वो टीम में चुने गए। चोट लगने के बाद उनकी गेंदबाजी से वो गति जाती रही। टेस्ट मैच -5 विकेट-8 औसत-53.37 स्ट्राइक रेट-83.6 इकॉनामी-3.82 =========================================================== एकदिवसीय मैच-2 विकेट-0 औसत - स्ट्राइक रेट - इकॉनामी-8.75 # 8 पंकज सिंह 8a92c-1506559316-800 पंकज सिंह ने 2009 और 2014 के बीच रणजी सीज़न में लगातार मजबूत प्रदर्शन कर चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचा वह 2010 और 2011 में राजस्थान के खिताब जीतने के पीछे सबसे बड़ा कारण रहे। इसके बाद चयनकर्ता ने उन्हें इंग्लैंड दौरे के लिए भारत की टेस्ट टीम में शामिल किया। 2014 में उन्होंने घायल ईशांत शर्मा की जगह एक श्रृंखला का तीसरा टेस्ट मैच खेला। अपने पहले मैच में अच्छा स्विंग पैदा करने के चलते पंकज कुक की विकेट ले सकते थे अगर जडेजा ने उनकी गेंद को लपक लिया होता। वह एक ही पारी में एक और विकेट भी ले सकते थे, केवल एलबीडब्ल्यू अपील को अंपायर ने स्वीकार कर लिया होता तो। पंकज को फिर से अगले मैच के लिए चुना गया था और हालांकि उन्होंने कुछ विकेट लिए थे, लेकिन वह नियंत्रण से बाहर थे। भारत के 1-3 से श्रृंखला हारने के बाद जल्द ही वो चयनकर्ताओं के रडार से बाहर हो गये। वह अभी भी घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं, राजस्थान और पश्चिम क्षेत्र के लिए एक नियमित खिलाड़ी है और आईपीएल अनुबंध की उम्मीद है। लेकिन 32 वर्षीय मध्यम तेज गेंदबाज के लिए राष्ट्रीय टीम में वापसी की संभावना नहीं दिखती है। टेस्ट मैच -2 विकेट-2 औसत-146 स्ट्राइक रेट-225 इकॉनामी-3.89 =========================================================== एकदिवसीय मैच-1 विकेट- औसत - स्ट्राइक रेट - इकॉनामी-6.42 # 7 अशोक डिंडा 43481-1506560583-800 डेनिस लिली की तरह हेडबैंड और जहीर खान की तुलना में बड़ी छलांग के साथ, कुछ समय के लिए डिंडा में भारत की गेंदबाजी का भविष्य देखा गया। बंगाल के लिए रणजी में लगातार अच्छे प्रदर्शन और केकेआर के लिए आईपीएल में एक शानदार शुरुआती सीजन ने उन्हें चयनकर्ताओं की नज़र में भी उपर किया। उन्हें वर्ष 2010 में जिम्बाब्वे के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला के लिए भारतीय टीम में जगह मिली।। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असंगत प्रदर्शन के साथ, वह 3 सालों तक राष्ट्रीय पक्ष के किनारे पर बने रहे। कई बार वो बीच-बीच में मैच खेले लेकिन प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे। उन्होंने 2013 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना अंतिम एकदिवसीय मैच खेला। 33 वर्षीय अशोक डिंडा अब भी बंगाल की रणजी टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। टेस्ट मैच -13 विकेट-12 औसत-51 स्ट्राइक रेट-49.5 इकॉनामी-6.18 =========================================================== एकदिवसीय मैच-9 विकेट- 17 औसत - 14.41 स्ट्राइक रेट -10.5 इकॉनामी-8.16 # 6 आर विनय कुमार ff70c-1506563913-800 मुख्य रूप से स्विंग और सीम गेंदबाज और बल्ले से कामयाब रहे आर विनय कुमार ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 2010 में भारत के लिये करियर की शुरुआत की। वह रणजी में कर्नाटक के लिए और आईपीएल में एक सुसंगत प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें उन्होंने अपनी गेंदबाजी में कुछ भिन्नताएं और सटीकता दिखायी थी। वह 2012-13 के सत्र के लिए भारतीय टीम में नियमित गेंदबाजों में से थे। विनय कुमार ने ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भारत के लिए अपनी टेस्ट मैचों के करियर की शुरुआत की, जब एमएस धोनी ने हरी पिच पर 4 नियमित तेज गेंदबाजों को चुना। वह काफी हद तक अप्रभावी थे और माइक हसी का एकमात्र विकेट ले पाये थे। जैसा कि एकदिवसीय क्रिकेट में तेजी से बदलता है विनय कुमार एक दिवसीय मैच की मांगों के अनुरूप नहीं ढल पाए और जल्द ही राष्ट्रीय टीम से खुद को बाहर पाया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक वनडे में 100 से अधिक रन लुटा दिए ये भारत के लिए रंगीन कपड़ों में उनका आखिरी एकदिवसीय मैच साबित हुआ। विनय कुमार ने घरेलू क्रिकेट में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किय़ा, जब उन्होंने कर्नाटक को रणजी ट्रॉफी, इरानी कप और विजय हजारे ट्रॉफी के तीन खिताब के लिए 2013-15 के दो लगातार सीज़न में नेतृत्व किया। e1b02-1506655862-800 # 5 लक्ष्मीपति बालाजी 91069-1506561912-800 बालाजी का नाम अभी भी किसी के भी चेहरे पर मुस्कान लाएगा जो 2003-04 में ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के दौरे को याद करता है। उन्होंने पाकिस्तान की बल्लेबाजी की रीड तोड़ दी थी और भारत में एक सितारा जन्मा था। इसके अलावा, उनकी मुस्कान ने दर्शकों के लिए अनमोल आनन्द लाने का कार्य किया। वह बालाजी का भी दौरा था जितना जितना सहवाग का था। लेकिन 2005 के बाद लगातार घायल होने और तेज गति में गिरावट ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया। बालाजी के लिए यह बहुत ही समान कहानी थी क्योंकि यह उस समय अन्य भारतीय तेज गेंदबाजों के लिए भी कहानी हुआ करती थी। एक तनाव फ्रैक्चर और बैक सर्जरी ने उन्हें तीन साल तक क्रिकेट से बाहर रखा। कोई समय नहीं मिला और वह पूरी तरह से गायब हो गये और चयनकर्ताओं ने नज़र आगे कर ली। लेकिन एल बालाजी दोबारा वापसी के बारे में जानते थे। और फिर से एक नये तैयार गेंदबाजी एक्शन के साथ में कुछ बदलावों के साथ , उन्होंने 2009 में श्रीलंका के खिलाफ एक श्रृंखला के लिए आईपीएल और रणजी सीजन के लिए एक सफल राष्ट्रीय टीम की सवारी करने के लिए मजबूर किया। 2012 में केकेआर के लिए एक अच्छा सीजन विश्व टी 20 के लिए बुलावा लाया। बालाजी अब 36 साल के हैं और ऐसा नहीं लगता है कि प्रशंसक उन्हें भारत के रंगों में फिर से देखेंगे। 8c143-1506655894-800 # 4 आर पी सिंह c7934-1506569474-800 एक बाएं हाथ का तेज गेंदबाज़ हमेशा किसी भी टीम के लिए एक संपत्ति है। अंडर 1 9 क्रिकेट के एक उत्पाद रहे आरपी सिंह 20 वर्षीय स्विंग गेंदबाज के रूप में राष्ट्रीय टीम में आये। वह सीमित ओवरों के क्रिकेट के लिए विशेष रूप से अनुकूल थे, क्योंकि वह अंत में अच्छी गेंदबाजी कर सकते थे। उन्होंने पहली बार 2005 में श्रीलंका के खिलाफ एक दिवसीय सीरीज़ में अपनी प्रतिभा को दिखाया और दो सीजनों के लिए भारतीय तेज गेंदबाजी का मुख्य आधार बने रहे। वह उस टीम का एक हिस्सा रहे जिसने 2007 में इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला जीती थी। उद्घाटन विश्व टी -20 में उनकी शानदार गेंदबाज़ी तब हुई जब उन्होंने फाइनल में भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी और उनहोने 4 ओवर में 26 रन दे 3 विकेट लिए थे। वह 2007-08 के दौरे के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ पर भारत की प्रसिद्ध जीत में भी प्रभावशाली था। लेकिन वह जल्दी ही फीके पड़ने लग गये। लंबे समय तक राष्ट्रीय टीम में जगह के लिए संघर्ष करते रहे और टीम से बाहर रहे, 2011 में इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें वापस बुलाया गया जब जहीर खान ने पहले टेस्ट के दौरान खुद को घायल कर दिया था। लेकिन यह आखिरी बार आरपी का भारत के लिए खेलना था। उन्होंने 2009 के आईपीएल सीज़न में अच्छा प्रदर्शन किया और डेक्कन चार्जर्स का खिताब जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह 2013-15 से 3 साल के लिए टूर्नामेंट में शामिल नहीं हुए थे लेकिन 2016 के सत्र के लिए पुणे सुपरगर्नेट ने चुना। आरपी अब रणजी ट्राफी में गुजरात के लिए खेलते हैं और 2015-16 में विजय हजारे ट्रॉफी में गुजरात की खिताब जीत का हिस्सा थे। टेस्ट मैच -14 विकेट-40 औसत-42.05 स्ट्राइक रेट-63.3 इकॉनामी-3.98 =========================================================== एकदिवसीय मैच-58 विकेट- 69 औसत - 33.95 स्ट्राइक रेट -37.1 इकॉनामी-5.48 ============================================================= टी20- मैच-10 विकेट-15 औसत-15 स्ट्राइक रेट-13.2 इकॉनामी-6.81 # 3 प्रवीण कुमार 68c8c-1506620252-800 कुछ ही हैं जो प्रवीण कुमार की तरह क्रिकेट में गेंद को स्विंग करा सकते हैं। 2005-06 में यूपी के लिए ब्रेक आउट डेब्यू सीजन के बाद प्रवीण कुमार या पीके भारतीय क्रिकेट के जमीनी स्तर से जन्मे खिलाड़ी थे। गेंद को दोनों ओर घुमाने की क्षमता ने उन्हें उत्तर प्रदेश के पहले दो सत्रों में खेलते खेलते राष्ट्रीय टीम में शामिल कराया। हालांकि गति से सीमित तो थे पर पीके में सटीकता अधिक थी और बल्ले के साथ भी काफी उपयोगी थे और कई बार उन्होंने यूपी के लिए उपयोगी पारी खेली थी। वह 2008-10 से भारतीय गेंदबाज़ी आक्रमण के एक प्रमुख सदस्य थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2008 की सीवी श्रृंखला में उनका प्रदर्शन अब भी बहुत याद आता है। लगातार चोट की वजह से उनका करियर भी लंबा नहीं खिंच पाया। टेस्ट मैच -6 विकेट-27 औसत-25.81 स्ट्राइक रेट-59.6 इकॉनामी-2.59 =========================================================== एकदिवसीय मैच-68 विकेट- 77 औसत - 36.02 स्ट्राइक रेट -42.1 इकॉनामी-5.13 ============================================================= टी20- मैच-10 विकेट-8 औसत-24.12 स्ट्राइक रेट-19.5 इकॉनामी-7.42 # 2 मुनाफ पटेल 32839-1506621880-800 मुनाफ पटेल को एक समय भारत के सबसे तेज़ गेंदबाज के रूप में माना जाता है, एक नेट सत्र के दौरान मुनाफ पटेल को किरण मोरे द्वारा देखा गया था। एक छोटे से शहर से, मुनाफ एक रात भर में स्टार बन गए, जब उन्होंने अपने पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड को परेशान किया। तेज गेंदबाजी और स्विंग के साथ गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 7 विकेट लेकर भारत को नौ विकेट से जीत दिलाई। अपने पदार्पण वर्ष में लगातार अच्छे प्रदर्शन ने उन्हें उस भारतीय टीम में एक नियमित खिलाड़ी बना दिया, जिसने वर्षों तक असली तेज गेंदबाज की कमी महसूस की। लेकिन लगातार चोटों ने उसे उनकी गति को छोड़ने और एक लाइन और लम्बाई से गेंदबाजी करने वाला गेंदबाज़ बनने के लिए मजबूर किया। ऐसा समय भी आया जब अनिल कुंबले ने मुनाफ की तुलना में तेज गेंदबाजी की थी। हालांकि अभी भी सटीक है, वह तेजी से गेंदबाजी की बजाय एक लय में और लाइन में अधिक गेंदबाज़ी करने वाले गेंदबाज़ बनते चले गये। वह 2009 में न्यूजीलैंड के भारत दौरे पर अच्छे थे लेकिन फ्लैट विकेट पर प्रदर्शन देने के लिए संघर्ष किया। मुनाफ को 2011 विश्व कप में खेलने का मौका मिला, जब प्रवीण कुमार को चोट लग गई। जहीर और युवराज के बाद वो प्रतियोगिता में भारत के तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे। हालांकि खराब फॉर्म की वजह से वो जल्द ही राष्ट्रीय टीम से बाहर हो गए। वह अभी भी रणजी ट्रॉफी में बड़ौदा के लिए खेलते हैं, लेकिन उम्र उनकी तरफ नहीं, और राष्ट्रीय वापसी एक दूर का सपना लगती है। टेस्ट मैच -13 विकेट-35 औसत-38.54 स्ट्राइक रेट-75.9 इकॉनामी-3.04 =========================================================== एकदिवसीय मैच-70 विकेट- 86 औसत - 30.26 स्ट्राइक रेट -36.6 इकॉनामी-4.95 ============================================================= टी20- मैच-3 विकेट-4 औसत-21.5 स्ट्राइक रेट-15 इकॉनामी-8.6 # 1 इरफान पठान 4267d-1506652782-800 टेस्ट और एकदिवसीय दोनों मैचों में 100 विकेट के साथ, उनके नाम एक टेस्ट हैट्रिक, 2007 वर्ल्ड टी 20 फाइनल में एक मैन ऑफ द मैच पुरस्कार और दोनों प्रारूपों में 1000 से अधिक रन उनके करियर की कुछ बड़ी झलकियां हैं। उन्हे एक समयकपिल देव के उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया था। इरफान का पदार्पण 2002 के अंडर -19 विश्व कप में हुआ था। जल्द ही ऑस्ट्रेलिया के 2003-04 के दौरे के लिए राष्ट्रीय टीम में चुन लिया गया, उन्होंने अपनी स्विंग और तेज गति से सुर्खियां बटोरी और ऑस्ट्रेलियाई रैंक-अप में बड़े नामों को परेशान किया। उन्होंने 2004 में पाकिस्तान के दौरे पर भारत का नेतृत्व किया और ढाका में 10-विकेट के हॉल के साथ बांग्लादेश में कहर बनकर बरसे। जैसा कि उनकी बल्लेबाजी में सुधार हुआ है, इरफान को अगले कपिल देव के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन चोट लगने की वजह से उनकी गति जाती रही। 130 की स्पीड से अपने करियर की शुरुआत करने वाले इरफान पठान की गति अंत में 120 ही रह गई।। 2006 में कराची की हैट्रिक के बाद उनका फॉर्म गिरा था। उन्हें घरेलू क्रिकेट पर ध्यान देने के लिए दक्षिण अफ्रीका के दौरे से घर वापस भेजा गया था, लेकिन 2007 विश्व टी-20 के लिए टीम में शामिल किया गया था जब वरिष्ठ खिलाड़ियों ने टूर्नामेंट से बाहर होने का फैसला किया । उन्होंने फाइनल में भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई, जहां उन्होंने 16 रन के अपने 4 ओवरों में 3 विकेट लिए। वह पर्थ में भारत की प्रसिद्ध जीत का नेतृत्व भी कर चुके थे, जहाँ मैच में 5 विकेट लिये थे और महत्वपूर्ण रन बनाये थे। बाद में सीबी सीरीज़ में भी, उन्होंने भारत के टूर्नामेंट जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अन्य युवा खिलाड़ियों के साथ वो थे। चोटों के कारण अधिक बाहर होने के कारण, इरफान बाद के वर्षों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने रणजी या आईपीएल में प्रभावित करने वाला कोई प्रदर्शन भी नहीं किया है। जैसा कि भारत एक सशक्त तेज गेंदबाज ऑलराउंडर को खोजने के लिए संघर्ष कर रहा था, इरफान एक प्रभाव पैदा नहीं कर पाए। हार्डिक पंड्या अब ये कमी पूरा कर रहे हैं और बेहतरीन खेल रहे हैं , ऐसे में इरफान के लिए वापसी करना कठिन लगता है। टेस्ट मैच -29 विकेट-100 औसत-32.26 स्ट्राइक रेट-58.8 इकॉनामी-3.28 =========================================================== एकदिवसीय मैच-120 विकेट- 173 औसत - 29.72. स्ट्राइक रेट -33.8. इकॉनामी-5.26 ============================================================= टी20- मैच-24 विकेट-28 औसत-22.07 स्ट्राइक रेट-16.5 इकॉनामी-8..02 लेखक: प्रशांत कुमार अनुवादक: राहुल पाण्डे

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