क्रिकेट में एक ओपनर का काम बिल्कुल भी आसान नहीं होता, एक ओपनर को नई गेंद का सामना करना होता है और वो भी तब, जब एक गेंदबाज मानसिक और शारीरिक तौर पर एकदम तरों-ताज़ा होता है।
एक सलामी बल्लेबाज़ को पूरी ध्यान के साथ खेलना होता है और टीम के लिए रन भी बनने होते हैं, यह किसी के लिए भी आसान नहीं होता। हालांकि विश्व क्रिकेट में ऐसे कुछ बल्लेबाज़ रहे हैं, जिन्होंने अपना करियर एक मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ के तौर पर शुरू किया, लेकिन बाद में वो एक ओपनर बनकर उन्होंने कई रिकॉर्ड तोड़े।
आइये नज़र डालते हैं उन 10 मिडिल ऑर्डर बल्लेबाजों पर, जो बाद में सफल ओपनर्स बने
1- सनथ जयसूर्या
श्रीलंका के ताबड़तोड़ ओपनर्स में से एक, जिन्होंने 90 के दशक में पिंच हिटिंग की शुरुआत की। शुरुआत में जयसूर्या एक मिडिल और निचले क्रम के बल्लेबाज़ थे। वो टीम के लिए अंतिम कुछ ओवर्स में तेज़ रन बनाते थे। वो 1989 में अपने डैब्यू वनडे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5वे नंबर बल्लेबाज़ी करने आए और वो सिर्फ 3 रन ही बना पाए।
उनकी किस्मत बदली 1993-94 में, जब उन्हें नई गेंद खेलने का मौका मिला। वो बैटिंग ऑर्डर में ऊपर नीचे करते रहते थे और एक बार तो वो 7वे नबर पर भी खेलने आए। 1994 में पाकिस्तान के खिलाफ वो अर्जुना रणतुंगा के साथ ओपनिंग करने आए और उन्होंने 77 रनों की पारी खेली। उसके बाद वो टीम के नियमित सलामी बल्लेबाज़ बन गए और करियर के अंत में उन्होंने 21,032 इंटरनेशनल रन बनाए।
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2- जस्टिन लैंगर
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज़ जस्टिन लैंगर को उनकी ध्यान के लिए और ऑफ साइड में उनके शॉट्स के लिए जाना जाता था, इसके साथ ही वो फास्ट बॉलिंग के अच्छे बल्लेबाज़ थे। हालांकि उनके करियर की शुरुआत कुछ खास नहीं रही और वो अपने करियर के पहले 6 सालों में सिर्फ 8 टेस्ट ही खेल पाए, उनकी शुरुआत एक मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ के रूप में हुई थी, इसके बाद उन्हें मौका मिला मैथ्यू हेडन के साथ ओपनिंग करने का, जिसे इनके करियर का टर्निंग पॉइंट भी कहा गया। उसके बाद अब तक इन दोनों को सबसे सफल सलामी बल्लेबाजों के तौर पर देखा जाता हैं।
लैंगर के नाम 5000 से ज्यादा टेस्ट रन हैं और वो हेडन का भी पूरा साथ देते थे, हालांकि दोनों के खेलने का अंदाज़ बिल्कुल अलग था, फिर भी। लैंगर 2007 में रिटायर हुए, तब तक उन्होंने 105 टेस्ट में 7696 रन बनाए थे और उनका सर्वाधिक स्कोर था 250 का।
3- मार्क वॉ
मार्क वॉ को हमेशा ही बल्लेबाज़ी करते देखना सुखद होता था, खासकर जब वॉ अपनी लय में हो। मार्क वॉ ने एडम गिलक्रिस्ट के साथ मिलकर शानदार ओपनिंग साझेदारी बनाई और वॉ टीम के दूसरे सबसे सफल ओपनिंग पेयर भी बने, उनसे आगे सिर्फ हेडन और गिलक्रिस्ट की ही जोड़ी थी। उन दोनों ने मिलकर साथ में 93 वनडे में ओपनिंग की और 3919 रन साथ में जोड़े, जिसमे 8 बार उनकी साझेदारी 100 के पार गई।
वॉ ने शुरुआत एक मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ के रूप में की, जिसमे की वॉ टेस्ट में भी खेलते थे। जनवरी 1996 में उन्हें ओपनिंग के लिए भेजा गया और उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 130 रन बनाए। 4 पारियों बाद उन्होंने एक बार फिर 130 और 126 रन बनाए और खुद को एक सलामी बल्लेबाज़ के रूप में स्थापित किया। वॉ 2002 में रिटायर होने से पहले ओपनर ही रहे और अंत में उनके नाम 8500 वनडे रन थे।
4- क्रिस गेल
जमैका का यह ताबड़तोड़ बल्लेबाज़, जिसे पारी की शुरुआत में हार्ड हिटिंग बल्लेबाज़ी के लिए जाना जाता है, वो अपने करियर की शुरुआत में एक मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ थे। वो पहले नंबर 4 पर खेलते थे और वो नंबर 7 पर भी खेले है। हालांकि उनकी बल्लेबाज़ी को देखते हुए उन्हें ऊपर बल्लेबाज़ी करने के लिए भेजा जाने लगा।
उन्होंने सबसे पहले ज़िम्बाब्वे के खिलाफ 2000 में ब्रिस्टल में ओपनिंग की और 41 रन बनाए। उस वक़्त कोई और विकल्प ना होने के कारण उन्हें ही ओपनर बने रहने दिया गया। 2001 में केन्या के खिलाफ मारे 152 रनों ने उनकी जगह को मानों सील कर दिया हो। उनके नाम वनडे में दोहरा शतक और टेस्ट में दो तिहरे शतक भी दर्ज हैं।
5- रोहित शर्मा
जब रोहित शर्मा ने 2007 में टीम में पहली बार आए तब इंडिया का टॉप ऑर्डर काफी संतुलित था, इसलिए उन्हें मिडिल ऑर्डर में खेलने की जगह दी गई । वो कभी भी लगातार रन नहीं बना पाए, जिससे सब काफी परेशान थे, 2012 तक उन्होंने तीन बार ओपनिंग की, लेकिन वो कुछ ज्यादा खास नहीं कर पाए।
2013 के बाद से उनकी किस्मत ऐसे बदली कि मानों सारा जग ही उनके लिए पलट गया हो। 2013 की शुरुआत में उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ ओपनिंग का मौका मिला और उन्होंने गौतम गंभीर के साथ ओपनिंग की और 83 रन बनाए। उसके बाद वो लगातार टीम को शुरुआत दिलाते रहे। हालांकि उसी साल अक्तूबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने पहले नाबाद रहते हुए 141 रन बनाए, फिर उसी सीरीज में 209 रन बनाए और अगले साल उन्होंने 264 रन बनाए। वो अभी 29 साल के ही हैं और वो काफी कुछ हासिल कर सकते है।
6- तिलकरत्ने दिलशान
2009 से पहले दिलशान श्रीलंकन टीम में एक काम चलाऊ क्रिकेटर थे। जयसूर्या की गिरती फॉर्म को देखते हुए टीम को टॉप ऑर्डर में एक अनुभवी बल्लेबाज़ चाहिए था। दिलशान पिछले दशक से टीम के साथ थे और अब मौका था उनका कुछ कर दिखाने का और उन्होंने यह कारनामा स्टाइल में किया।
उन्होंने ओपनर के तौर पर अपनी तीसरी ही पारी में 137 रन बनाए और इस फॉर्म को तीनों फॉर्मेट में जारी रखा। उस साल उन्होंने 55 की औसत से 2,568 रन बनाए, उन्होंने इसके अलावा दिल स्कूप को इनवेंट किया। वो 2011 में हुए विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी थे। वो अभी भी टी-20 और वनडे क्रिकेट खेल रहे है।
7- वीरेंदर सहवाग
सहवाग जीतने भी साल क्रिकेट खेले, उनके पैर कभी भी नहीं चले, खासकर स्विंगिंग कंडीशन में तो बिल्कुल भी नहीं, ऊपर से नई गेंद के सामने, इसलिए जब सहवाग से ओपनिंग कराई गई, तो सब हैरान रह गए थे। उन्होंने अपना डैब्यू छठे नंबर पर खेलते हुए किया और शानदार शतक भी लगाया। टीम के मिडिल ऑर्डर रहते उन्होंने 5 टेस्ट खेले और 2002 में लॉर्ड्स में उन्हें ओपनिंग करने का मौका मिला।
उन्होंने शानदार 84 रन बनाए और इसी फॉर्म को अगले मैच में भी जारी रखा और अगले मैच में अपना दूसरा टेस्ट शतक लगाया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मारे गए 195 रन भी बहुत शानदार थे और उसी वक़्त उन्होंने अपनी असली क्लास दिखाई। हालांकि 2004 में उन्होंने बल्लेबाज़ी के मायने ही बादल दिए और बेहतरीन 309 रन बनाए, जो किसी भी भारतीय का सबसे पहला तिहरा शतक था। सहवाग ने अपने ही अंदाज़ में क्रिकेट खेली और टीम को अपने दम पर कई मुक़ाबले जिताए।
8- मार्वन अटापट्टु
अटापट्टु, जोकि वनडे और टेस्ट में श्रीलंका के कप्तान भी रहे है, वो भी एक ऐसे ओपनिंग बल्लेबाज़ रहे जो जयसूर्या के साथ सेकंड फ़िडल में खेले। उनका डैब्यू 20 साल की उम्र में 1990 में हुआ, लेकिन उनकी शुरुआत काफी फीकी रही।
उन्होंने शुरुआत एक 9वे नंबर के बल्लेबाज़ के रूप में की और 1996 तक वही खेलते रहे। 1997 के अंत में उन्होंने टेस्ट और वनडे में भारत के ओपनिंग करते हुए सेंचुरी लगाई। अटापट्टु का करियर 2007 में खत्म हुआ और उनके नाम 8,250 वनडे रन और 5,502 टेस्ट रन भी थे। जयसूर्या के साथ मिलकर उन्होंने 79 वनडे में 3,382 रन जोड़े।
9- एडम गिलक्रिस्ट
जिस खिलाड़ी ने टेस्ट में नंबर 7 पर बल्लेबाज़ी की हो, वो वनडे में ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते थे, उन्होंने हेडन के साथ मिलकर कई रिकॉर्ड बनाए। उनकी शुरुआत साउथ अफ्रीका के खिलाफ 1996 में एक 7वे नंबर के बल्लेबाज़ के रूप में ही हुई थी।
1998 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में ही उन्हें ओपनिंग का मौका मिला और दूसरे ही वनडे में उन्होंने शतक ठोक दिया वो भी ऐसी टीम के खिलाफ, जिसमे डोनाल्ड, पोलक, क्लूजनर और मैकमिलन जैसे गेंदबाज थे। दो मैच बाद ही उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ एक और शतक लगाया। उनका करियर 2008 में खत्म हुआ, उनके नाम 9619 रन और 16 सेंचुरी दर्ज है।
10- सचिन तेंदुलकर
सचिन के नाम वनडे में वो हर एक रिकॉर्ड हैं, जोकि एक बल्लेबाज़ के नाम होना चाहिए, वो निश्चित ही सबसे अच्छे ओपनिंग बल्लेबाज़ है। उन्होंने 23 साल तक वनडे क्रिकेट खेला, लेकिन उनकी शुरुआत एक मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ के तौर पर हुई।
नंबर 5 पर खेलते हुए वो लगातार दो बार 0 पर आउट हुए। 1994 तक वो चौथे और 5वे नंबर पर खेले और पहले 78 वनडे में उनके नाम एक भी शतक नहीं था। हालांकि न्यूज़ीलैंड के खिलाफ उन्हें अजय जडेजा के साथ ओपनिंग का मौका मिला और उन्होंने 49 गेंदो पर 82 रन बनाकर अपनी छाप भी छोडी।
उसके बाद उनके नाम 49 वनडे सेंचुरी है और उन्होंने ही सबसे ज्यादा वनडे रन भी बनाए हैं। वो 2012 तक वनडे खेले और 200 रन बनाने वाले भी वो पहले बल्लेबाज़ थे। किसी को नहीं कि आज सचिन इतने रन बना पाते, अगर 1994 में अजहर उन्हें ओपनिंग के लिए ना भेजते तो।
लेखक- आद्या शर्मा, अनुवादक- मयंक महता