2008 के बाद से रैना ने बल्लेबाजी के मध्यक्रम में अपनी खास जगह बनाई। टी-20 प्लेयर के तौर पर रैना काफी प्रभावी रहे। 2010 में उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए टेस्ट टीम में चुना गया।
सीरीज के पहले टेस्ट में तो उन्हें मौका नहीं मिला, लेकिन दूसरे टेस्ट में युवराज सिंह के बीमार होने की वजह से उन्हें मौका मिला। रैना 6वें नंबर पर सचिन का साथ निभाने आए और अपने पहले ही टेस्ट में शतकीय पारी (120) खेल डाली।
तीसरे टेस्ट में युवराज के फिट होने के बावजूद रैना को मौका दिया गया। इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने दोनों पारियों में क्रमशः 62 और नाबाद 41 रन बनाए।
2012 तक रैना टेस्ट टीम का हिस्सा बने रहे। इसके बाद उन्हें बाहर कर दिया गया। हालांकि, 2015 में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हें मौका दिया गया, लेकिन वह मैच में एक भी रन नहीं बना सके। रैना ने तब से एक भी टेस्ट नहीं खेला है।
#2 आशीष नेहरा
नेहरा को भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच एशियन टेस्ट चैंपियनशिप के लिए चुना गया था। टूर्नामेंट के दूसरे टेस्ट में उन्हें मौका मिला। पहला टेस्ट उन्होंने कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ खेला।
नेहरा ने मर्वन अटापट्टू को अपना पहला शिकार जरूर बनाया, लेकिन इसके बाद मैच में वह एक भी विकेट नहीं ले सके। मैच दूसरी पारी तक पहुंचा ही नहीं। 2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए टेस्ट तक वह टीम से दूर रहे। हालांकि, इसके बाद 2004 तक वह टेस्ट टीम का नियमित हिस्सा रहे। नेहरा ने करियर का आखिरी टेस्ट रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ खेला और इसमें उन्हें यासिर हमीद के रूप में एकमात्र विकेट मिला था। नेहरा ने टेस्ट करियर में कुल 44 विकेट लिए हैं। 2001 में हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ 4/72 उनका सर्वश्रेष्ठ टेस्ट प्रदर्शन रहा है।