कभी-कभी हम मैदान पर हारने से पहले मानसिक रुप से खुद को हारा हुआ मान लेते हैं । असली चुनौती वही है जब आप मानसिक और शारीरिक रुप से हर परिस्थिति का डटकर सामना करें । लेकिन कहीं आपने सोंच के लिया कि कोई आपसे ज्यादा अच्छा है और आप उसे हरा नहीं सकते हैं, तो निश्चित तौर पर आप उसे कभी नहीं हरा पाएंगे । इसलिए दिमागी रुप से हार कभी नहीं माननी चाहिए । दबाव और मानसिक रुप से खुद को कमजोर आंकने से आप जीती हुई बाजी भी हार सकते हैं ।
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