सोशल मीडिया पर इन दिनों ‘10 इयर चैलेंज’ की दीवानगी लोगों पर सिर चढ़ कर बोल रही है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर लोग अपने 10 साल पुरानी तस्वीर के साथ अपनी हाल की तस्वीरे जोड़ कर पोस्ट कर रहे है और साथ ही उससे जुडी यादें भी बता रहे है। अगर गौर करें तो, इस सकारात्मक तरीके से लोग पिछले 10 वर्षों के दौरान अपने जीवन से जुड़ी चुनौतियाँ और अनुभव को याद कर आपस में एक दुसरे के बीच साझा कर रहे है। इस चैलेंज के माध्यम से लोग ये भी जताना चाहते है कि ‘व्यक्ति अपने उम्र के बजाय इन वर्षों के अनुभवों से कितना समझदार हो गया है’।
क्रिकेट में भी, पिछले 10 वर्षों में हमे बहुत कुछ देखने को मिला है। इन वर्षों के दौरान, भारतीय क्रिकेट में भी काफी कुछ बदलाव हुए है। न जाने कितने यादगार लम्हें और कुछ भावुक लम्हें भी हमने देखे है। आइए, हम भी ‘10 इयर चैलेंज’ के माध्यम से भारतीय क्रिकेट के पिछले 10 वर्षों के सफ़र का मूल्यांकन करते है और देखते है 2009 की तुलना में भारतीय क्रिकेट और क्रिकेटरों में कितने परिवर्तन हुए है।
लेकिन, इस मूल्यांकन से पहले एक नज़र इन 10 वर्षो में भारतीय क्रिकेट के उन यादगार लम्हों पर।
पिछले 10 वर्षों में भारतीय क्रिकेट में यादगार लम्हें...
#1. पिछले 10 सालों में भारत की कुछ यादगार विजय
![Image result for Indian WC triumph 2011](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/28a32-15480764044230-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/28a32-15480764044230-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/28a32-15480764044230-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/28a32-15480764044230-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/28a32-15480764044230-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/28a32-15480764044230-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/28a32-15480764044230-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/28a32-15480764044230-800.jpg 1920w)
2009 की शुरुआत और एमएस धोनी का एक सफल कप्तान के रूप में उभरना
भारतीय टीम में सौरव गांगुली और अनिल कुंबले जैसे दिग्गजों के संन्यास ले लेने के बाद एमएस धोनी के नेतृत्व वाली भारतीय टीम एक बदलाव के दौर से गुजर रही थी। दो दिग्गज कप्तानो के सन्यांस ले लेने के बाद एमएस धोनी, खेल के तीनो प्ररोपों में एक सफल कप्तान के रूप में उभरे। एक कप्तान के रूप में धोनी ने जिस भी चीज़ों छुआ, वह सोने में बदलती चली गई।
टेस्ट में कप्तानी करते हुए धोनी ने अपने पहले 12 टेस्ट सीरीज़ों में, बिना हारे 9 सीरीज़ जीतने का रिकॉर्ड बनाया और 3 सीरीज़ ड्रा किए। एक कप्तान के रूप में अपने पहले 3 वर्षों में धोनी सबसे सफल कप्तान रहे थे। इसका परिणाम, भारत 28 साल के बाद विश्व कप जीतने में सफल रहा।
2011 विश्व कप में भारत की अद्भुत जीत
2011 में भारत की विश्व कप जीत, पिछले 10 वर्षों के दौरान भारत की सबसे बड़ी जीत है। लीग स्टेज में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एकमात्र हार को छोड़कर, विश्व कप के पूरे टूर्नामेंट में भारत अजय रह कर विजेता बना था। 28 साल के बाद इस विश्व कप जीत ने भारतीय क्रिकेट को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया था। विश्व कप जीतने के बाद, 2013 में इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी जीत कर, भारत दूसरा बड़ा टुर्नामेंट जितने में सफल रहा था।
ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट सीरीज़ जीत
विराट कोहली के नेतृत्व में भारत ने 70 वर्षों के इतिहास में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट श्रृंखला जीत कर इतिहास रचा है। यही नहीं, भारत ने इसी साल ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी पहली द्विपक्षीय एकदिवसीय श्रृंखला भी जीती है।
किंग कोहली का रिकॉर्ड-तोड़ अवतार
पिछले 10 वर्षों में कोहली ने खेल के सभी प्रारूपों में लगभग सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कोहली एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय में 10,000 रन मारने वाले सबसे तेज खिलाड़ी बन गए है। वह अब खेल के सभी प्रारूपों में दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज भी हैं।
आईसीसी रैंकिंग
मौजूदा आईसीसी रैंकिंग में, भारतीय टीम टेस्ट क्रिकेट में नंबर 1 और वनडे और T20 क्रिकेट में नंबर 2 पर काबिज़ है।
#2. भारतीय क्रिकेट के विकास में इंडियन प्रीमियर लीग की भूमिका
![Image result for IPL 2018](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6944b-15480763498224-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6944b-15480763498224-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6944b-15480763498224-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6944b-15480763498224-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6944b-15480763498224-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6944b-15480763498224-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6944b-15480763498224-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6944b-15480763498224-800.jpg 1920w)
साल 2009, आईपीएल अपने दूसरे साल में प्रारंभिक अवस्था में था। लेकिन अब, आईपीएल युवाओं के लिए अपनी प्रतिभा और राष्ट्रीय चयन के लिए अपने प्रदर्शन को दिखाने का एक बड़ा मंच बन गया है। नई प्रतिभाओं को तलाशने में और वरिष्ठ खिलाड़ियों को समय के साथ बदलने में आईपीएल ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
आईपीएल ने राष्ट्रीय टीम की चयन प्रक्रिया में पारदर्शीता लाकर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए टीम में जगह बनाने का एक रास्ता खोल दिया है। आईपीएल ने युवा क्रिकेटरों को आर्थिक संकट से जूझने निदान दिलाया है, हालांकि कई बार इससे अनजान खिलाड़ियों को अप्रत्याशित रूप से नुकसान हुआ है। लेकिन इन सभी चीज़ों को देखते हुए, युवा खिलाड़ियों के सफलता, प्रसिद्धि और एक दायरे के अंदर रहने के लिए, एक उचित परामर्श प्रणाली भी होनी चाहिए।
आईपीएल के नक्शेकदम पर ही कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के राज्य संघ ने जमीनी स्तर पर प्रतिभा की पहचान के लिए स्थानीय लीग की शुरुआत की है।
#3. पिछले 10 वर्षों में भारतीय क्रिकेट का उद्भव
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विदेशों में टेस्ट जीत की संख्या में वृद्धि
2009 के बाद से भारत ने विदेशों में कुल 18 टेस्ट मैच जीते हैं, जिनमें 2 ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश, 1 न्यूजीलैंड, 3 वेस्टइंडीज और 6 श्रीलंका में है। इन वर्षों के दौरान दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर, भारत ने बाकि सभी देशों में टेस्ट सीरीज़ जीती है। इसके अलावा, पहले की तुलना में विदेशों में हार के आंकड़े बहुत कम हैं। यह भारतीय क्रिकेट टीम की एक उल्लेखनीय उपलब्धि और एक बहुत बड़ी उन्नति भी है।
भारत में तेज गेंदबाजों की फौज
पिछले 10 वर्षों में, भारतीय क्रिकेट में सबसे बड़ा विकास तेज गेंदबाजों की फौज का उभरना है। वर्तमान में भारतीय टीम में इशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव, भुवनेश्वर कुमार, खलील अहमद और मोहम्मद सिराज जैसे तेज़ गेंदबाजों की लंबी-चौड़ी फौज़ है।
ईशांत, शमी और बुमराह ने पिछले साल ही कुल 131 विकेट झटक कर 34 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। तीनों तेज़ गेंदबाजों ने, न केवल विकेट झटकने में ही, बल्कि विपक्षी बल्लेबाजों के मन में अपनी रफ़्तार और सटीकता से एक खौफ भी पैदा कर दिया है। भारतीय प्रशंसक भी विपक्षी बल्लेबाजों को इस तरह देखकर बहुत उत्साहित होते हैं।
#4. फिटनेस स्तर और क्षेत्ररक्षण में जबरदस्त बदलाव
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टी-20 के आगमन से यह जरूर सुनिश्चित हुआ है कि हर खिलाड़ी मैदान पर रहते हुए हर समय फिट रहे। वर्त्तमान में, एक औसतन क्षेत्ररक्षक खिलाड़ी को टीम में जगह बनाने में मुश्किलें होती हैं। खिलाड़ियों को दिनों-दिन नए तरीके से फिटनेस में और क्षेत्ररक्षण का अभ्यास करना पड़ता है। यो-यो टेस्ट अब प्रत्येक भारतीय खिलाड़ी के लिए उसकी सहनशक्ति और धीरज स्तर को मापने के लिए अनिवार्य है।
निडर और आक्रामक भारतीय बल्लेबाजों का उदय...
आईपीएल ने ऋषभ पंत, पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल जैसे युवा भारतीय बल्लेबाजों को अपने बल्लेबाजी में निडर और आक्रामक होने का आत्मविश्वास पैदा किया है। गेंदबाजों की रफ़्तार और प्रतिष्ठा को दरकिनार कर, वे पारी की शुरुआत से ही आक्रामक शॉट्स खेलते हैं।
सीमित ओवर क्रिकेट में लेग स्पिनरों का दबदबा...
बहुत लम्बे समय तक लेग स्पिनर सिमित ओवरों के खेल में अप्रभावी रहे है, लेकिन भारतीय क्रिकेट में कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल ने बीच के ओवरों में, इसे एक आक्रामक विकल्प बना दिया है। स्पिन-ट्विन्स ने पिछले दो वर्षों में असाधारण प्रदर्शन कर भारतीय क्रिकेट में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
#5. हर प्रारूप के लिए अलग खिलाड़ी
![Image result for India National anthem cricket](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/01821-15480762670607-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/01821-15480762670607-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/01821-15480762670607-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/01821-15480762670607-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/01821-15480762670607-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/01821-15480762670607-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/01821-15480762670607-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/01821-15480762670607-800.jpg 1920w)
2009 की तुलना में अब भारतीय टीम एक या दो खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं है। उनके पास अलग-अलग अवसरों के लिए अलग-अलग खिलाड़ी उपलब्ध हैं। हर खिलाड़ी टीम में अपने महत्वपूर्ण योगदान देने के किए हमेशा तत्पर रहता है। इस टीम में, पहले की तुलना में असफलता का डर अब मौजूद नहीं है।
नए-नए तकनीकों का इस्तेमाल और उस पर निर्भरता
2009 में भारतीय क्रिकेट, निर्णय लेने के लिए नए तकनीकों का उपयोग करने में असहमति दिखाई थी। लेकिन अब, नेतृत्व में बदलाव के कारण नज़रिए और सोच में बदलाव आया और धीरे-धीरे नए तकनीकों के इस्तेमाल पर सहमती बनी है। यह बदलाव, भारतीय क्रिकेट में एक अच्छा कदम साबित हुआ है।
अंपायर की कॉल, हॉटस्पॉट, स्निकोमीटर, हॉकआई, अल्ट्रा एज और सॉफ्ट सिग्नल जैसे चीज़, भारतीय क्रिकेट में 10 साल पहले की तुलना में अब ज्यादा सुनने और देखने को मिलते हैं।
भारतीय टेस्ट टीम में अगल-अलग भूमिका वाले खिलाड़ियों की भरमार
2009 में भारतीय टेस्ट टीम में सिर्फ विशेषज्ञ ही शामिल थे। लेकिन समय के साथ ही, अगल-अलग भूमिका निभाने वाले खिलाड़ियों को टेस्ट टीम में जगह मिलनी शुरू हो गई। जिन्हें सीमित ओवर क्रिकेट के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता था, उन्हें टेस्ट में शीर्ष ग्यारह में जगह मिलने लगी। हार्दिक पांड्या और ऋषभ पन्त जैसे खिलाड़ियों ने टेस्ट टीम में अपनी जगह बनाई है।
विदेशों में जडेजा या अश्विन में किसी खिलाड़ी को टीम के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक ऑलराउंडर की भूमिका निभानी पड़ती है। एक उद्हरण के तौर पर आप खुद ही देखये, वर्त्तमान में एकदिवसीय टीम में सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर बल्लेबाज और टेस्ट टीम में सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर बल्लेबाज। दोनों की खेलने की शैली और टीम में भूमिका बिलकुल ही अलग है।
#6. टॉस के परिणाम और उस पर निर्भरता में कमी
![Image result for KOhli home toss](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/37abb-15480762445769-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/37abb-15480762445769-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/37abb-15480762445769-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/37abb-15480762445769-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/37abb-15480762445769-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/37abb-15480762445769-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/37abb-15480762445769-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/37abb-15480762445769-800.jpg 1920w)
2009 की भारतीय टीमें खेल के सभी प्रारूपों में, घर और बाहर, दोनों ही में टॉस के परिणाम अपने पक्ष में आने पर ज्यादा निर्भर थी। हालांकि अभी परिस्थितियां बदलती दिख रही हैं। यह सच है कि अन्य टीमों की तरह भारतीय टीम भी विदेशों में टेस्ट मैचों में टॉस पर निर्भर है, लेकिन टॉस जीतने के लिए उतावले नहीं होते हैं।
दुनिया के किसी भी जगह, यह टीम लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ सभी परिस्थितियों में लक्ष्य का पीछा करने में समान रूप से सक्षम है। पिछले 10 वर्षों के दौरान, यह भारतीय क्रिकेट में सबसे बड़ा बदलाव है।
बेंच पर विश्वस्तरीय खिलाडियों की भरमार...
2009 के दौरान, कुछ वरिष्ठ खिलाड़ीयों के प्रदर्शन पर ही टीम निर्भर करता था और उनके बिना टीम अधूरी होती थी। वर्तमान में, चंद मुख्य खिलाड़ियों के अलावा भी टीम में विश्वस्तरीय खिलाड़ियों की भरमार है। इसमें आईपीएल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
टेस्ट मैचों में अब ज्यादा परिणाम देखने को मिलते हैं...
पहले की तुलना में भारत के टेस्ट मैचों के परिणाम ज्यादा आने लगे हैं और अब ‘ड्रॉ’ बहुत कम ही देखने को मिलता है। वर्तमान में, भारतीय टीम में लगभग 5 या 6 खिलाड़ी ऐसे है जो खेल के 3 प्रारूपों में खेलते हैं।
टेस्ट में भी खिलाडियों द्वारा आक्रामक शैली अपनाने के कारण ही अब हर टेस्ट निर्णायक होता जा रहे हैं। भारत में आजकल टेस्ट 3-4 दिनों के भीतर ही खत्म हो जाते हैं और विदेशो में भारत अब सिर्फ ड्रॉ कराने की मंशा से नहीं उतरता है। इसी कारण से अब टेस्ट क्रिकेट अब अधिक रोमांचक हो गया है।
#7. क्रिकेट की दुनिया में एकमात्र भारत रत्न
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सचिन तेंदुलकर भारत के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान केवल व्यक्ति विशेष के लिए नहीं, बल्कि देश में संपूर्ण खेल जगत के लिए भी बहुत बड़ा सम्मान है। यह भारतीय क्रिकेट के लिए भी बहुत बड़ी बात है, क्योंकि यह सम्मान पाने वाला भारत का पहला खिलाड़ी एक क्रिकेटर है।
सहायक कर्मचारियों की भूमिका और उनका योगदान
2009 मे भारतीय टीम में बहुत कम सहायक कर्मचारी हुआ करते थे। लेकिन अब, भारतीय टीम में हेड कोच, असिस्टेंट कोच, बॉलिंग कोच और एक फील्डिंग कोच हैं। इसके अलावा, भारतीय टीम में एक वीडियो विश्लेषक, ट्रेनर और फिजियो भी शामिल हैं।
खेलों में अब पैसों का महत्ता स्पष्ट झलकता है
भारत में 2009 की तुलना में अब खेल में व्यापारिक पहलू साफ़ झलकती है। प्रायोजकों द्वारा कई अनुबंधों और करारों से खिलाडियों को बहुत लाभ मिलता है, लेकिन कभी-कभी ये उनके खेल के प्रति श्रद्धा के लिए खतरनाक भी हो सकता है।
आजकल, माता-पिता भी अपने बच्चों को एक अच्छा टी-20 खिलाड़ी बनने की इच्छा रखते हैं। अपने बच्चों को एक अच्छा और बड़ा खिलाड़ी बनने के बजाय बस आईपीएल के अनुबंध मिल जाए, इसका ज्यादा ध्यान देते हैं। अपने करियर के शुरुआत में बड़ी कमाई मिलने के कारण ही खिलाड़ियों के अंदर खेल से जुड़ी महत्वाकांक्षाओं को कम कर दिया है।
#8. भारत में घरेलू क्रिकेट में सुधार
![Image result for Indian domestic cricket mayank Agarwal shaw](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/a0cf3-15480761857642-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/a0cf3-15480761857642-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/a0cf3-15480761857642-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/a0cf3-15480761857642-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/a0cf3-15480761857642-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/a0cf3-15480761857642-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/a0cf3-15480761857642-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/a0cf3-15480761857642-800.jpg 1920w)
अगर कोहली और बुमराह की माने तो, “भारतीय घरेलू क्रिकेट का स्तर दुनिया में सबसे अच्छा है”। मौजूदा सत्र में, 9 नई टीमों को शामिल किया गया है। इससे खिलाडियों को अलग-अलग टीमों के किए प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा।
खिलाड़ियों का घरेलू स्तर से अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुकूल होना...
पहले की तुलना में अभी, घरेलू क्रिकेट के साथ-साथ आईपीएल ने भी युवा खिलाडियों के स्तर को बढ़ाने में और उनको अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाने में अहम भूमिका निभाई है। रणजी ट्रॉफी में कुछ ही महीने और आईपीएल में लगातार खेलने के कारण भारत में विश्वस्तरीय खिलाड़ीयों की पूरी फौज़ खड़ी हो गई है। अंडर-19 स्तर से, पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल जैसे खिलाडियों की कतार भी लंबी होती जा रही है।
सोशल मीडिया की भूमिका
वर्त्तमान में, सोशल नेटवर्किंग साइट के कारण खिलाड़ियों और प्रशंसकों के बीच दुरी कम हो गई है। खिलाडियों के साथ उनके प्रशंसक अपने विचार को खुल के साझा करते है। कई खिलाड़ी सोशल मीडिया पर इस कदर जुड़ जाते हैं, कि खास और आम की मर्यादाए भूल जाते हैं ।
संक्षेप में, पिछले 10 वर्षों में भारतीय क्रिकेट में ये बदलाव आकांक्षाओं से परे है। इन बदलाव में अधिकांश में खेल और खिलाड़ियों पर एक अच्छा प्रभाव पड़ा है। कोई भी, ये जरूर कह सकता है की इन 10 वर्षों में भारतीय क्रिकेट ने जबरदस्त सफलता हासिल किया है। इस ’10 ईयर चैलेंज’ के तहत हमे क्रिकेट में बहुत बदलाव देखने को मिले है।