#1 राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण बनाम ऑस्ट्रेलिया, कोलकाता, 2001
यह निस्संदेह भारतीय क्रिकेट के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी है। 2001 में घरेलू श्रृंखला के दौरान मुंबई में ऑस्ट्रेलिया के हाथों पहला टेस्ट हारने के बाद, भारत को ईडन गार्डन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच जीतकर सीरीज बराबर करने की बड़ी चुनौती थी। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। जिसमें स्टीव वॉ ने 110, मैथ्यू हेडन ने 97 और जस्टिस लैंगर ने 58 रन की पारी खेली। भारत के लिए इस मैच में सिर्फ हरभजन सिंह का प्रदर्शन ही सकारात्मक पक्ष रहा। हरभजन ने पहली पारी में सात विकेट चटकाए और भारत की तरफ से टेस्ट मैच में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बने। वहीं ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजी आक्रमण ने भारत को सिर्फ 171 रनों पर समेट दिया, जिसमें ग्लेन मैकग्रा ने चार विकेट और शेन वॉर्न, जेसन गिलेस्पी और माइकल कास्प्रोविच ने दो-दो विकेट लिए। स्टीव वॉ ने भारत को फॉलो-ऑन दे दिया और भारत को फिर से बल्लेबाजी करना पड़ा। दूसरी पारी में, सौरव गांगुली ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने भारत की क्रिकेट की किस्मत को हमेशा के लिए बदल दिया। उन्होंने वीवीएस लक्ष्मण को राहुल द्रविड़ के बदले नंबर 3 पर भेजा। गांगुली और लक्ष्मण ने चौथे विकेट के लिए 117 रन जोड़े, गांगुली 48 रन बनाकर आउट हुए। जब द्रविड़ नंबर 6 पर बल्लेबाजी करने क्रीज पर आये तब भारत का स्कोर 232/4 था। इसके बाद कोलकाता का मैदान एक यादगार साझेदारी का गवाह बना। द्रविड़ और लक्ष्मण ने एक दिन से ज्यादा समय तक असाधारण बल्लेबाजी की। इस जोड़ी ने 5वें विकेट के लिए 376 रन जोड़े, लक्ष्मण ने अपनी वेरी वेरी स्पेशल पारी खेलते हुए 281 रन बनाए जो उस समय टेस्ट क्रिकेट में एक भारतीय खिलाड़ी द्वारा सर्वोच्च स्कोर था। दोनों बल्लेबाजी के आगे किसी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज की नहीं चली। आखिरकार मैक्ग्रा ने लक्ष्मण का विकेट लेते हुए इस साझेदारी को तोड़ा। हालांकि, उस समय तक भारत ने 308 रन की बढ़त हासिल कर ली थी। फिर द्रविड़ 180 रन बनाकर आउट हुए। पांचवे दिन की शुरूआत में कप्तान गांगुली ने पारी घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 384 रन का टारगेट दिया। हरभजन सिंह और सचिन तेंदुलकर ने गेंदबाजी में कमाल दिखाते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम को सिर्फ 212 रन पर ऑलआउट कर दिया और इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया का लगातार 16 जीत का सिलसिला समाप्त हो गया। भारत फॉलोऑन को खेलकर टेस्ट मैच जीतने वाली तीसरी टीम बन गई। यह जीत भारत की सबसे यादगार टेस्ट जीत है जिसे द्रविड़ और लक्ष्मण ने पांचवें विकेट के लिए 376 रन की साझेदारी से संभव बना दिया। यह 1946 में ऑस्ट्रेलिया के लिए डॉन ब्रैडमैन और सिड बार्न्स की साझेदारी के बाद टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी पांचवीं विकेट के लिए साझेदारी थी। लेखक- निलाभ्रा रॉय अनुवादक- सौम्या तिवारी