एक आम आदमी और एक हीरो में क्या अंतर है? कुछ का मानना है कि अपने फील्ड में अच्छा करने वाला हीरो होता है जबकि कुछ का मानना है कि जिसमें दूसरों को इंस्पायर करने की काबिलियत हो, वही हीरो होता है। ये दोनों ही अपनी जगह बिल्कुल सही बैठते हैं। इन सबके अलावा हीरो वो होता है जो अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करे। ये बातें क्रिकेट के खेल में भी पूरी तरह से लागू होती है। खिलाड़ियों को लगातार बेहतरीन खेल दिखाते रहना पड़ता है। और इसके साथ ही गेम के सच्चा हीरो बनने के लिए खेल भावना का पूरा ख्याल रखना पड़ता है। क्रिकेट में ऐसे बहुत सी घटनाएं हुई है जब खिलाड़ियों ने मैच के नतीजों से कहीं ज्यादा खेल की भावना को बेहद महत्व दिया है। आइए नजर डालते हैं ऐसी ही दस घटनाओं पर: #1 नॉट आउट दिए जाने के बाद भी गिलक्रिस्ट चल पड़े क्रिकेट में शायद कुछ ही मैचों की अहमियत सेमीफाइनल मैच से ज्यादा हो सकती है। एडम गिलक्रिस्ट ने वर्ल्ड कप जैसी परफेक्ट ओकेज़न के दौरान जबरदस्त खेल भावना का परिचय दिया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की शुरुआत की और गिलक्रिस्ट ने बेहतरीन शुरुआत करते हुए 20 गेंदों में 22 रन बना डाले। श्रीलंका की टीम ने विकेट लेने के लिए अरविंदा डी सिल्वा को अटैक पर उतारा। वो गिलक्रिस्ट के बल्ले से किनारा निकलवाने में कामयाब रहे। बॉल पैड पर लगी और संगाकारा ने एक आसान सी कैच पकड़ ली। अंपायर रूडी कर्टजन का श्रीलंकाई अपील पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन सभी को हैरानी में डालते हुए एडम गिलक्रिस्ट पवैलियन की ओर चल पड़े। नॉट आउट दिए जाने के बाद भी गिली के इस तरह से जाने से उनकी बहुत तारीफ हुई। ऑस्ट्रेलिया की टीम ने आसानी के साथ फाइनल में जगह बना ली। और भारत को फाइनल में हराकर वर्ल्डकप पर कब्जा किया। #2 सचिन अंपायर के फैसले का इंतजार किए बिना पवैलियन की ओर चल पड़े सचिन तेंदुलकर क्रिकेट की दुनिया के सबसे बड़े रोल मॉडल हैं। इस जबरदस्त बल्लेबाज होने के अलावा वो ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने हमेशा ही खेल भावना को ऊपर उठाने की कोशिश की है। इसकी बानगी वर्ल्ड कप 2011 में वेस्टइंडीज के साथ मैच में देखने को मिली। सचिन जबरदस्त फॉर्म में थे और उनके पास मैच में अच्छे रन बनाने का मौका था। रवि रामपॉल की एक गेंद उनकी ग्लव्स से टकराकर विकेटकीपर के पास चली गई। खिलाड़ियों की अपील के बाद अंपायर असमंजस में पड़ गए। लेकिन अंपायर के फैसले का इंतजार किए बिना ही सचिन तेंदुलकर पवैलियन की चल दिए। ये उन कई मौकों में से एक मौका था जब सचिन अंपायर के फैसले सुने बिना खुद ही आउट मानकर चले गए। #3 जब धोनी ने इयान बैल को वापस बुलाया भारतीय टीम के पूर्व टेस्ट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज को उन्हें यादगार बना दिया। 2011 सीरीज के दौरान दूसरे टेस्ट मैच में जब इयान बैल 137 रनों पर बल्लेबाजी कर रहे थे तो वो क्रीज से निकले। एक भारतीय बॉलर ने गेंद को पकड़कर बेल्स को जल्दी से गिरा दिया। भारतीय खिलाड़ियों ने अपील की और अंपायर ने उन्हें आउट दे दिया, अंपयारों ने टी-ब्रेक की घोषणा कर दी। टी-ब्रेक के दौरान इंग्लैंड टीम मैनेजमेंट ने धोनी की अप्रोच किया और अंपायर के फैसले पर फिर से रिव्यू करने को कहा। ब्रेक के बाद दर्शकों को हैरानी हुई जब इयान बैल बल्लेबाजी करने के लिए उतरे, जिससे धोनी और टीम इंडिया को खूब वाहवाही मिली। ये महेंद्र सिंह धोनी के द्वारा खेल भावना का परिचय देने वाली सबसे घटना थी। #4 गुंडप्पा विश्वनाथ ने अपील वापस ली 1979-80 भारत-इंग्लैंड सीरीज के दौरान भारतीय टीम के महान खिलाड़ी गुंडप्पा विश्वनाथ ने खेल भावना को नई ऊंचाई पर ले गए। इंग्लैंड के विकेटकीपर बल्लेबाज बॉब टेलर 43 रनों पर गेंदबाजी कर रहे थे, तभी कपिल देव की गेंदबाजी पर फील्डरों ने कॉट बिहाइंड की अपील की और अंपायर ने उन्हें आउट करार दे दिया। बॉब टेलर क्रीज पर डटे रहे। इस हालात को देखकर, गुंडप्पा विश्वनाथ टेलर के पास गए और उनसे पूछा कि आपसे कोई किनारा लगा है। टेलर ने इंकार कर दिया। इस महान बल्लेबाज ने अंपायर के पास जाकर उन्हें फैसला बदलने की अपील की और जिसके बाद बॉब फिर से खेलने लगे। गुंडप्पा विश्वनाथ के इस फैसले की हर जगह जमकर तारीफ हुई। #5 एड्यू स्ट्रॉस ने एंजेलो मैथ्यूज को बल्लेबाजी के लिए बुलाया इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एड्यू स्ट्रॉस ने हमेशा ही अपनी टीम के लिए उदाहरण सेट किया है। ऐसा ही कुछ 2009 में साउथ अफ्रीका में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान देखने को मिला। ग्रुप मैच में श्रीलंका और इंग्लैंड के दौरान श्रीलंकाई बल्लेबाज मैथ्यूज रन लेने के लिए दौड़े और ग्राहम अनियंस उनसे टकरा गए। मैट प्रायर ने इसका फायदा उठाकर बेल्स गिरा दिए। मैथ्यूज ने पहले इस फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की, लेकिन उसके बाद वो पवैलियन की ओर जाने लगे। स्ट्रॉस ने अंपायर से बात करने के बाद एंजलो मैथ्यूज को वापिस बुलाया। स्ट्रॉस के इस फैसले की जमकर तारीफ हुई। #6 डेनियल वेटोरी ने अपील वापस ली न्यूजीलैंड टीम के कप्तान डैनियल विटोरी ने 2011 में जिम्बॉब्वे के साथ एक टेस्ट मैच के दौरान खेल भावना का अच्छा परिचय दिया, जिसकी वजह से उन्हें 2012 में क्रिकेट स्पिरिट अवॉर्ड से नवाजा गया। जिम्बॉब्वे के बल्लेबाज चकाब्वा को गेंदबाजी करने के दौरान विटोरी नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े मैल्कम से टकरा गए। जिसकी वजह से मैल्कम रन नहीं चुरा पाए। चकाब्वा रन के लिए आधी क्रीज तक आ चुके थे। जिसके बाद कीवी विकेटकीपर ने थ्रो को कलेक्ट कर बेल्स को उड़ा दिया था। जिसके बाद इस महान गेंदबाज ने दखल देकर अपील वापिस ली कि उनकी वजह से वो रन आउट हुए। अवॉर्ड मिलने के अलावा, उनकी क्रिकेट जगत में खूब वाहवाही हुई। #7 मर्वन अटापट्टू ने सायमंड्स को वापिस बुलाने के लिए कहा 2004 में श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे सीरीज खेली गई, जिसमें सायमंड्स ने धर्मसेना की गेंद पर पुल शॉट मारने की कोशिश की। जिससे गेंद उनके बल्ले से टकराकर पैड पर जा लगी। गेंदबाज और खिलाड़ियों ने अपील की और तुरंत की अंपायर पीटन मैनुअल ने उन्हें आउट दे दिया। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ने इस फैसले पर हैरानी जताई और क्रीज छोड़कर जाने लगे। श्रीलंकाई बल्लेबाजी विकेट मिलने की खुशी मनाने लगे हालांकि कप्तान मर्वन अटापट्टू पूरी तरह से आश्वस्त थे कि बॉल पहले बैट से टकराई है। अंपायर ने दूसरे अंपायर बिली बाउडिन से बात की, बिली ने श्रीलंकाई कप्तान से बात की। अटापट्टू ने सायमंड्स को वापिस बुलाने की हामी भरी और अंपायरों ने अपना फैसला बदल दिया। #8 कर्टनी वॉल्श ने कादिर को रन आउट नहीं किया मैनकडिंग को क्रिकेट में किसी खिलाड़ी को आउट करने का खेल भावना के उलट निर्णय माना जाता है। इसमें गेंदबाज बॉलिंग करते हुए रुककर नॉन स्ट्राइकर को रन आउट कर देता है। 1987 वर्ल्ड कप के दौरान वेस्ट इंडीज के महान गेंदबाज कर्टनी वॉल्श पाकिस्तान के अब्दुल कादिर को गेंदबाजी कर रहे थे और मैच के दौरान वॉल्श गेंदबाजी करते हुए रुक गए। काफी लोगों ने सोचा कि वॉल्श कादिर को आउट कर देंगे क्योंकि वो लगभग दूसरे छोर तक जा पहुंचे थे। उस वक्त पाकिस्तान को जीत के लिए सिर्फ 2 रनों की दरकार थी। लेकिन वॉल्श ने ऐसा नहीं किया और वो फिर से रनअप लेने लगे। पाकिस्तानी टीम ने कर्टनी की अगली बॉल पर मैच जीतने में कामयाबी हासिल की। लेकिन वॉल्श के ऐसा करने से उन्होंने सभी का दिल जीत लिया। #9 इमरान खान ने अंपायर को फैसला बदलने के लिए कहा भारत पाकिस्तान मैच के दौरान पाकिस्तान के महान खिलाडी इमरान खान ने जबरदस्त खेल भावना का परिचय देकर लाखों दिलों को जीत लिया। क्रिस श्रीकांत को अंपायर ने गलत LBW करार दे दिया। 1989 में लाहौर में खेले गए वनडे मैच के दौरान वकार यूनिस की गेंद पर उन्हें आउट दिया गया। श्रीकांत पूरी तरह से आश्वस्त थे कि वो आउट नहीं है और वो अंपायर के फैसले पर नाराजगी जताते हुए जाने लगे। लेकिन इमरान खान ने उन्हें क्रीज में वापिस जाने को कहा और अंपायर से फैसला बदलने की मांग की। दुर्भाग्यपूर्वक श्रीकांत अगली ही गेंद पर आउट हो गए। इमरान खान के उस फैसले ने सबका दिल जीत लिया था। #10 ग्रांट इलियट ने 2015 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल हारने पर डेल स्टेन को दिलासा दिया क्रिकेट में खेल भावना ये भी है कि मैदान पर संघर्ष के बाद मैच के बाद हाथ दोस्ती के लिए बढ़े। इसका जबरदस्त उदाहरण 2015 वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के ग्रांट इलियट की ओऱ से देखने को मिला। साउथ अफ्रीका के खिलाफ जीत के हीरो इलियट ने डेल स्टेन की गेंद पर विनिंग रन बनाए। जिससे साउथ अफ्रीका का फाइनल में पहुंचने का सपना टूट गया। ऐसा होने के बाद डेल स्टेन सिर झुकाकर बैठ गए। ग्रांट इलियट उनकी तरफ आए और उन्हें खड़ा करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया। इस खेल भावना को दर्शाने वाला बेहतरीन लम्हा था। न्यूजीलैंड ने न सिर्फ इस मैच को जीता बल्कि इस घटना ने लाखों खेल प्रेमियों के दिलों को भी जीत लिया था। लेखक- अभिनव मैसी, अनुवादक- विजय शर्मा