पिछले कुछ सालों में क्रिकेटरों का फिटनेस लेवल काफी अच्छा हो गया है। अब क्रिकेटर पहले की तुलना में ज्यादा फिट और तंदरूस्त नजर आते हैं। यही कारण है कि अब वे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आसानी से ढल जाते है और क्रिकेट के मैदान में अपना सौ फीसद देने में सफल होते है। हालांकि अब भी कई क्रिकेटर ऐसे मिल जाएंगे जिनके लिए एक लंबे समय तक फिट रहना काफी मुश्किल होता है। खासकर तेज गेंदबाजों के साथ अब भी नियमित फिटनेस की समस्या आती है। लेकिन कई क्रिकेटर ऐसे भी होते है जो अपने देश या टीम के लिए मुश्किल से ही कोई मैच मिस करते हैं। तो आज चर्चा ऐसे ही दस क्रिकेटरों की जो बिना चोटों के दुष्चक्र में फसे लम्बे समय तक अपने देश और टीम की सेवा करते रहें। राहुल द्रविड़ भारतीय बल्लेबाजी के महान दिग्गज राहुल द्रविड़, एक बल्लेबाज और कभी-कभी विकेटकीपर के रूप में भी टीम के लिए हमेशा उपस्थित रहते थे। वह भारत के शीर्ष क्रम के एक महत्वपूर्ण कड़ी थे। द्रविड़ ने अपने 16 वर्ष के लंबे कैरियर के दौरान 164 टेस्ट और 344 वनडे खेला और कभी किसी बड़े चोट का शिकार नहीं बने। द्रविड़ का शीर्ष स्तर पर यह स्थायित्व उनके फिटनेस के कारण था और इसी वजह से वह एक लंबा और सम्मानजनक कैरियर प्राप्त कर सके। एक समय तो ऐसा आया था जब उन्होंने बिना कोई ब्रेक लिए भारत के लिए लगातार 93 टेस्ट मैच खेला। कपिल देव किसी तेज गेंदबाज के लिए 16 साल और 131 टेस्ट मैच के लंबे कैरियर में सिर्फ एक टेस्ट मिस करना निश्चित रूप से एक विशेष उपलब्धि है। यह विशेष उपलब्धि तब और भी अधिक प्रभावी हो जाती है जब उस क्रिकेटर को लगातार 66 टेस्ट मैच खेलने के बाद उसकी थकान या चोट के वजह से नही बल्कि पिछले मैच में उसके खराब शॉट चयन के कारण उसे टीम से बाहर निकाला जाता है। वह विशेष खिलाड़ी भारत के पहले विश्व विजेता कप्तान कपिल देव हैं, जो अपनी पीढ़ी के सबसे योग्य खिलाड़ियों में से एक थे। उन्होंने अपने कैरियर के दौरान अपने शरीर और फिटनेस की अच्छे से देखभाल की थी। हालांकि ऐसा नहीं था कि उन्होंने कभी जोखिम नहीं उठाया। 1981 में मेलबर्न में एक मैच के दौरान उन्होंने ग्रोइंग इंजरी के साथ गेंदबाजी की थी और भारत को जीत दिलाया था। माइक हसी 'मिस्टर क्रिकेट' के नाम से मशहूर माइक हसी हाल के वर्षों के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक थे। वह ऑस्ट्रेलिया के लिए तीनों फॉर्मेट में खेलने के साध-साथ कई टी-20 लीग में भी खेलते थे, लेकिन चोटों ने उन्हें कभी परेशान नहीं किया। आठ साल के कैरियर के दौरान हसी ने अपने सभी 79 टेस्ट मैच लगातार खेलें और कोई भी टेस्ट मिस नहीं किया। एक ऐसे युग में जब क्रिकेटर पूरे साल क्रिकेट के हर फॉर्मेट में खेलते है और चोट लगना एक आम बात होती है, हसी की यह उपलब्धि सराहनीय है। विराट कोहली भले ही विराट कोहली ने अभी तक उतने वन डे या टेस्ट मैच नहीं खेले हो जितने इस सूची के अन्य खिलाडियों ने खेले हैं, लेकिन निःसंदेह वह इस समय के सबसे फिट क्रिकेटर हैं। इसलिए इस सूची में कोहली का नाम होना आश्चर्यजनक नहीं है। कोहली लगातार क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में खेलते हैं। इसके अलावा वह आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से भी जुड़े हैं। इसलिए उन्हें चोट लगने का खतरा भी अधिक रहता है। इस साल की शुरुआत में कंधे की एक चोट के कारण वह एक टेस्ट खेलने से चूक गए। लेकिन अगले टेस्ट में वह फिर से फिट होकर टीम इंडिया में शामिल हो गए। कोहली ऐसे खिलाड़ी है, जिन्हें खेलते हुए देख लगता है कि वह लगातार सदियों तक खेल सकते हैं। एडम गिलक्रिस्ट ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज़ ने अपने 12 वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय कैरियर के दौरान कुल 287 एकदिवसीय, 96 टेस्ट और 12 टी-20 मैच खेला और कभी किसी बड़े इंजरी का शिकार नहीं हुए। गिलक्रिस्ट ने अपने कैरियर के सभी 96 टेस्ट मैच लगातार खेलें और चोट या अन्य किसी कारण से एक भी टेस्ट मैच नहीं गंवाया। इस संबंध में यह भी कहा जा सकता है कि वह वास्तव में जानते थे कि वह मैदान पर क्या कर रहे हैं। गिलक्रिस्ट ने मैदान के अंदर या बाहर शायद ही कभी कुछ ऐसा किया हो जिससे उन्हें कभी चोट लगने की नौबत आए। मार्क वॉ 1990 के दशक में आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की रीढ़ माने जाने वाले मार्क वॉ न सिर्फ अपनी पीढ़ी के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक थे, बल्कि कम चोटिल होने वाले खिलाड़ियों में से भी थे। वॉ के फिटनेस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें अपने युग के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षकों में से एक माना जाता था। वास्तव में वॉ की बल्लेबाजी तकनीक की दाद देनी चाहिए कि वह ऑस्ट्रेलिया के तेज और उछाल भरी पिचों पर खेलने के बावजूद किसी गंभीर चोट का शिकार नहीं हुए। उन्होंने 1991 से 2002 के बीच में ऑस्ट्रेलिया के लिए 128 टेस्ट खेले, जिसमें उन्होंने लगातार 107 टेस्ट खेले थे। वह ऑस्ट्रेलिया के लिए 244 एकदिवसीय मैच भी खेले। एलिएस्टर कुक कहा जाता है कि कुक को पसीना नहीं आता है। यही कुक की सबसे बड़ी खासियत है और इसलिए वह भारतीय उपमहाद्वीप में भी खासे सफल रहे हैं, जहां अन्य इंग्लिश बल्लेबाज अक्सर गर्म मौसम से सामंजस्य के कारण संघर्ष करते हुए दिखाई देते हैं। चूंकि कुक एक सलामी बल्लेबाज हैं इसलिए उन्हें तेज गेंदबाजों का सामना अधिक करना पड़ता है। लेकिन उनकी उत्कृष्ट तकनीक के कारण उन्हें अपने कैरियर में कभी भी किसी बड़े चोट का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने अब तक कुल 147 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से 145 लगातार हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि वह किस हद तक चोटों से निपटने में सफल रहे हैं। एलन बॉर्डर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों को अक्सर योद्धा कहा जाता है और पूर्व कप्तान एलन बॉर्डर इस शब्द को पूरी तरह से चरितार्थ करते हैं। उन्होने अपने टेस्ट कैरियर के 156 में से 153 मैच बिना किसी ब्रेक के खेले। उनका कैरियर लगभग 15 साल का था और उनका फिटनेस स्तर उनके जमाने के अन्य खिलाड़ियों के लिए एक उदाहरण था। बॉर्डर ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 273 एकदिवसीय मैच खेले लेकिन कभी भी लंबे समय के लिए घायल नहीं हुए। वह ऑस्ट्रेलिया के सबसे महान जुझारु क्रिकेटर थे। ब्रेंडन मैकलम मैकलम उन दुर्लभ क्रिकेटरों में से एक हैं, जिन्होंने 12 साल के अपने कैरियर में लगातार सभी टेस्ट मैच खेले और कभी भी चोट या किसी अन्य वजह से टीम से बाहर नहीं हुए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि टेस्ट के अलावा मैकुलम ने 260 एकदिवसीय, 71 अंतर्राष्ट्रीय टी 20 और 297 घरेलू टी 20 मैच भी खेले हैं, लेकिन उन्हें कभी भी लंबे समय तक चोटों का सामना नहीं करना पड़ा। खेल के हाल के इतिहास में उन्हें सबसे कम चोटिल होने वाले खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। महेंद्र सिंह धोनी कैप्टन कूल और माही के नाम से मशहूर धोनी ने 2004 में डेब्यू किया और 2005 में वह टीम इंडिया के नियमित सदस्य बनें। उन्होंने 2008 में शुरू होने के बाद से 266 आईपीएल मैच के अलावा 90 टेस्ट, 303 एकदिवसीय और 78 टी 20 मैच भारत के लिए खेले। किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि विकेटकीपर, बल्लेबाज और कप्तान की जिम्मेदारी एक साथ निभाने वाले किसी खिलाड़ी को कभी कोई बड़ी चोट नहीं लगी हो। सच में माही जैसा कोई नहीं ! लेखक- सोहम समददार अनुवादक- सागर