मुख्य रूप से स्विंग और सीम गेंदबाज और बल्ले से कामयाब रहे आर विनय कुमार ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 2010 में भारत के लिये करियर की शुरुआत की। वह रणजी में कर्नाटक के लिए और आईपीएल में एक सुसंगत प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें उन्होंने अपनी गेंदबाजी में कुछ भिन्नताएं और सटीकता दिखायी थी। वह 2012-13 के सत्र के लिए भारतीय टीम में नियमित गेंदबाजों में से थे।
विनय कुमार ने ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भारत के लिए अपनी टेस्ट मैचों के करियर की शुरुआत की, जब एमएस धोनी ने हरी पिच पर 4 नियमित तेज गेंदबाजों को चुना। वह काफी हद तक अप्रभावी थे और माइक हसी का एकमात्र विकेट ले पाये थे।
जैसा कि एकदिवसीय क्रिकेट में तेजी से बदलता है विनय कुमार एक दिवसीय मैच की मांगों के अनुरूप नहीं ढल पाए और जल्द ही राष्ट्रीय टीम से खुद को बाहर पाया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक वनडे में 100 से अधिक रन लुटा दिए ये भारत के लिए रंगीन कपड़ों में उनका आखिरी एकदिवसीय मैच साबित हुआ।
विनय कुमार ने घरेलू क्रिकेट में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किय़ा, जब उन्होंने कर्नाटक को रणजी ट्रॉफी, इरानी कप और विजय हजारे ट्रॉफी के तीन खिताब के लिए 2013-15 के दो लगातार सीज़न में नेतृत्व किया।