किसी भी खिलाड़ी के लिए राष्ट्रीय टीम में खेलना सपना सच होने जैसा होता है। लेकिन, वहां तक पहुंचना आसान नहीं है क्योंकि उसे सैंकड़ों और खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है।
पिछले कैलेंडर वर्ष में, बहुत सारे खिलाड़ियों ने भारत के लिए आपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत की है। इस सूची में पृथ्वी शॉ, मयंक अग्रवाल, हनुमा विहारी, क्रुणाल पांड्या, खलील अहमद जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। हालाँकि, अतीत में बहुत से खिलाड़ी अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाए जबकि कुछ ना सिर्फ भारतीय टीम के लिए खेले बल्कि उन्होंने अपने प्रदर्शन से दिग्गज और वरिष्ठ खिलाड़ियों की जगह भी ली। इसके अलावा, कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे जो कुछेक मैच खेलकर लगभग गायब ही हो गए।
यह वो खिलाड़ी थे जिन्हें दिग्गज खिलाड़ियों की गैर-मौजूदगी में टीम में शामिल होने का मौका मिला लेकिन वह इस मौके को भुना नहीं पाए और इसलिए टीम से बाहर कर दिए गए।
तो आइए हम उन 10 खिलाड़ियों पर एक नज़र डालते हैं, जो पिछले पांच वर्षों के भीतर भारतीय टीम के लिए खेले लेकिन जल्द ही क्रिकेट जगत से गायब हो गए:
#10. परवेज़ रसूल
परवेज़ रसूल भारत के लिए खेलने वाले जम्मू और कश्मीर के पहले खिलाड़ी थे। उन्होंने घरेलू सर्किट में अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई थी।
पहली बार उन्हें 2014 में भारत के बांग्लादेश दौरे के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया था और उन्हें मीरपुर में खेले गए पहले वनडे मैच में अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर का आगाज़ करने के मौका मिला।
हालांकि, वह बल्लेबाज़ी के लिए तो नहीं उतरे लेकिन बारिश से बाधित इस मैच में उन्होंने दो विकेट ज़रूर चटकाए थे। दुर्भाग्य से, वनडे प्रारूप में यह उनका आखिरी मैच साबित हुआ क्योंकि दोबारा उन्हें कभी वनडे टीम में शामिल होने का मौका नहीं मिला।
इसके बाद उन्हें 2007 में भारत के लिए अपना पहला टी-20 मैच खेलने का मौका मिला जो उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ कानपुर में खेला था, लेकिन वनडे की तरह टी -20 में भी यह उनका आखिरी मैच साबित हुआ। तब से, वह राष्ट्रीय टीम में वापसी करने की कोशिश कर रहे हैं।
#9. श्रीनाथ अरविंद
जब कुछ साल पहले कर्नाटक ने लगातार दो सीजन में घरेलू सर्किट में जीत दर्ज की, तो उनके पास देश की सर्वश्रेष्ठ टीम थी और उस टीम के कई खिलाड़ियों को भारत के लिए खेलने का गौरव प्राप्त हुआ और उनमें से कुछ अभी भी भारतीय टीम का हिस्सा हैं। उन्हीं से एक नाम है- श्रीनाथ अरविंद।
एक अच्छे बाएं हाथ के सीमर की तलाश में चयनकर्ताओं ने श्रीनाथ अरविंद को 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 सीरीज़ में खेलने का मौका दिया।
अरविंद ने धर्मशाला में खेले पहले टी-20 में भारत के लिए अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर का पदार्पण किया और 3.4 ओवर के अपने स्पेल में एक विकेट लेकर 44 रन दिए थे। लेकिन यह उनका पहला और आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच साबित हुआ और हमने कभी दोबारा उन्हें भारतीय जर्सी पहने नहीं देखा।
श्रीनाथ अरविंद ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने सिर्फ एक ही अंतरराष्ट्रीय मैच खेलकर क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी।
#8. संजू सैमसन
ऋषभ पंत के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ख़्याति प्राप्त करने से पहले केरल के विकेट-कीपर बल्लेबाज़ संजू सैमसन को भारतीय टीम के आगामी विकेटकीपर के तौर पर देखा गया।
वह 2013 के आईपीएल और चैंपियंस लीग टी-20 में राजस्थान रॉयल्स के लिए निरंतर अच्छे प्रदर्शन की वजह से सुर्ख़ियों में आये थे। उन्होंने पहले राजस्थान रॉयल्स, दिल्ली डेयरडेविल्स और इसके बाद घरेलू सर्किट में केरल के लिए लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
सबसे पहले उन्हें 2015 में भारत के ज़िम्बाब्वे दौरे के लिए भारतीय टीम में जगह दी गई थी और उन्होंने उस दौरे में अपना टी-20 डेब्यू किया था। इस मैच में सैमसन ने सिर्फ 19 रन बनाए थे और यह उनका पहला और आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच साबित हुआ हुआ क्यूंकि दोबारा उन्हें कभी भारतीय टीम में वापसी करने का मौका नहीं मिला।
अब जब ऋषभ पंत ने टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है तो ऐसे में सैमसन के लिए वापसी करना और भी मुश्किल हो गया है।
#7. फ़ैज़ फ़ज़ल
फ़ैज़ फज़ल एक ऐसा नाम है जिन्होंने अपनी घरेलू टीम विदर्भ के लिए 2003 से लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है।अभी तक, उन्होंने 109 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 42.61 की औसत से 7671 रन बनाए हैं। पिछले दो सत्रों में, उन्होंने विदर्भ का नेतृत्व भी किया है और अपनी टीम को रणजी ट्रॉफी जिताने में अहम भूमिका निभाई है।
फज़ल को जिम्बाब्वे के खिलाफ 2016 में खेली गई वनडे सीरीज़ के लिए पहली बार भारतीय टीम में शामिल किया गया था। उन्होंने हरारे में मेज़बान टीम के खिलाफ तीसरे वनडे से अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर का आगाज़ किया था। इस मैच में उन्होंने नाबाद 55 रन बनाए और भारत को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
लेकिन उसके बाद से उन्होंने भारत के लिए एक भी मैच नहीं खेला है। फिलहाल वह लगभग तीन सालों से टीम से बाहर हैं और अब इस बात की संभावना बहुत कम है कि वह दोबारा कभी भारत के लिए खेल पाएंगे।
#6. पवन नेगी
साल 2015-16 पवन नेगी के क्रिकेट करियर का सर्वश्रेष्ठ समय था। इन 12-15 महीनों में उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन किया था। ऐसे प्रदर्शन को देखकर उन्हें आईपीएल सीज़न 2015 में चेन्नई सुपर किंग्स द्वारा अपनी टीम में शामिल किया गया था। कप्तान एमएस धोनी के नेतृत्व में नेगी ने उस सीज़न में बल्ले और गेंद दोनों के साथ अच्छा प्रदर्शन किया था।
2016 की आईपीएल नीलामी से पहले, उन्होंने सैयद मुश्ताक अली टी-20 टूर्नामेंट में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था। जिसकी वजह से नेगी को दिल्ली डेयरडेविल्स ने 8.5 करोड़ रुपये की भारी कीमत पर खरीदा था। कुछ महीने बाद, उन्हें एशिया कप के लिए भारत की टी-20 टीम में चुना गया और नेगी ने यूएई के खिलाफ टी-20 मैच से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पदार्पण किया था।
लेकिन भारतीय जर्सी में यह उनका पहला और आखिरी मैच साबित हुआ और इसके बाद दोबारा उन्हें कभी भी टीम में वापसी का मौका नहीं मिला।
#5. बरिंदर सरन
इरफान पठान के बाद से, भारतीय टीम ने कई बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों में उनका विकल्प तलाशना शुरू किया और इस सूची में जयदेव उनादकट से लेकर खलील अहमद जैसे खिलाड़ी शामिल हैं।
इन्हीं में से एक नाम पंजाब के बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ बरिंदर सरन का है। सरन को पहली बार 2016 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया था और उन्होंने वाका के ऐतिहासिक मैदान में अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर का आगाज़ किया था।
हालाँकि, 26 वर्षीय सीमर ने इस सीरीज़ में औसत प्रदर्शन किया था, जिसके बाद उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया। इसके बाद उन्हें उसी साल ज़िम्बाब्वे के खिलाफ खेलने का मौका भी मिला जहां उन्होंने अपनी स्विंग गेंदबाजी से सभी को प्रभावित किया। लेकिन दुर्भाग्य से, उन्हें फिर कभी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।
अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में बरिंदर सरन ने छह वनडे मैचों में सात विकेट और दो टी-20 मैचों में छह विकेट लिए हैं।
#4. ऋषि धवन
ऋषि धवन उन चंद नामों में से एक हैं, जिन्हें इरफ़ान पठान के प्रतिस्थापन के रूप में देखा गया था। ऋषि का घरेलू सर्किट में शानदार रिकार्ड रहा है और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 41.94 की औसत से 3314 रन बनाए और 27.40 की गेंदबाज़ी औसत से कुल 281 विकेट लिए हैं।
धवन ने लिस्ट 'ए' और टी-20 प्रारूप में बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिसके बाद उन्हें भारतीय टीम में शामिल होने के मौका मिला।
उन्होंने एमसीजी में भारत के लिए अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर का आगाज़ किया था। इस सीरीज़ में उन्होंने तीन मैच खेले थे लेकिन इसमें उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। इस सीरीज़ में उन्होंने 12 रन बनाये और एक विकेट लिया था। ऐसे प्रदर्शन के बाद वह दोबारा कभी भारत की वनडे टीम में जगह नहीं बना पाए।
हालांकि, इसके बाद हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ उन्हें अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय टी-20 मैच खेलने का मौका ज़रूर मिला लेकिन इसमें भी वह कुछ खास नहीं कर पाए और 1/42 के आंकड़े के साथ यह भारतीय टीम के लिए उनका आखिरी मैच साबित हुआ।
#3. मंदीप सिंह
इस सूची में किसी भी अन्य खिलाड़ी की तरह, पंजाब के बल्लेबाज मंदीप सिंह ने भी अपने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है, उन्होंने 2010 के अंडर -19 विश्व कप में भारत के लिए अपने शानदार प्रदर्शन से सुर्खियाँ बटोरी थीं।
घरेलू सर्किट में उन्होंने सभी प्रारूपों में पंजाब के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया और उसके बाद आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए भी अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा।
उन्हें 2016 में जिम्बाब्वे दौरे के लिए भारतीय टीम में पहली बार शामिल होने का मौका दिया गया। टी-20 सीरीज़ के पहले ही मैच में मंदीप को अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर का आगाज़ करने के मौका मिला। उन्होंने इस पूरी सीरीज़ में कुल 87 रन बनाए थे जिनमें नाबाद 52 रन उनका सर्वाधिक स्कोर था। लेकिन इसके बाद वरिष्ठ खिलाड़ियों के टीम में वापस आने पर उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा।
दुर्भाग्यवश, ज़िम्बाब्वे में टी-20 सीरीज़ के बाद दोबारा कभी भी पंजाब के इस बल्लेबाज़ को भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।
#2. संदीप शर्मा
तेज गेंदबाज संदीप शर्मा ने 2012 के अंडर -19 विश्व कप में अपनी शानदार गेंदबाज़ी से सुर्ख़ियां बटोरीं, जहां उन्होंने अपनी घरेलू टीम पंजाब को टूर्नामेंट जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूरे टूर्नामेंट के दौरान, उन्होंने नई गेंद से अपनी टीम को शुरूआती सफलताऐं दिलाई थी। इस टूर्नामेंट के बाद, उन्हें आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से खेलने का मौका मिला।
संदीप ने किंग्स इलेवन के लिए भी लगातार अच्छा प्रदर्शन किया जिसके बाद उन्हें ज़िम्बाब्वे दौरे के लिए भारतीय टीम में शामिल होने का मौका मिला। इस दौरे में खेली गई टी-20 सीरीज़ में उन्होंने 10.42 की इकोनॉमी रेट के साथ सिर्फ एक विकेट लिया था। लेकिन उसके बाद से वह भारतीय टीम में वापसी करने के लिए कोशिश कर रहे हैं।
फिलहाल, भारतीय टीम में बुमराह, भुवी और शमी जैसे दिग्गज गेंदबाज़ों के रहते संदीप का टीम में दोबारा वापसी कर पाना मुमकिन नहीं लगता।
#1. गुरकीरत मान सिंह
पंजाब के बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर गुरकीरत मान जिस भी टीम के लिए खेलें, बल्ले और गेंद दोनों से अपना योगदान दे सकते हैं। घरेलू सर्किट में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर उन्होंने 2015-16 में राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बनाई थी, जब उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज़ के दौरान भारतीय टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला था। इसके बाद 2016 में उन्हें भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी उन्हें टीम में शामिल किया गया।
इस दौरे में ऐतिहासिक मेलबॉर्न क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए तीसरे वनडे मैच से उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर का आगाज़ किया।
अपने पदार्पण के बाद, उन्हें आखिरी दो मैचों में भी खुद को साबित करने का मौका दिया गया लेकिन गुरकीरत इस मौके को भुना नहीं पाए और दोनों मैचों में बिना कोई विकेट लिए 6.50 की औसत से सिर्फ 13 रन बना पाए। तब से लेकर अब तक, उन्हें भारत के लिए एक भी मैच खेलने का कोई मौका नहीं मिला है।
Get Cricket News In Hindi Here