टेस्ट क्रिकेट की 10 सबसे बड़ी साझेदारियां जिन्होंने मैच बचाया

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क्रिकेट के किसी भी प्रारुप में एक अच्छी साझेदारी की बहुत ही अहमियत होती है। टी20 क्रिकेट से लेकर टेस्ट मैच तक हर जगह साझेदारी से ही मैच जीते जाते हैं। टेस्ट मैचों में लंबी साझेदारी का बहुत बड़ा रोल होता है। पार्टरनशिप से मैच बचाए भी जाते हैं और जीते भी जाते हैं। टेस्ट क्रिकेट में कुछ पार्टनरशिप इतनी महत्वपूर्ण रही हैं कि उन्होंने हारे हुए मैच को भी बचा लिया है। कुछ ऐसी आश्चर्यचकित साझेदारियां रहीं जिनसे किसी को उम्मीद नहीं थी और उन्होंने मैच को जिता दिया। पिछले कई वर्षों में टेस्ट क्रिकेट में कई भव्य साझेदारियां हुई हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर ऐसी नहीं रही हैं जिन्होंने मैच में जीत दिलायी है। आईये ऐसी ही 10 बेहतरीन पारियों पर नजर डालते हैं- #10 फाफ डू प्लेसी और एबी डिविलियर्स बनाम ऑस्ट्रेलिया, एडिलेड, 2012 दक्षिण अफ्रीका ने 2012 के अंत में 3 टेस्ट मैचों की टेस्ट सीरीज़ के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया। ब्रिस्बेन में खेला गया पहला टेस्ट ड्रॉ हो गया था और दूसरा टेस्ट एडिलेड में हुआ था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की और कप्तान माइकल क्लार्क के बेहतरीन 257 गेंदों में 230 रन और डेविड वार्नर और माइकल हसी की शतकीय पारी की बदौलत पहली पारी में 550 रनों का स्कोर खड़ा किया। जिसके जवाब में मेजबान टीम ग्रीम स्मिथ के शानदार 122 रन, अल्विरो पीटरसन, फाफ डू प्लेसी और जैक कैलिस के अर्धशतक की बदौलत भी सिर्फ 388 रन ही बना सकी। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 267/8 पर पारी घोषित कर दी और साउथ अफ्रीका के सामने 430 रनों का लक्ष्य रखा। दक्षिण अफ्रीका के पास लक्ष्य का पीछा करने के लिए पूरा डेढ़ दिन का समय था। लेकिन दक्षिण अफ्रीका की पारी की शुरुआत बेहद खराब रही और शुरुआती 4 विकेट सिर्फ 45 रन पर गिर गये। इसके बाद क्रीज पर उतरे डू प्लेसी और एबी डीविलियर्स ने रक्षात्मक रणनीति को अपनाते हुए चौथे दिन की समाप्ति तक कोई और विकेट गिरने नहीं दिया। डीविलियर्स आम तौर पर आक्रामक बल्लेबाजी के लिये जाने जाते है, लेकिन उस मैच में उन्होंने 220 गेंदों में सिर्फ 33 रन बनाये। इस साझेदारी को आखिरकार पीटर सिडल ने तोड़ा जब उन्होंने टीम को एबीडी से छुटकारा दिलाया लेकिन डु प्लेसी ने अपनी पारी को बढ़ाते हुए आखिरकार अपना पहला टेस्ट शतक बनाया। आखिरकार मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ और साउथ अफ्रीका ने फाफ डू प्लेसी के नाबाद 110 रनों की पारी की बदौलत 8 विकेट खोकर 248 रन बनाए। डू प्लेसी और डीविलियर्स के बीच साझेदारी महत्वपूर्ण साबित हुई और दोनों ने अपनी साझेदारी की बदौलत टीम को हार से बचाा। #9 कॉलिन कौड्रे और पीटर मे बनाम वेस्ट इंडीज, एजबस्टन, 1957

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वेस्टइंडीज ने 1957 में इंग्लैंड का दौरा किया था एक मजबूत टीम के साथ जिसमें तीन बड़े नाम (एवर्टन वीक्स, फ्रैंक वॉरेल और क्लाईड वाल्कोट), रोहन कंन्ही, यंग गैरी सोबर्स, वेस हॉल और सनी रामधीन शामिल थे। पहला टेस्ट मैच एजबस्टन में खेला गया और इंग्लैंड की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 186 रन पर सिमट गयी जिसमें रामधीन ने 49 रन पर 7 विकेट लेकर मेजबान की कमर तोड़ दी। वहीं वेस्टइंजीज ने एक मजबूत जवाब देते हुए कोली स्मिथ के 161, क्लाइड वेलकॉट के 90 और फ्रैंक वॉरेल के 81 रनों की बदौलत स्कोर 474 के पार पहुंचाया। अपनी दूसरी पारी में इंग्लैंड को सलामी बल्लेबाजों पीटर रिचर्डसन और ब्रायन क्लॉज के द्वारा एक अच्छी शुरुआत मिली। हालांकि, रामधीन ने मेजबान को एक बार फिर परेशान करना शुरू कर दिया और रिचर्डसन और नंबर 3 के बल्लेबाज डग इन्सोल को जल्द पवेलियन भेज दिया। क्लॉज के जाने के बाद इंग्लैंड का स्कोर 113/3 था, कप्तान पीटर मे और कॉलिन काउड्रे क्रीज पर थे। वे खतरनाक साबित हो रहे रामधीन की मौजूदगी में 175 रनों का पीछा कर रहे थे ऐसे में सभी को अंदाजा था कि या तो बेहद कम स्कोर खड़ा होगा या फिर पारी की हार संभव थी। हालांकि, मे और काउड्रे ने समझदारी से बल्लेबाजी करते हुए विंडीज के गेंदबाजों को परेशान कर दिया। इस जोड़ी ने लगभग डेढ़ दिन तक क्रीज पर टिककर चौथे विकेट के लिए 411 रन की साझेदारी कर डाली जिसके बाद काउड्रे 500 बॉल पर 154 रन बनाकर आउट हो गये। मे ने इंग्लैंड की पारी 583/4 रन पर घोषित कर दी जिसमें उन्होंने खुद 600 बॉल पर 285 रन की पारी खेली। फ्रेड ट्रूमेन, जिम लैकर, टोनी लॉक की गेंदबाजी के आगे बल्लेबाज टिक नहीं सके और इंग्लैंड जीत के करीब जा पहुंचा। लेकिन कप्तान जॉन गोबार्ड की धैर्यभरी पारी की बदौलत वेस्टइंडीज 7 विकेट पर 72 रन बनाकर मैच ड्रॉ कराने में कामयाब रहा। #8 विली वॉटसन और ट्रेवर बेली बनाम ऑस्ट्रेलिया, लॉर्ड्स, 1953

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ट्रेंट ब्रिज में 1953 एशेज का पहला टेस्ट ड्रॉ में समाप्त हो गया और वहीं दूसरा टेस्ट लॉर्ड्स में खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की और पहली पारी में 346 रन बनाये। ऑस्ट्रेलिया के 40 वर्षीय कप्तान लिंडसे हैसेट ने शतक लगाया और नील हार्वे व एलन डेविडसन ने अर्धशतक बनाया। जवाब में इंग्लैंड ने लेन हटन के 145 और टॉम ग्रेवेन और डेनिस कॉम्प्टन के अर्धशतक की बदौलत 372 का स्कोर खड़ा कर पाया। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने किथ मिलर के 109 और आर्थर मॉरिस के 89 की मदद से 368 रन बनाए। इंग्लैंड को जीत के लिए 343 रनों का लक्ष्य दिया। हालांकि इंग्लैंड की शुरुआत बेहद खराब रही, कप्तान लेन हटन, डॉन कैन्योन और टॉम ग्रेवेन दहाई का आंकड़ा भी छू नहीं पाये। विली वाटसन और कॉम्प्टन ने चौथे विकेट के लिए 61 रन की साझेदारी की लेकिन बिल जॉनसन के 33 रन के स्कोर पर आउट होने के बाद ये साझेदारी भी टूट गई। ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को गहरी परेशानी में डाला दिया था, लेकिन उनकी पारी को वाटसन ने बचाया जो ट्रेवर बेली के साथ खड़े रहे। उन्होंने चार घंटे से अधिक समय तक धैर्य के साथ बल्लेबाजी की और पांचवें विकेट के लिए 163 रन जोड़े। जब तक वॉटसन को डॉग रिंग ने आउट किया तब तक वह बेहतरीन 109 रन बना चुके थे और सिर्फ एक घंटे से कम का समय बाकी रह गया था। अंततः बेली को रिंग ने 40 मिनट शेष रहते हुए 71 रन पर आउट कर दिया, लेकिन इंग्लैंड 282/7 के साथ मैच बचाने में सफल रहा। #7 मार्टिन क्रो और एंड्रयू जॉन बनाम श्रीलंका, वेलिंगटन, 1991

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1991 में श्रीलंका के न्यूज़ीलैंड दौरे का यह पहला टेस्ट था। श्रीलंका ने टॉस जीता और कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने मेजबान टीम को पहले बल्लेबाजी करने के लिए भेजा। रुमेश रत्नेयके और ग्रीम लेब्राय (दोनों ने 4-4 विकेट लिए) ने शानदार गेंदबाजी की जिसकी बदौलत न्यूजीलैंड की पहली पारी केवल 174 रन पर सिमट गयी । जिसके जवाब में अरविंद डी सिल्वा के लाजवाब दोहरे शतक (267) और असान्का गुरुससिन्हा (70) व अर्जुन राणातुंगा (55) की अर्धशतकीय पारी की बदौलत श्रीलंका ने 497 रन बनाकर 323 रनों की बड़ी बढ़त हासिल की। दूसरी पारी में न्यूजीलैंड की टीम ने अच्छी शुरुआत की। जिसमें जॉन राइट (88) ने ट्रेवर फ्रैंकलिन के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए 134 रन जोड़े। लेकिन चंपाक रमनायके ने जल्दा ही दोनों को पवेलियन भेज दिया और क्रीज पर कप्तान मार्टिन क्रो और एड्रूय जॉन की नयी नवेली जोड़ी आ गयी। अभी न्यूजीलैंड की पारी 175 रन पीछे थी और उन्हें मैच बचाने के लिए कुछ खास करने की जरूरत थी। इसके बाद दोनों ने इतिहास रचते हुए न्यूजीलैंड की तरफ से सर्वोच्च साझेदारी का रिकॉर्ड बना डाला। मार्टिन और जॉन ने लगभग 9 घंटे तक बल्लेबाजी करते हुए 924 बॉल पर 467 रन बना डाले। दोनों बल्लेबाजों ने काफी धैर्य से बल्लेबाजी की और हारे हुए मैच को ड्रॉ की तरफ ढकेल दिया। आखिरकार इस जोड़ी को राणातुंगा ने तोड़ा, जिन्होंने जोन्स को 454 गेंदों में 186 रनों पर आउट किया। हालांकि क्रो के लिए ये मैच दुर्भाग्यशाली रहा क्योंकि 299 रन बनाकर वो मैच की अंतिम गेंद पर आउट हो गए। क्रो अपने तिहरे शतक से चूक गये लेकिन जोन्स के साथ अविश्वसनीय साझेदारी कर मैच को ड्रॉ करा दिया। #6 ब्रेंडन मैकलम और बीजे वॉटलिंग बनाम भारत, वेलिंगटन, 2014

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5 मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला में भारत को 4-0 से हराकर न्यूजीलैंड ने पहले ही बढ़त बना ली थी। इसके बाद टेस्ट सीरीज के पहले मैच में भी भारत को 40 रन से हराकर सीरीज में दबाव पूरी तरह से भारत के ऊपर ढकेल दिया। वेलिंगटन में खेले गये दूसरे टेस्ट में भारत ने वापसी करते हुए मेजबानों को पहली पारी में सिर्फ 197 रन पर समेट दिया। जिसमें इशांत शर्मा (6/51) और मोहम्मद शमी (4/70) की शानदार गेंदबाजी का योगदान रहा। जवाब में भारत ने अजिंक्या रहाणे के 118 रनों की पारी की बदौलत अपनी पहली पारी में 438 रन बनाए। रहाणे ने कप्तान एमएस धोनी (68) के साथ 120 रन की साझेदारी की और शिखर धवन ने 98 रन का योगदान दिया। 246 रन का पीछा करते हुए न्यूजीलैंड की दूसरी पारी लड़खड़ा गयी और न्यूजीलैंड को 94/5 रन पर लाकर भारत जीत की स्थिति में आ गया। इसके बाद ब्रेंडन मैकलम और वीजे वॉटलिंग ने लाजवाब बल्लेबाजी करते हुए छठे विकेट के लिए 352 जोड़ कर मैच को बचा लिया। इसके साथ ही वाटलिंग और मैकलम ने 2009 में महेला जयवर्धने और प्रसन्ना जयवर्धने द्वारा बनाये गये छठे विकेट के लिए सबसे ज्यादा रनों की साझेदारी के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। इनकी जोड़ी को आखिरकार मोहम्मद शमी ने तोड़ा और अतत: न्यूजीलैंड की पारी 680/8 पर जाकर समाप्त हुई और भारत को जीत के लिए 435 रन का टारगेट मिला। भारत ने 166/3 रन बनाये और मैच ड्रॉ पर समाप्त हो गया। #5 डेनिस अमिस और पैट्रिक इयान पोकॉक बनाम वेस्टइंडीज़, किंग्सटन, 1974

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पोर्ट ऑफ स्पेन में विंडीज के हाथों पहला टेस्ट हारने के बाद इंग्लैंड की टीम दूसरा टेस्ट खेलने के लिए किंग्स्टन गई। इंग्लैंड ने टॉस जीता और कप्तान माइक डेनेस ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। जेफ्री बॉयकॉट और डेनेस के अर्धशतक की बदौलत मेहमान टीम ने पहली पारी में 385 रन बनाये। जिसके जवाब में वेस्टइंडीज ने 9 विकेट खोकर 583 रन बनाए। वेस्टइंडीज की तरफ से लॉरेस रॉ ने 120 रन, रॉय फ्रेडरिक्स ने 94, एल्विन कालीचरन ने 93, बेनॉर्ड जूलिएन ने 66 और गैरी सोबर्स ने 57 रन की पारी खेली। इंग्लैंड की दूसरी पारी में डेनिस एमिस को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज ज्यादा देर तक क्रीज पर नहीं टिक सका। इंग्लैंड की टीम 271 रनों पर ही 7 विकेट गंवाकर मुश्किल में आ गई। मेजबान टीम को जीत के लिए सिर्फ 3 विकेट की दरकरार थी और आसान लक्ष्य को पाकर वेस्टइंडीज सीरीज में 2-0 की बढ़त ले सकती थी। हालांकि क्रिस ओल्ड से अमीस को सहायता मिली और दोनों ने 8वें विकेट के लिए 72 रन जोड़े। ओल्ड 19 रन बनाकर आउट हो गये। इंग्लैंड के पास सिर्फ 113 रनों की बढ़त थी और दो विकेट मेजबानों के लिए जीत सुनिश्चित कर देते। जिसके बाद क्रीज पर उतरे इयान पोकॉक ने पूरी शिद्दत के साथ गेंदों को खेला और छोड़ा जबकि दूसरे छोर पर मौजूद अमीस रन बनाते रहे। पोकॉक और अमीस ने नौंवे विकेट के लिए 49 रन बनाये। इस साझेदारी की बदौलत इंग्लैंड ने लंबे समय तक बल्लेबाजी की, जिससे विंडीज को कुछ ओवरों में लक्ष्य को पाने से रोकने में मदद मिली। हालांकि पोकॉक आउट हो गये लेकिन इंग्लैंड ने अपना आखिरी विकेट नहीं गंवाया और आखिरी दिन मैच 432/9 रन पर समाप्त हो गया जिसमें अमीस ने जुझारू 262 रन बनाये। #4 ब्रेट ली और ग्लेन मैक्ग्रा बनाम इंग्लैंड, टेंट ब्रिज, 2005

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2005 एशेज का तीसरा टेस्ट नॉटिंघम में खेला जाना था। इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 408 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 308 रन बनाए। दूसरी पारी में शेन वॉर्न ने 46 रन पर 6 विकेट लेकर इंग्लैंड को केवल 182 रन पर सीमित कर दिया और ऑस्ट्रेलिया को मैच जीतने के लिए 423 रन की जरूरत थी। एक दिन से ज्यादा समय का खेल अभी बाकी था। हालांकि उन्होंने अंतिम दिन जल्द ही जस्टिन लैंगर का विकेट खो दिया। रिकी पोंटिंग ने संघर्षशील बल्लेबाजी की लेकिन मैथ्यू हेडन और माइकल क्लार्क को छोड़कर अन्य बल्लेबाज में से कोई भी उन्हें कोई सहायता नहीं कर सका। क्लार्क के आउट होने के बाद, जेसन गिलेस्पी को शून्य के लिए वापस भेज दिया गया था और ऑस्ट्रेलिया 274 रन बनाकर संघर्ष कर रहा था, 27 ओवर का मैच खेला जाना अभी बाकी था। इंग्लैंड को सीरीज जीतने के लिए सिर्फ तीन विकेट की जरूरत थी। हालांकि वॉर्न ने 34 रन पर आउट होने से पहले पोंटिंग के साथ आठवें विकेट के लिए 76 रन जोड़े। जिसके बाद पोंटिंग भी 156 रनों की संघर्ष भरी पारी खेलने के बाद आउट हो गये। इंग्लैंड को जीत के लिए चार ओवर में ब्रेट ली या ग्लेन मैकग्रा में से किसी एक को आउट करना था। ली और मैक्ग्रा ने ना सिर्फ मैच बचाया बल्कि कुछ अच्छे शॉट भी खेलकर आखिरी विकेट के लिए 17 रन जोड़े। इसी के साथ मैच 371/9 पर ड्रॉ पर समाप्त हुआ। यह एक ऐसा दुर्लभ अवसर था जहां विश्व के सबसे घातक तेज गेंदबाजों ने अपनी बल्लेबाजी के साथ मैच बचाया था। #3 केन मैके और लिंडसे क्लाइन बनाम वेस्टइंडीज, एडिलेड, 1961

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तीन टेस्ट के बाद 1961 में वेस्टइंडीज के ऑस्ट्रेलिया दौरे में दोनों टीमों ने एक-एक मैच जीता था। ऑस्ट्रेलिया ने मेलबर्न में दूसरे टेस्ट में सात विकेट से जीत हासिल की, जबकि सिडनी में तीसरे टेस्ट में मेहमान टीम ने उन्हें 223 रनों से हरा दिया। अंतिम टेस्ट एडिलेड में खेला गया और जहां वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। रोहन कन्हई के 117 और कप्तान फ्रैंक वॉरेल (78) और गैरी अलेक्जेंडर (63) के अर्धशतक की बदौलत विंडीज ने 393 रन बनाये। रिची बेनॉड ने ऑस्ट्रेलिया के लिए पांच विकेट लिए। जवाब में मेजबान ने बॉबी सिम्पसन (85), रिची बेनॉड (77) और कॉलिन मैकडॉनल्ड(71) के अर्धशतक की मदद से 366 रन बनाये। लांस गिब्स ने 97 रन देकर 5 विकेट अपने नाम किये। दूसरी पारी में विंडीज ने 432/6 रन बनाए, जिसमें कन्हई ने 115 और अलेक्जेंडर, कॉनराड हंट, और वॉरेल ने अर्धशतक जमाए। ऑस्ट्रेलिया को 460 रनों का लक्ष्य मिला। मेजबान टीम की पारी की शुरूआत बेहद खराब हुई और जल्द ही कॉलिन मैकडॉनल्ड, लेस फेवेल और बॉबी सिंपसन पवेलियन लौट गई। किसी प्रकार नॉर्म ओ'नील और पीटर बर्ग ने क्रमश: 65 और 49 रन बनाए। दोनों बल्लेबाजों के आउट होने के बाद वैली ग्राउट ने 42 रन जोड़े लेकिन जल्द ही उन्हें वापस भेज दिया गया। एक समय जब ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 207/9 था तब क्रीज पर केन मैकी और लिंडेस क्लाइन की जोड़ी मौजूद थी। दोनों ने शानदार बल्लेबाजी का नजारा पेश करते हुए हारे हुए टेस्ट को ड्रॉ करा दिया। ऑस्ट्रेलिया ने अंतिम विकेट के लिए 66 रन जोड़े। जिसमें मैकी ने 223 गेंदों का सामना करते हुए 62 रन बनाये और क्लाइन ने 109 गेंदों में 15 रन बनाए। #2 माइक एथरटन और जैक रसेल बनाम दक्षिण अफ्रीका, जोहान्सबर्ग, 1995 2 1995 में इंग्लैड के दक्षिण अफ्रीका दौरे का पहला टेस्ट में तीन दिन बारिश के कारण मैच ड्रॉ हो गया। दूसरा टेस्ट मैच जोहांसबर्ग में खेला गया। मेजबान टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए गैरी कर्स्टन (110) और डेरिल कुलिनन के 69 रन की मदद से 332 रन बनाये। जिसके जवाब में इंग्लैंड की टीम केवल 200 रन ही बना सकी, रॉबिन स्मिथ ने 52 रन बनाये जबकि एलेक स्टीवर्ट और ग्राहम थोर्प ने 45 और 34 रन बनाये। अपनी दूसरी पारी में, ब्रायन मैकमिलन के 100 और कुलिनन के 61 रनों की बदलौत दक्षिण अफ्रीका ने 346/9 का स्कोर बनाया। इंग्लैंड को जीत के लिए 479 रन का टारगेट मिला। कप्तान माइक एथरटन ने शानदार बल्लेबाजी की लेकिन उन्हें टीम के अन्य साथियों का साथ नहीं मिला। जब इंग्लैंड को जीत के लिए 247 रन चाहिए थे तब मेहमान टीम का स्कोर 232/5 रन था और क्रीज पर एथरटन और विकेटकीपर बल्लेबाज जैक रशेल मौजूद थे। उनकी 119 रन की धैर्यवान साझेदारी ने ऐलन डोनाल्ड और शॉन पोलाक जैसे गेंदबाजों को परेशान करके रख दिया। इंग्लैड के कप्तान ने 11 घंटे बल्लेबाजी कर 492 गेंद पर अपना सर्वोच्च स्कोर 185 बनाया। वहीं दूसरे छोर पर मौजूद रशेल ने लगभग चार घंटे क्रीज पर बिताकर 235 गेंद पर 29 रन बनाये। #1 राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण बनाम ऑस्ट्रेलिया, कोलकाता, 2001

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यह निस्संदेह भारतीय क्रिकेट के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी है। 2001 में घरेलू श्रृंखला के दौरान मुंबई में ऑस्ट्रेलिया के हाथों पहला टेस्ट हारने के बाद, भारत को ईडन गार्डन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच जीतकर सीरीज बराबर करने की बड़ी चुनौती थी। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। जिसमें स्टीव वॉ ने 110, मैथ्यू हेडन ने 97 और जस्टिस लैंगर ने 58 रन की पारी खेली। भारत के लिए इस मैच में सिर्फ हरभजन सिंह का प्रदर्शन ही सकारात्मक पक्ष रहा। हरभजन ने पहली पारी में सात विकेट चटकाए और भारत की तरफ से टेस्ट मैच में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बने। वहीं ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजी आक्रमण ने भारत को सिर्फ 171 रनों पर समेट दिया, जिसमें ग्लेन मैकग्रा ने चार विकेट और शेन वॉर्न, जेसन गिलेस्पी और माइकल कास्प्रोविच ने दो-दो विकेट लिए। स्टीव वॉ ने भारत को फॉलो-ऑन दे दिया और भारत को फिर से बल्लेबाजी करना पड़ा। दूसरी पारी में, सौरव गांगुली ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने भारत की क्रिकेट की किस्मत को हमेशा के लिए बदल दिया। उन्होंने वीवीएस लक्ष्मण को राहुल द्रविड़ के बदले नंबर 3 पर भेजा। गांगुली और लक्ष्मण ने चौथे विकेट के लिए 117 रन जोड़े, गांगुली 48 रन बनाकर आउट हुए। जब द्रविड़ नंबर 6 पर बल्लेबाजी करने क्रीज पर आये तब भारत का स्कोर 232/4 था। इसके बाद कोलकाता का मैदान एक यादगार साझेदारी का गवाह बना। द्रविड़ और लक्ष्मण ने एक दिन से ज्यादा समय तक असाधारण बल्लेबाजी की। इस जोड़ी ने 5वें विकेट के लिए 376 रन जोड़े, लक्ष्मण ने अपनी वेरी वेरी स्पेशल पारी खेलते हुए 281 रन बनाए जो उस समय टेस्ट क्रिकेट में एक भारतीय खिलाड़ी द्वारा सर्वोच्च स्कोर था। दोनों बल्लेबाजी के आगे किसी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज की नहीं चली। आखिरकार मैक्ग्रा ने लक्ष्मण का विकेट लेते हुए इस साझेदारी को तोड़ा। हालांकि, उस समय तक भारत ने 308 रन की बढ़त हासिल कर ली थी। फिर द्रविड़ 180 रन बनाकर आउट हुए। पांचवे दिन की शुरूआत में कप्तान गांगुली ने पारी घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 384 रन का टारगेट दिया। हरभजन सिंह और सचिन तेंदुलकर ने गेंदबाजी में कमाल दिखाते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम को सिर्फ 212 रन पर ऑलआउट कर दिया और इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया का लगातार 16 जीत का सिलसिला समाप्त हो गया। भारत फॉलोऑन को खेलकर टेस्ट मैच जीतने वाली तीसरी टीम बन गई। यह जीत भारत की सबसे यादगार टेस्ट जीत है जिसे द्रविड़ और लक्ष्मण ने पांचवें विकेट के लिए 376 रन की साझेदारी से संभव बना दिया। यह 1946 में ऑस्ट्रेलिया के लिए डॉन ब्रैडमैन और सिड बार्न्स की साझेदारी के बाद टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी पांचवीं विकेट के लिए साझेदारी थी। लेखक- निलाभ्रा रॉय अनुवादक- सौम्या तिवारी