बड़े मैच का खिलाड़ी कैसे बना जाता है? क्या इसका कोई फार्मूला होता है? जब मार्लोन सैमुएल्स ने दूसरी बार टी-20 वर्ल्डकप के फाइनल मैच में अपनी टीम के लिए विजयी पारी खेली। तब लोग इस बात की बहस करने लगे की कोई खिलाड़ी कैसे किसी बड़े मैच में खुद को साबित करता है। संभवतः इन खिलाड़ियों को दबाव में खेलने की क्षमता खुद ब खुद विकसित हो जाती है। इसके आलावा उन्हें ऐसे मौके पसंद भी आते हैं। ये खिलाड़ी ऐसे ही मौके पर बेहतरीन खेल भी दिखाते हैं। जब उनके कंधे पर जिम्मेदारी बढ़ जाती है। हमने कुछ ऐसे ही खिलाड़ियों की लिस्ट बनाने की कोशिश की है जो बड़े मैच में बड़ा प्रदर्शन करने में कामयाब रहे हैं। जैसे सैमुएल्स और गौतम गंभीर (साल 2007 टी-20 वर्ल्डकप के फाइनल में और साल 2011 वर्ल्डकप के फाइनल में जहां दोनों में भारत को जीत हासिल हुई थी) इस लिस्ट में शामिल नहीं हैं। इसमें वह खिलाड़ी भी शामिल नहीं हैं, जो टूर्नामेंट के फाइनल में तो चलें हैं। लेकिन जिन्होंने वर्ल्डकप में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। जैसे रसेल अर्नाल्ड, कुमार संगकारा, एबी डीविलियर्स। गैरी किर्स्टन(दूसरे ऐसे बल्लेबाज़ जिन्होंने टूर्नामेंट के फाइनल में 67.93 के औसत से 500 से ज्यादा रन बनाये), डीन जोंस और माइकल क्लार्क को इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। क्योंकि इस लिस्ट में शामिल होने के लिए दो पैरामीटर हैं पहला टूर्नामेंट के फाइनल में अच्छा खेलना और दूसरा वर्ल्डकप के फाइनल में बेहतरीन खेल दिखाना। कपिल देव जिनका औसत 16.95 है और उन्होंने 14 टूर्नामेंट के फाइनल मैच में 18 विकेट लिए हैं। उन्हें इस लिस्ट से इसलिए बाहर होना पड़ा क्योंकि कई अन्य का प्रदर्शन वर्ल्डकप में उनसे बेहतर है।
सचिन तेंदुलकर
क्या लोग इस बात पर भरोसा करेंगे कि सचिन तेंदुलकर टूर्नामेंट के फाइनल मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। उन्होंने वर्ल्ड कप में भी सबसे ज्यादा रन बनाये हैं। उनके लिए जो इस बात पर भरोसा करते हैं। ऐसा उनका औसत बोलता है। सचिन ने टूर्नामेंट के फाइनल मैचों की 39 पारियों में 54.44 की औसत से 1851 रन (फाइनल में 500 रन से ज्यादा बनाने वाले वह ऐसे चौथे बल्लेबाज़ हैं) बनाये हैं। यहां उनका स्ट्राइक रेट 87.68(सातवां सबसे ज्यादा) और साथ ही उन्होंने 16 बार 50 (6 शतक और 10 अर्धशतक)से अधिक रन बनाये हैं। इसके बाद टूर्नामेंट के फाइनल में 3 शतक लगाने वाले बल्लेबाज़ का नम्बर आता है। जहां कई दिग्गज संयुक्त रूप से आते हैं। सचिन ने वर्ल्ड कप के 45 मैचों में 56.95 के औसत से 2278 रन भी बनाये हैं। उनसे पोंटिंग 500 रन पीछे हैं। जो एक मजबूत टीम के साथ 46 मैचों में नजर आये हैं। सचिन ने वर्ल्डकप की 44 पारियों में 21 बार 50 से अधिक रन बनाये हैं। जिसमे 6 शतक और 15 अर्धशतक शामिल हैं। इसके बाद संगकारा ने 12 अर्धशतक और 5 शतक बनाये हैं, जो सचिन से काफी पीछे हैं। ये आंकडे सचिन के अहम मैचों में योगदान को साबित करते हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1998 में शारजाह में और वर्ल्डकप 2011 के सेमीफाइनल और क्वार्टरफाइनल में बेहतरीन पारियां खेली थी।
ग्लेन मैकग्रा
आंकड़ों के मुताबिक मैकग्रा महान और निरंतर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले गेंदबाज़ माने जाते हैं। मैकग्रा ने बड़े मैच में कमाल का प्रदर्शन किया है। मैकग्रा के नाम एक ही टूर्नामेंट की 27 पारियों में 55 विकेट लेने का रिकॉर्ड दर्ज है। जहां उनका औसत 16.43 और इकॉनमी रेट 3.92 था, साथ ही उन्होंने चार बार 4 से ज्यादा विकेट लिया था। उनके नाम वर्ल्ड कप में 39 परियों में 73 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। जहाँ उनका औसत 18.19 और इकॉनमी रेट 3.96 था। उनके इस जोरदार प्रदर्शन से के दम ऑस्ट्रेलिया ने 2007 का वर्ल्डकप जीता और वह मैन ऑफ़ द सीरीज रहे। महान गेंदबाज़ मुरलीधरन उनसे 3 विकेट पीछे रह गये थे। तकरीबन सभी गेंदबाज़ एक टूर्नामेंट के फाइनल में 30 विकेट लिए हैं, लेकिन सिर्फ जोएल गार्नर का औसत 14.36 का रहा था।
शेन वार्न
वर्ल्डकप 1999 के सेमीफाइनल और फाइनल में शेन वार्न ने क्रमशः 10 ओवर में 4/29 और 9 ओवर में 4/33 जैसी बेहतरीन गेंदबाज़ी की थी। उन्हें सेमीफाइनल और फाइनल दोनों में 'मैन ऑफ़ द मैच' का अवार्ड मिला था। अरविन्द डिसिल्वा के बाद वह एक मात्र ऐसे खिलाड़ी हैं। हालांकि वार्न की महानता इन्हीं दो मैचों में नहीं थी। वह ऐसे खिलाड़ी थे जो बड़े मैचों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करते थे। उन्होंने टूर्नामेंट के 25 फाइनल मैचों में 24.60 के औसत से 40 विकेट लिए हैं। वार्न ने मात्र 2 वर्ल्डकप खेले थे, लेकिन उन्होंने 17 मैचों में 19.5 के औसत से 32 विकेट लिए थे। जहां उनकी इकॉनमी 3.83 की थी। उन्होंने 1999 में ऑस्ट्रेलिया जिसे लोगों ने फेवरिट नहीं माना था, को सेमीफाइनल तक पहुंचा दिया था।
सर विवियन रिचर्ड्स
विवियन रिचर्ड्स अपने जमाने से दो दशक आगे का क्रिकेट खेलते थे। वह वास्तविक मास्टर ब्लास्टर थे जिन्होंने 1979 के वर्ल्डकप के फाइनल मैच में 157 गेंदों में 138 रन बनाये थे। रिचर्ड्स ने टूर्नामेंट्स के फाइनल मैचों की 17 पारियों में 55.73 के औसत से 836 रन बनाये थे। वह माइकल बेवन और गैरी किर्स्टन से पीछे थे। उन्होंने 21 वर्ल्डकप मैचों में 63.31 के औसत से 1013 रन बनाये थे। उनसे ज्यादा सिर्फ डिविलियर्स ने बनाये हैं। उन्होंने 3 शतक और 5 अर्धशतक भी बनाये थे। उन्होंने ये रन 85 के जोरदार औसत से बनाये थे। जो उनके समय में रेयर था।
चमिंडा वास
वास ने जोएल गार्नर को बीट करके ये स्थान हासिल किया था। वह ऐसे चौथे गेंदबाज़ हैं जिन्होंने वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा विकेट लिए थे। 31 मैचों में 21.22 के औसत और 3.97 के इकॉनमी रेट से उन्होंने 49 विकेट लिए थे। इसके आलावा वास ने 31 टूर्नामेंट के फाइनल में 25.5 की औसत से 44 विकेट लिए हैं। जो पांचवें नम्बर पर आते हैं। वास 1996 की वर्ल्डकप विजेता श्रीलंका की टीम के सदस्य भी थे। जहां श्रीलंका अर्जुन रणतुंगा के नेतृत्व में विश्व क्रिकेट पर छा गयी थी। इस बाएं हाथ के तेज गेंदबाज़ का करियर साल 2007 के वर्ल्डकप तक लंबे समय तक चला था।
ब्रेट ली
ब्रेट ली को हमेशा उनके 100 mph की रफ्तार के लिए याद रखा जाएगा। इसके साथ ही वह एक बेहतरीन मैच विनर भी थे। जहां साल 2003 के सेमीफाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 35 रन देकर 3 विकेट लिया था। तो इसी वर्ल्डकप में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ उन्होंने 42 रन देकर 5 विकेट लिए थे। ये हैरान करने वाला नहीं था कि ब्रेट ली इस वर्ल्डकप में 17 मैचों में 17.97 की औसत और 4.57 की इकॉनमी रेट से 35 विकेट लिए थे। उनके आलावा सिर्फ शेन बांड ने 30 से अधिक विकेट लिए थे। ली ने टूर्नामेंट के 26 फाइनल मैचों में 50 विकेट लिए हैं। जहां उनका औसत 20.38 और इकॉनमी रेट 4.35 का रहा है। इस मामले में वह सिर्फ मैग्रा के पीछे रहे हैं।
सनथ जयसूर्या
जयसूर्या, रणतुंगा के दांव लगाये गये खिलाड़ी थे। इस खिलाड़ी ने अपने जोरदार खेल से श्रीलंकन क्रिकेट को बदलकर रख दिया था। वह 1996 वर्ल्डकप में मैन ऑफ़ द सीरीज बने थे। जयसूर्या ने गेंद और बल्ले दोनों से अपना जौहर दिखाया है। जयसूर्या ने सभी टूर्नामेंट के फाइनल में मिलकर 42.44 की औसत और 98.35 की स्ट्राइक रेट से 1613 रन बनाये थे। इस टैली में वह सचिन से सिर्फ पीछे हैं। उन्होंने 15 बार पचास से अधिक रन बनाये थे। वर्ल्ड कप की 37 पारियों में जयसूर्या ने 91 के स्ट्राइक रेट से 1165 रन बनाये थे। जयसूर्या ने 39 टूर्नामेंट के फाइनल में 5 के इकॉनमी रेट से 23 विकेट भी लिए थे। सबसे जरूरी बात ये है कि वह अपनी टीम के मैच विजेता खिलाड़ी थे।
वसीम अकरम
ये वह खिलाड़ी थे जिन्होंने क्रिकेट की गेंद को आवाज दे दिया था, पूरी दुनिया उन्हें स्विंग का सुल्तान कहती थी। अकरम पाकिस्तानी गेंदबाज़ी आक्रमण के रॉक ऑफ़ गिब्राल्टर थे। अकरम ने 36 वर्ल्ड कप मैचों में 55 विकेट लिए थे। वह मुरलीधरन और मैकग्रा के बाद तीसरे नम्बर पर आते थे। अकरम को ये विकेट 23.83 की औसत और 4.04 इकॉनमी रेट से मिले थे। उन्हें 1992 वर्ल्डकप के फाइनल में मैन ऑफ़ द मैच मिला था। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ इस मैच में 39 रन देकर 3 विकेट लिए थे। अकरम ने 36 टूर्नामेंट के फाइनल में 49 विकेट लिए हैं, जो ली और मैग्रा के बाद तीसरे नम्बर पर आते हैं। उनका इकॉनमी रेट 3.77 और औसत 30 का था। मुथैया मुरलीधरन और लसिथ मलिंगा मुरलीधरन को बड़े मैच का खिलाड़ी कहना कठिन है क्योंकि वह हमेशा अच्छा प्रदर्शन करते थे। उनका दिन कभी कदार ही खराब जाता है। मुरलीधरन ने टूर्नामेंट के फाइनल में 25.28 के औसत से 49 विकेट लिए थे। और वर्ल्डकप में उन्होंने 19.68 के औसत और 3.88 के इकॉनमी रेट से उन्होंने 68 विकेट लिए थे। इन दोनों में उनका स्थान तीसरा ही है। मलिंगा को इस लिस्ट से बाहर रखना काफी कठिन है। उन्होंने टूर्नामेंट के फाइनल में 20 से ज्यादा विकेट लिए हैं। हालांकि उन्हें इस लिस्ट में शामिल करने की वजह उनका वर्ल्डकप में प्रदर्शन है। उन्होंने 22 मैचों में 21.11 की औसत से 43 वनडे वर्ल्डकप विकेट लिए हैं और उन्होंने 31 टी-20 वर्ल्डकप (शाहिद आफरीदी 39 विकेट के बाद दूसरे नम्बर पर) के मैचों में 21 की औसत से 31 विकेट लिए हैं। इसलिए उन्हें मुरली के साथ इस लिस्ट में जगह मिली है।
माइकल बेवन
बेवन के नाम बेहतरीन बल्लेबाज़ी औसत 73 दर्ज है। जो किसी बल्लेबाज़ के लिए वनडे टूर्नामेंट के फाइनल मैचों में 500 से अधिक बनाने को दर्शाता है। धोनी और विराट के आने के बावजूद बेवन आज भी विश्व के बेहतरीन फिनिशर माने जाते हैं। निचले क्रम में बेवन अक्सर महत्वपूर्ण पारी खेलते थे। बेवन ऑस्ट्रेलिया को हार से निकालकर जीत की राह पर ले जाते थे। टूर्नामेंट के फाइनल में वह 8 बार नॉटआउट रह चुके हैं। बेवन ने वर्ल्डकप में 44.75 की औसत से 18 परियों में 537 रन बनाये हैं। उनकी सबसे यादगार पारी इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 74 रन की है। इस मैच में उन्होंने एंडी बिकेल के साथ मिलकर नौवें विकेट के लिए 73 रन की साझेदारी करके ऑस्ट्रेलिया को दो से विकेट जीत दिलाई थी। लेखक-कृष श्रीपदा, अनुवादक- मनोज तिवारी