2015 के बाद भारत अब अगस्त में श्रीलंका के दौरे पर होगा, जहां दोनों देशों के बीच 3 मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जानी है। सीरीज से पहले श्रीलंका प्रेसिडेंट XI और भारत के बीच 2 दिनों का वॉर्म अप मैच खेला गया। मैच ड्रॉ रहा। मेजबान टीम 187 रनों पर ऑल आउट हो गई, जिसके जवाब में भारत ने 312/9 पर अपनी पारी घोषित की। दोनों देशों के टेस्ट क्रिकेट के 35 साल के इतिहास में कई भारतीय खिलाड़ियों ने अपने करियर की शुरूआत की। इनमें से 11 खिलाड़ियों की फेहरिस्त आपके सामने हैः #11 नमन ओझा आईपीएल-3 में अपने शानदार प्रदर्शन के बल पर इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने टीम इंडिया में जगह बनाई। उन्हें जिम्बाब्वे दौरे पर होने वाली त्रिकोणीय श्रृंखला के लिए चुना गया। तीसरी टीम थी श्रीलंका। सीरीज में 2 टी-20 मैच भी खेले गए। श्रृंखला में ओझा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। वह श्रीलंका के खिलाफ खेले गए एकमात्र वनडे मैच में सिर्फ 1 रन बना सके और दोनों टी-20 मैचों में उन्होंने महज 12 बनाए। 5 साल बाद श्रीलंका दौरे पर नमन को ऋद्धिमान साहा के बैकअप कीपर के तौर पर टीम में जगह मिली। साहा के चोटिल होने की वजह से मध्य प्रदेश के इस खिलाड़ी को आखिरी टेस्ट में खेलने का मौका मिला। करियर के पहले टेस्ट में ओझा ने पहली पारी में 21 रन और दूसरी में 35 रन बनाए। उन्होंने मैच में कुल 4 कैच पकड़े और एक स्टम्पिंग भी की। भारत ने 117 रनों से मैच जीत लिया। हालांकि, इसके बाद उन्हें कभी टेस्ट टीम में जगह नहीं मिल पाई। #10 अभिमन्यु मिथुन कर्नाटक के इस तेज गेंदबाज ने 2009-10 रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 23.23 के औसत के साथ टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट (47) लिए। कर्नाटक फाइनल तक पहुंचा, लेकिन आखिरी मुकाबले में टीम मुंबई से हार गई। रणजी में अपने अच्छे प्रदर्शन के दम पर उन्हें टीम इंडिया में जगह मिली। उन्होंने 27 फरवरी, 2010 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने वनडे करियर की शुरूआत की। कुछ महीनों बाद ही मिथुन ने गॉल में श्रीलंका के खिलाफ करियर का पहला टेस्ट खेला। पहली पारी में 104 रनों पर 4 विकेट लिए और अंतरराष्ट्रीय टेस्ट करियर में दिलशान उनके पहले शिकार बने। दूसरी पारी में किसी भी भारतीय गेंदबाज को विकेट नहीं मिला और श्रीलंका ने 10 विकेट से मैच जीत लिया। मिथुन को आगे 2 टेस्ट मैचों में भी मौका दिया गया, लेकिन वह 4 पारियों में मिलाकर कुल 2 विकेट ले सके। हालांकि, दूसरे और तीसरे टेस्ट की पहली पारियों में मिथुन ने क्रमशः 41 और 46 रन बनाए। इसके बाद मिथुन ने सिर्फ वेस्टइंडीज के खिलाफ 2011 में एक टेस्ट मैच खेला। #9 भरत अरुण अरुण फिलहाल टीम इंडिया के बॉलिंग कोच हैं। वह तमिलनाडु के रणजी प्लेयर थे। उन्हें 1986-87 में श्रीलंका खिलाफ 3 टेस्ट और 1 वनडे मैच के लिए चुना गया था। उन्हें कानुपर में पहला टेस्ट खेलने का मौका मिला, लेकिन वह अपनी पहली गेंद फेंकते वक्त ही फिसल गए। हालांकि, इसके बाद भी वह 76 रन देकर 3 विकेट लेने में सफल रहे और यही उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बन गया। नागपुर में दूसरा टेस्ट वह खेल नहीं सके, लेकिन कटक में हुए तीसरे टेस्ट में उन्हें मौका मिला। पहली पारी में 26 रन देकर उन्होंने 1 विकेट लिया। दूसरी पारी में उन्होंने 2 ओवरों में 14 रन दिए। भारत ने मैच पारी और 67 रनों से जीत लिया। इसके बाद अरुण भारत के लिए एक भी टेस्ट नहीं खेल सके। #8 अरुण लाल पूर्व क्रिकेटर और कॉमेंटेटर का वनडे डेब्यू करियर कुछ खास नहीं रहा था, लेकिन इसके बाद भी उन्हें सितंबर 1982 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने का मौका मिला। हालांकि, इस मौके को उन्होंने पूरी तरह भुनाया और 63 रनों के सहयोग के साथ सुनील गावस्कर के साथ 156 रनों की साझेदारी की। दूसरी पारी में उनके नाम पर 1 रन ही रहा क्योंकि मैच ड्रॉ हो गया। अगले 7 सालों तक अनियमित तौर पर वह टीम का हिस्सा बने रहे। उन्होंने 1989 में अपना आखिरी टेस्ट खेला। उन्होंने 13 टेस्ट मैचों में 26.03 के औसत के साथ कुल 793 रन बनाए। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कोलकाता में वेस्टइंडीज के खिलाफ 93 रनों का रहा। #7 लालचंद राजपूत भारत और अफगानिस्तान की राष्ट्रीय टीमों के कोच रह चुके राजपूत ने 1985-87 के बीच भारत की तरफ से कुछ मैच खेले। उनका वनडे डेब्यू बेहद खराब रहा और इंग्लैंड के खिलाफ उस मैच में वह बिना खाता खोले आउट हो गए। राजपूत ने 1985 में कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ करियर का पहला टेस्ट खेला। उन्होंने पहली पारी में 32 और दूसरी में 61 रन बनाए। मैच ड्रॉ रहा। दूसरा मैच उनके और टीम दोनों के लिए खराब रहा। राजपूत ने पहली पारी में 0 और दूसरी में 12 रन बनाए और श्रीलंका ने भारत को 149 रनों से मैच हरा दिया। राजपूत ने 1987 में भारत के लिए 2 वनडे जरूर खेले, लेकिन उसके बाद वह एक भी टेस्ट नहीं खेल सके। #6 देबाशीष मोहंती ओडिशा के इस लंबे कद के गेंदबाज ने 1997-2001 के बीच 45 वनडे मैच खेले। वह 1999 विश्व कप की टीम का हिस्सा भी रहे। वह आईसीसी वनडे रैंकिंग के टॉप-20 बोलर्स में भी रह चुके हैं। अच्छी शुरूआत के बावजूद उनका टेस्ट क्रिकेट बेहद सीमित रहा। मोहंती ने अपना पहला टेस्ट 1997 में कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ खेला था। पहले टेस्ट की पहली पारी में ही मोहंती ने 4/78 का स्पेल किया। हालांकि, दूसरी पारी में उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला। इसके बाद मोहंती ने मोहाली में श्रीलंका के खिलाफ अगला टेस्ट खेला, लेकिन दोनों पारियों में वह एक भी विकेट नहीं ले सके। इसके बाद उन्हें टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया और वह अपना करियर आगे नहीं बढ़ा सके। #5 प्रज्ञान ओझा 2008 और 2009 के आईपीएल सीजन में डेकन चार्जर्स की तरफ से शानदार क्रिकेट खेलने के बाद प्रज्ञान को एशिया कप के लिए टीम इंडिया में शामिल किया गया। उस साल ही उन्हें श्रीलंका के खिलाफ होने वाली सीरीज के लिए टेस्ट टीम में शामिल किया गया। प्रज्ञान को कानपुर में हुए दूसरे टेस्ट में अमित मिश्रा की जगह मौका दिया गया। मिश्रा ने पहले टेस्ट की एक पारी में ही 200 से ज्यादा रन दिए थे। भुवनेश्वर में पैदा हुए इस खिलाड़ी ने अपने पहले टेस्ट की पहली पारी में 23 ओवर का स्पेल किया और 37 रन देकर 2 विकेट चटकाए। दूसरी पारी में उन्होंने 2 विकेट लिए। भारत ने पारी और 144 रनों से मैच जीत लिया। प्रज्ञान 2013 तक टेस्ट टीम का हिस्सा रहे। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मुंबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला, जो सचिन तेंदुलकर का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच था। #4 नयन मोंगिया 90 के दशक के मध्य और 2000 के दशक की शुरूआत में भारत के विकेट-कीपर बल्लेबाज मोंगिया का टेस्ट करियर सम्मानजनक रहा है। उन्होंने 44 टेस्ट मैचों में 24.03 के औसत से 1442 रन बनाए। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 152 रनों का रहा। उनके नाम पर 99 कैच और 8 स्टम्पिंग्स भी दर्ज हैं। मोंगिया ने पहला टेस्ट 1994 में लखनऊ में श्रीलंका के खिलाफ खेला था। इस मैच में उन्होंने पहली पारी में 44 गेंदों में 55 रन बनाए थे और मैच में कुल 4 कैच पकड़ने के साथ-साथ 1 स्टम्पिंग भी की थी। भारत ने पारी और 119 रनों से मैच जीत लिया था। मोंगिया 2001 तक नियमित तौर पर टेस्ट टीम का हिस्सा बने रहे। उनका आखिरी टेस्ट भी यादगार रहा। भारत ने ईडन गार्डन्स में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इस मैच में मोंगिया की नाक में चोट भी लगी थी। #3 सुरेश रैना 2008 के बाद से रैना ने बल्लेबाजी के मध्यक्रम में अपनी खास जगह बनाई। टी-20 प्लेयर के तौर पर रैना काफी प्रभावी रहे। 2010 में उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए टेस्ट टीम में चुना गया। सीरीज के पहले टेस्ट में तो उन्हें मौका नहीं मिला, लेकिन दूसरे टेस्ट में युवराज सिंह के बीमार होने की वजह से उन्हें मौका मिला। रैना 6वें नंबर पर सचिन का साथ निभाने आए और अपने पहले ही टेस्ट में शतकीय पारी (120) खेल डाली। तीसरे टेस्ट में युवराज के फिट होने के बावजूद रैना को मौका दिया गया। इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने दोनों पारियों में क्रमशः 62 और नाबाद 41 रन बनाए। 2012 तक रैना टेस्ट टीम का हिस्सा बने रहे। इसके बाद उन्हें बाहर कर दिया गया। हालांकि, 2015 में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हें मौका दिया गया, लेकिन वह मैच में एक भी रन नहीं बना सके। रैना ने तब से एक भी टेस्ट नहीं खेला है। #2 आशीष नेहरा नेहरा को भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच एशियन टेस्ट चैंपियनशिप के लिए चुना गया था। टूर्नामेंट के दूसरे टेस्ट में उन्हें मौका मिला। पहला टेस्ट उन्होंने कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ खेला। नेहरा ने मर्वन अटापट्टू को अपना पहला शिकार जरूर बनाया, लेकिन इसके बाद मैच में वह एक भी विकेट नहीं ले सके। मैच दूसरी पारी तक पहुंचा ही नहीं। 2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए टेस्ट तक वह टीम से दूर रहे। हालांकि, इसके बाद 2004 तक वह टेस्ट टीम का नियमित हिस्सा रहे। नेहरा ने करियर का आखिरी टेस्ट रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ खेला और इसमें उन्हें यासिर हमीद के रूप में एकमात्र विकेट मिला था। नेहरा ने टेस्ट करियर में कुल 44 विकेट लिए हैं। 2001 में हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ 4/72 उनका सर्वश्रेष्ठ टेस्ट प्रदर्शन रहा है। #1 एमएस धोनी धोनी ने टेस्ट करियर की शुरूआत चेन्नई में श्रीलंका के खिलाफ की थी। श्रीलंका 3 टेस्ट के लिए भारत के दौरे पर थी। नवंबर 2005 में धोनी ने जयपुर में हुए टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी। डेब्यू मैच में धोनी ने सिर्फ 30 रन ही बनाए थे। पहली पारी में भारतीय टीम महज 167 रनों पर ही सिमट गई थी। इसके बाद दिल्ली में हुए सीरीज के दूसरे टेस्ट में धोनी ने अपना पहला टेस्ट अर्धशतक लगाया। धोनी ने 2014-15 में हुए ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। लेखकः नीलाभ्र रॉय, अनुवादकः देवान्श अवस्थी