क्रिकेट को हमेशा से ही टीम गेम कहा जाता हैं, लेकिन कभी कभी इस खेल में निजी प्रदर्शन को भी सराहा जाता है। समय-समय पर क्रिकेटर्स की ज़िंदगी में एक पल ऐसा जरूर आता हैं, जब वो दुनिया में अपनी छाप छोड़ जाता हैं। यहां तक कि उनकी तुलना क्रिकेट के लेजेंड्स के साथ भी हो जाती हैं। पिछले कुछ वक्त ऐसे कई खिलाड़ी रहे, जो एक टाइम पर अपने पीक पर रहे, फिर चाहे वो 1998 में सचिन तेंदुलकर हो, 1976 में सर वीवियन रिचर्ड्स हो, या 1992-93 में वकार यूनिस। 2005 से कुछ ऐसे ही खिलाड़ियों, जो अपने पीक पर रहे हो: # शेन वार्न(2005) वार्न को 2003 में प्रतिबंधित दवाइयों का सेवन करने के कारण उन पर विश्व कप में बैन लग गया था। अगले साल वापसी के बाद से वॉर्न ने अपनी फॉर्म 2005 एशेज तक जारी रखी। शेन ने 2005 में 96 विकटें हासिल की, जो उनका सबसे बढ़िया प्रदर्शन था। उसी समय में वार्न ने 2005 की एशेज़ में 20 से कम की औसत से 40 विकटें भी ली थी। उन्होने अपने करियर के अंत तक 124 टेस्ट मैच में 708 विकेट लिए। मुथैया मुरलीधरन (2o06) क्रिकेट की दुनिया में अगर ऑफ स्पिनर्स की बात करें तो मुथैया मुरलीधरन को भुला पाना नामुमकिन है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले मुरलीधरन का 2005-06 सीजन काफी अच्छा गुज़रा, जहां इन्होंने 11 टेस्ट मैच में 90 विकेट अपने नाम की। उस समय की यादगार पल में इंग्लैंड की खिलाफ 8-70 का प्रदर्शन, जिसमे मुरली ने पहले 7 बल्लेबाजों को आउट किया था और टेस्ट मैच के अंत में 11 विकटे अपने नाम की। उस टाइम पर उन्होने 17 से कम की स्ट्राइक रेट से 9 बार 5 विकेट एक पारी में अपने नाम किया। 2006 की शुरुआत से साल के अंत तक मुरली ने 5 टेस्ट मैच में 4 बार एक मैच में 10 विकेट से ऊपर हासिल किए। अपने करियर के अंत तक मुरली के खाते में 133 टेस्ट मैच में 800 विकेट है। मोहम्मद यूसुफ(2006) मोहम्मद यूसुफ पाकिस्तान टीम के बल्लेबाज़ी के स्तंभ में से थे, लेकिन 2006 में वो अपनी ज़िंदगी की ज़बरदस्त फॉर्म से गुजरे। उस साल युसुफ ने 99.33 की शानदार औसत से 1,788 रन बनाए और एक कैलंडर ईयर में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी बन गए। यह रिकॉर्ड आज भी इनके नाम है । उसी पीरियड में युसुफ ने 9 टेस्ट शतक भी लगाए, जो आज भी रिकॉर्ड है। युसुफ ने उस टाइम पर इंग्लैंड को उनकी सरजमी पर हराने में अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही में भारत की खिलाफ मिली 1-0 की जीत में भी युसुफ का अहम योगदान था। उस सीरीज में उन्होंने 2 शतक लगाए थे। उनकी बोर्ड के साथ मतभेद के कारण, वो टीम के लिए 2010 के बाद नहीं खेल पाए। गौतम गंभीर(2008-09) गौतम गंभीर फिलहाल ज़रूर भारतीय टीम का हिस्सा न हो, लेकिन एक टाइम पर वो स्टार बैटिंग लाइनउप के अहम हिस्सा थे। गंभीर ने 2007 टी20 विश्व कप में फ़ाइनल में खेली गई शानदार पारी की बदौलत टीम को पहला विश्व कप जिताया। 2008 और 2009 गंभीर के करियर के लिए वनडे और टेस्ट मैच में शानदार रहे। उस पीरियड में गंभीर आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर भी बने, साथ में आईसीसी रेंकिंग में नंबर 1 टेस्ट बल्लेबाज़ भी रहे। 2008-09 सीजन में गंभीर ने अपनी 9 सेंचुरी में से 5 , ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ मारी। उस समय उनकी औसत 85 की रही, साथ में उनके नाम वनडे में भी 5 शतक मारे। हाशिम अमला(2010) अमला के करियर को देखते हुए यह पहचान पाना कि कौन सा साल उनके लिए सबसे अच्छा रहा, यह थोड़ा मुश्किल होगा। आंकड़ों की बात करें तो 2010 में सारे फॉर्मैट में इनका प्रदर्शन शानदार रहा। उस साल अमला ने 11 टेस्ट मैच में 78 की औसत से 1249 रन बनाए थे, जिसमे 5 सेंचुरी और 4 हाफ सेंचुरी शामिल थी। अमला साउथ अफ्रीका की बैटिंग लाइनउप की रीड की हड्डी हैं। इनके तीनों फॉरमैट में मिलाकर 14000 रन बनाए हैं। माइकल क्लार्क(2012) माइकल क्लार्क के लिए 2012 का साल किसी यादगार सपने से कम नहीं रहा। साल की शुरुआत में उन्होंने भारत के खिलाफ 329 रन बनाकर और साल का अंत किया श्रीलंका के खिलाफ बॉक्सिंग टेस्ट में शतक लगाकर। इस बीच क्लार्क ने 11 मैच में 100 के ऊपर की औसत से 1,595 रन बनाए। जिसमें तीन डबल सेंचुरी शामिल थी और 2 लगातार साउथ अफ्रीका के खिलाफ आई। क्लार्क ने ऑस्ट्रेलिया के लिए काफी शानदार प्रदर्शन किया, खासकर रिकी पोंटिंग की सन्यास के बाद। मिचेल जॉनसन (2013-14) 2013-14 की एशेज में जॉनसन ने मानों अपने प्रदर्शन से आग ही लगा दी हो। उस सीरीज़ में 5 मैच में इस पूर्व गेंदबाज ने 37 विकटें ली। इनकी आक्रामकता और तेज़ी के कारण इन्होंने साउथ अफ्रीका में भी शानदार प्रदर्शन किया। खासकर पहले टेस्ट मैच में, जहां मिचेल ने 33 ओवर्स के अंदर 12 विकटें हासिल किए। 2013-14 में खेले गए 8 टेस्ट मैच में 15 की औसत से 59 विकेट अपने नाम किए, जिसमे 5 बार एक पारी में 5 या उससे ज्यादा विकेट शामिल थी। कुमार संगकारा(2014-15) संगकारा श्रीलंका के स्टार बल्लेबाजों में से एक है और पिछले साल रिटायर होने से पहले वो और महेला जयव्रधने टीम की मिडिल ऑर्डर की जान थे। उनके रिटायर होने से पहले, वो अपनी पर्पल पैच में थे। जिस तरह वो रन बना रहे थे तो सबको यही लग रहा था कि वो क्यों यह गेम छोड़ रहे है। 2014 में खेले गए 11 टेस्ट मैच में संगकारा ने 72 की औसत से 1,438 रन बनाए जिसमें 4 शतक शामिल थे, 319 उनका सर्वाधिक स्कोर था। 2015 में 14 वनडे में कुमार ने खूब रन बनाए, खासकर वर्ल्ड कप में जहां इन्होंने 4 लगातार सेंचुरी भी मारी। उस विश्व कप में कुमार ने 541 रन मारे, जो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले मार्टिन गुप्टिल से 6 रन कम थे। उन्होने अपना करियर शानदार तरीके से खत्म किया। केन विलियमसन(2015) न्यूज़ीलैंड में पिछले 2 दशक से उनके खिलाड़ियों के प्रदर्शन में निरंतता की कमी रही है। जिस कारण वो एक सैटल टीम नहीं बना सके। केन विल्लियमसन उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है, हर कंडिशन में रन बनाना और समय के साथ अपने खेल में परिवर्तन लाना उनकी खूबी है। सेट होने के बाद वो बड़े शॉट भी खेल सकते हैं। 2015 में उनका प्रदर्शन शानदार रहा, वो तीनों फॉर्मैट में मिलकर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों की सूची में वो तीसरे नंबर पर थे। पिछले साल खेले गए 8 टेस्ट मैच में 1172 रन बनाए, वो भी 90 की औसत से, जिसमें 5 शतक और 4 हाल्फ सेंचुरी शामिल थे। वनडे में भी 27 मुकाबलों में विलियमसन ने 1,376 रन बनाए, जिसमे 3 शतक और 9 अर्ध शतक शामिल थे। विराट कोहली (2016) विराट कोहली पिछले कुछ समय से ऐसी फॉर्म में है कि उनको पार पाना कोई आसान काम नहीं है। इसी के बीच में उन्होने कुछ ऐसा प्रदर्शन किया कि उनकी तुलना क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर से तक होने लगी। कोहली ने लगभग अपने दम पर रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को पहला आईपीएल सीजन जीता दिया था, उससे पहले भी टी20 विश्व कप में उनका प्रदर्शन शानदार रहा। एक बार फिर टीम जीत नहीं पाई। इस बार सेमी फ़ाइनल में वेस्टइंडीज के हाथो हार का सामना करना पढ़ा था। विराट ने इस साल 13 टी20 मुकाबलों में 125 की औसत और 140 की स्ट्राइक रेट से 625 रन बनाए जिसमे 7 फिफ्टी शामिल रही। वनडे में विराट ने 76 की औसत से रन बनाए है, जिसमें 2 शतक शामिल हैं। लेखक- आद्या शर्मा, अनुवादक- मयंक महता