फर्स्ट क्लास (प्रथम श्रेणी) क्रिकेट में रवि शास्त्री के 123 गेंदों में सबसे तेज दोहरा शतक लगाने के रिकॉर्ड की रविवार को 19 वर्षीय एनयूरेन डोनाल्ड ने बराबरी कर ली है। शास्त्री ने 1985 में मुंबई की तरफ से खेलते हुए बड़ौदा के खिलाफ 123 गेंदों में दोहरा शतक जमाकर रिकॉर्ड बनाया था। वहीं ग्लामोर्गन के डोनाल्ड ने इंग्लैंड की काउंटी चैंपियनशिप के दूसरे डिवीज़न में डर्बीशायर के खिलाफ शास्त्री के रिकॉर्ड की बराबरी की। युवा डोनाल्ड ने इससे पहले एक भी शतक नहीं जमाया था और उन्होंने डर्बीशायर के खिलाफ 136 गेंदों में 234 रन की पारी खेली। डोनाल्ड जब बल्लेबाजी करने आए तब टीम का स्कोर तीन विकेट पर 96 रन था और जब वह आउट हुए तब टीम का स्कोर 7 विकेट पर 437 रहा। इस आकर्षक और मनोरंजक पारी से डर्बीशायर के गेंदबाज हैरान रह गए। डोनाल्ड ने अपनी पारी के दौरान 15 छक्के और 26 चौके जमाए। जैसे ही वह आउट हुए तो डर्बीशायर की पूरी टीम उन्हें बधाई देने के लिए गई। ज्यादातर लोगों को डोनाल्ड (123 गेंदों में 200 रन) की ऐतिहासिक उपलब्धि की जानकारी नहीं थी, लेकिन इस विशेष पारी पर कोई उन्हें बिना बधाई दिए नहीं रह सका। डोनाल्ड की पारी की एक खास बात यह रही कि उन्होंने 100, 150 और 200 रन छक्का मारकर पूरे किए। उन्होंने दूसरा शतक सिर्फ 43 गेंदों में ठोका। शास्त्री का यह रिकॉर्ड उसी पारी में बना था, जिसमें उन्होंने एक ही ओवर में लगातार 6 छक्के जमाए थे जो कि क्रिकेट इतिहास में एक ओर उपलब्धि थी। शास्त्री को युवा डोनाल्ड की उपलब्धि पर जरुर खुशी होगी। डोनाल्ड को काउंटी में विशेष प्रतिभा माना जाता है। उन्हें 2005 एशेज सीरीज में साइमन जोंस की भूमिका के बाद पहला वेल्श खिलाड़ी माना जा रहा है जो आगे राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करते नजर आएंगे। एनयूरेन डोनाल्ड ने बीबीसी वेल्स स्पोर्ट्स से कहा, 'यह अच्छा विकेट थे, गेंदबाज थोड़ा थके नजर आ रहे थे और मैदान भी छोटा था जिसका मैंने भरपूर लाभ उठाया। यहां का इतिहास भी शानदार रहा है और मुझे पता था कि (ग्लामोर्गन के स्टीव जेम्स के नाबाद 309 रन की पारी का रिकॉर्ड) यहां सर्वश्रेष्ठ स्कोर क्या था।' डोनाल्ड को इस बात का मलाल रह गया कि वह शास्त्री के रिकॉर्ड की बराबरी कर सके जबकि तोड़ने से चूक गए। उन्होंने कहा, 'आपको इस तरह का दिन हर बार नहीं मिलता। जब तक मैं आउट नहीं हुआ तब तक सबसे तेज दोहरे शतक के रिकॉर्ड के बारे में नहीं जानता था। अगर पता होता तो इसे सुधारने का जरुर प्रयास करता।'