क्रिकेट के मैदान में अंपायरिंग सबसे कठिन कार्यों में से एक है, क्रिकेट कोई धीमा खेल नहीं है इसलिए इसमें फैसले करने के लिये अंपायर के पास ज्यादा समय नही होता और थोड़े से समय में अपना फैसला देना पड़ता है। इसके अलावा अन्य खेलों के विपरीत, क्रिकेट मैच लंबी अवधि के लिए खेला जाता है और अंपायरिंग एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसमें कि एक इंसान अपनी एकाग्रता को बरकरार रखे रहता है। इसलिए अंपायरिंग में गलतियां आम बात होती हैं और खिलाड़ियों और दर्शकों द्वारा किसी भी प्रकार के विरोध के बिना कभी-कभी त्रुटि भी पाई जाती है।
कई बार अंपायरों द्वारा की गई त्रुटियों की गड़बड़ी ने क्रिकेट की दुनिया को चौंका दिया है। विभिन्न अवसरों पर, अंपायरों ने ऐसे फैसले किए जो तर्क और समझ से बाहर थे। इसके अलावा, कुछ फैसलों ने मैच के परिणाम को बदल कर रख दिया।
आइए हम दस ऐसे फैसलों पर नजर डालें जो विवादास्पद थे और क्रिकेट में चर्चा का विषय भी बन गए:
स्टुअर्ट ब्रॉड का नॉटिंघम में नॉट-आउट- बनाम ऑस्ट्रेलिया, 2013
ऑस्ट्रेलिया ने 2013 के पहले एशेज टेस्ट में एक प्रभावशाली पहली पारी की बढ़त बना रखी थी और दूसरी पारी में इंग्लैंड के बल्लेबाज़ी के पतन ने उन्हें और मजबूती प्रदान कर दी। इयान बेल और स्टुअर्ट ब्रॉड ने नुकसान कम करने की कोशिश की और एक महत्वपूर्ण साझेदारी बुनी। ब्रॉड जब लगभग सेट दिखने लगे तब पहला मैच खेल रहे एश्टन एगर ने ब्रॉड की तरफ घुमती गेंद डाल दी। इंग्लैंड के बल्लेबाज ने गेंद को कट करने की कोशिश की, लेकिन गेंद बल्ले का किनारा लेते हुए विकेटकीपर के दस्ताने को चूमा और पहली स्लिप पर खड़े माइकल क्लार्क के हाथों में चली गयी।
सभी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने जश्न मनाया, क्योंकि उन्होंने निर्णायक ब्रेक-थ्रू हासिल किया था लेकिन जल्द ही ये जश्न निराशा में बदला जब उन्होंने अंपायर अलीम डार को हिलते हुए भी न पाया। डार उस किनारे को देखने में असफल रहे जो स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था और ब्रॉड ऐसा जीवनदान पाने में भाग्यशाली रहे। इस निर्णय ने ऑस्ट्रेलिया को काफी नुकसान पहुंचाया, क्योंकि इन बाएं हाथ के बल्लेबाजों ने मैदान छोड़ने से पहले 28 रन जोड़े और 14 रन से मेहमान मैच हार गए।