साल 2008 अंडर-19 वर्ल्डकप जीतने वाली भारतीय टीम: आजकल कहाँ हैं सभी खिलाड़ी?

जब भारतीय टीम धोनी की कप्तानी में साल 2008 में सीबी सीरिज जीतकर इतिहास रच रही थी, तब उसी दौरान विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय अंडर-19 टीम मलेशिया में हुए वर्ल्डकप का ख़िताब जीतकर देश का नाम रोशन कर रही थी। इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए ये टूर्नामेंट बड़ा टर्निंग पॉइंट बना। जिसमें कई खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित किया, कुछ असफल रहे और कुछ क्रिकेट को मैनेजमेंट और इनकम टैक्स ऑफिसर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया है। साल 2008 में अंडर-19 टीम के सदस्य अब क्या कर रहे हैं आइये डालते हैं एक नजर: विराट कोहली साल 2008 की विश्व विजेता अंडर-19 टीम की कप्तानी विराट कोहली ने की थी। आज विराट भारतीय क्रिकेट के बड़े नाम हैं। 5 महीने बाद अगस्त 2008 में श्रीलंका के खिलाफ विराट को खेलने का मौका मिला था। दायें हाथ के इस बल्लेबाज़ ने अपने करियर की शुरुआत अच्छी की लेकिन उसके बाद एक साल तक वह टीम से बाहर रहे। साल 2009 में दिल्ली के लिए उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया जिसके बदौलत साल के आखिर तक उन्हें भारतीय टीम में दोबारा मौका मिला। विराट रन बनाते रहे और साल 2011 के वर्ल्ड कप विजेता टीम के हिस्सा रहे। इसी साल विराट ने टेस्ट में डेब्यू किया। शुरू में वह कई सीरिज में अच्छा नहीं खेले लेकिन साल 2012 में एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक बनाकर विराट ने खुद को साबित किया। उसके बाद दुनिया ने एक अलग ही विराट कोहली देखा। विराट ने भी उसके बाद पीछे पलटकर नहीं देखा। आज वह अपनी पीढ़ी के सबसे होनहार बल्लेबाज़ हैं। साल 2014 में विराट भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान और साल 2015-16 में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी फॉर्मेट में शतक भी बनाया। आज बिना किसी बहस के विराट दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं। साल 2017 के पहले हफ्ते में धोनी ने सीमित ओवर के प्रारूप से भी कप्तानी छोड़ दी। जिसके बाद विराट कोहली को भारतीय टीम का कप्तान सभी प्रारूप बना दिया गया। रविन्द्र जडेजा रविन्द्र जडेजा साल 2008 की अंडर 19 के सदस्य थे। वह उस वक्त सबसे अनुभवी खिलाड़ी थे, वह 2006 के संस्करण में भी खेले थे। बतौर उपकप्तान खेलने वाले जडेजा को बल्लेबाज़ी का मौका कम मिला था लेकिन भारत के सबसे सफल गेंदबाज़ बने उन्हें 10 विकेट मिले थे। उसके बाद जडेजा ने आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेले थे। जहां उनके कप्तान-कोच शेन वार्न ने उनकी प्रतिभा की तारीफ की थी। वह उन्हें रॉकस्टार कहते थे। 2 दिन के गैप में साल 2009 में जडेजा ने वनडे और टी-20 में श्रीलंका के दौरे पर अपना डेब्यू किया था। उनके प्रदर्शन में निरन्तरता की कमी के चलते और बतौर आलराउंडर उनकी असफलता की वजह से उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी। लेकिन साल 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में विजेता भारतीय टीम के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बने थे। मौजूदा समय में जडेजा भारतीय टीम के अहम सदस्य हैं और कप्तान के लिए सभी फॉर्मेट में चहेते गेंदबाज़ हैं। तन्मय श्रीवास्तव हैरानी की बात है अंडर 19 वर्ल्डकप 2008 में तन्मय कप्तान विराट कोहली से भी ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ थे। वास्तव में वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। 6 मैचों में 52 के औसत से तन्मय ने 262 रन बनाये थे। तन्मय काफी प्रतिभावान खिलाड़ी थे लेकिन बड़े स्तर पर वह मौका नहीं पा सके। वर्तमान समय में वह यूपी की तरफ से खेलते हैं। तरुवर कोहली यूँ तो तरुवर कोहली मध्यक्रम के बल्लेबाज़ हैं, लेकिन अंडर-19 वर्ल्डकप में उन्होंने टीम इंडिया की तरफ से सलामी बल्लेबाज़ी की थी। टूर्नामेंट में कोहली ने 3 पचासे भी जड़े थे। 43 के करीब औसत से तरुवर ने 218 रन बनाये थे। मौजूदा समय में वह पंजाब की तरफ से खेल रहे हैं। उनकी फॉर्म उतनी ठीक नहीं रही है, ऐसे में उन्हें अभी टीम अपनी जगह पक्की करनी है। अभिनव मुकुंद अभिनव मुकुंद का नाम भारतीय क्रिकेट में काफी जाना पहचाना है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने तमिलनाडु, दक्षिण क्षेत्र, भारत ए और शेष भारत के लिए काफी रन बनाये हैं। मुकुंद को भारतीय टीम में साल 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में खेलने को मिला था। लेकिन खराब फॉर्म के बाद उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। मुकुंद का इस साल घरेलू स्तर पर प्रदर्शन अच्छा रहा है। ऐसे में वह लम्बे प्रारूप में टीम में दोबारा जगह पा सकते हैं। साल 2008 के अंडर 19 वर्ल्डकप में मुकुंद उन तीन खिलाड़ियों में से एक हैं। जिन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला था। श्रीवत्स गोस्वामी श्रीवत्स गोस्वामी साल 2008 के वर्ल्डकप में भारतीय टीम के विकेटकीपर थे। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने 6 पारियों में 152 रन भी बनाये थे। उसके बाद उन्हें आईपीएल में आरसीबी से खेलने का मौका मिला था। आईपीएल में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था। उन्हें विराट कोहली, सुरेश रैना, रोहित शर्मा और रविन्द्र जडेजा के बजाय अंडर-23 प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट चुना गया था। लेकिन गोस्वामी का करियर लगातार अच्छा नहीं चला और वह बड़े स्तर पर मौका नहीं पा सके। फ़िलहाल वह बंगाल की तरफ से खेलते हैं। मनीष पाण्डेय मनीष पाण्डेय के लिए साल 2008 यादगार नहीं रहा था। उन्हें अंडर 19 वर्ल्ड कप में निचले क्रम पर बल्लेबाज़ी का मौका मिला था। पहले सीजन में वह मुंबई इंडियंस में थे बाद में 2009 में वह आरसीबी में आये। जहां वह आईपीएल में शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज़ बने। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कर्नाटक की तरफ से खेलने वाले नैनीताल में पैदा हुए इस क्रिकेटर को आईपीएल में पुणे वारियर और अब कोलकाता की तरफ खेलने का मौका मिला है। वह लगातार अच्छा खेल रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया गया है। सौरभ तिवारी सौरभ तिवारी साल 2008 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में अपने प्रदर्शन के दम पर प्रतिभाशली खिलाड़ी के रूप में सामने आये थे। लेकिन वह खराब फॉर्म की वजह से खुद को बड़े स्तर पर साबित नहीं कर सके। हालांकि उन्होंने आईपीएल में मुंबई की तरफ से 2010 में शानदार खेल दिखाया था। जिसके बाद उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया गया था। जहां उन्होंने तीन मैच में से 2 पारियों में 49 रन बिना आउट हुए बनाये थे। हालांकि उसके बाद उन्हें टीम में दोबारा मौका नहीं मिला। मौजूदा वक्त में वह झारखंड टीम के कप्तान हैं। लेकिन उन्हें राइजिंग पुणे ने आईपीएल 2017 की नीलामी के लिए रिलीज़ कर दिया है। इक़बाल अब्दुल्ला अंडर 19 वर्ल्डकप में इक़बाल अब्दुला भारत के बेहतरीन गेंदबाज़ थे। उन्होंने 13 के औसत से 10 विकेट लिए ते। मुंबई रणजी टीम के नियमित सदस्य रहे अब्दुल्ला इस साल केरल की तरफ से खेले हैं। आईपीएल में अब्दुला केकेआर की तरफ से लम्बे समय तक खेले हैं उसके बाद वह आरसीबी में गये। जहां वह टीम के नियमित सदस्य रहे हैं। प्रदीप संगवान साल 2008 के वर्ल्डकप में प्रदीप सांगवान एकमात्र भारतीय गेंदबाज़ थे, जिन्होंने टूर्नामेंट में 5 विकेट लिए थे। जिसको देखते हुए आईपीएल 2008 में दिल्ली डेयरडेविल्स ने विराट की जगह उन्हें खरीदा था। वह दिल्ली टीम के नियमित सदस्य रहे हैं। आईपीएल में वह दिल्ली, कोलकाता और गुजरात लायंस के लिए खेल चुके हैं। साल 2013 के आईपीएल में उनके ड्रग के आरोप में 18 महीने का बैन झेलना पड़ा था। हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ वार्मअप मैच में वह भारत ए में शामिल किये गये थे। सिद्धार्थ कौल सिद्धार्थ कौल घरेलू स्तर पर पंजाब के लिए खेलते हुए खूब विकेट ले चुके हैं। उन्होंने अंडर 19 वर्ल्डकप में 5 मैचों में 10 विकेट लिए थे। उनके अंदर राष्ट्रीय टीम में खेलने की क्षमता है। हालांकि उन्हें चयनकर्ताओं ने तवज्जो नहीं दिया है। यद्यपि वह पंजाब के लिए लगातार खेलते रहे हैं। आईपीएल में दिल्ली, पंजाब और हैदराबाद फ्रैंचाइज़ी के लिए वह खेल चुके हैं। अजितेश अर्गल साल 2008 वर्ल्डकप में भारतीय जीत की चाभी थे अजितेश उन्होंने फाइनल मैच में 7 रन देकर 2 विकेट लिए थे। जिनमें रिली रोस्सो और पीटर मलन शामिल थे। लेकिन 9 साल के दरम्यान फाइनल मैच का प्लेयर ऑफ़ द मैच अजितेश बड़ौदा की तरफ अभी तक मात्र 19 प्रथम श्रेणी मैच ही खेल पाया है। मौजूदा समय में वह वड़ोदरा में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में हैं। डी शिवकुमार अभिनव मुकुंद की तरह ही डी शिवकुमार मौके की कमी के चलते ही अंडर 19 वर्ल्डकप में एक भी मैच में नहीं खेले थे। मौजूदा समय में वह आन्ध्र प्रदेश के नियमित सदस्य हैं। 42 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में उनके नाम 133 विकेट हैं। पेरी गोयल पेरी गोयल विश्वकप विजेता टीम के तीसरे ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नही मिला था। उसके बाद वह अपनी घरेलू टीम पंजाब की तरफ से भी नहीं खेल पाए। जिसके बाद उन्होंने अपना करियर मैनेजमेंट में बना लिया। मौजूदा समय में वह रियल एस्टेट कंपनी आरएसजी ग्रुप के डायरेक्टर हैं। नेपोलियन आइंस्टीन अपने नाम की वजह से ये क्रिकेटर चर्चा का विषय बन गया था। अपने नाम की सच्चाई वह कुछ इस तरह बताते हैं, “मेरे दादा वैज्ञानिक थे। उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टीन को चिठ्ठी लिखी थी। जिसका जवाब भी आया था। मेरी माँ भौतिक विज्ञान की अध्यापिका थीं। इसलिए मेरा नाम आइंस्टीन पड़ा। मेरे पापा का नाम नेपोलियन था। क्योंकि हम भगवान में भरोसा नहीं रखते हैं, इसलिए हमने कृष्ण और राम के बजाय महान नेपोलियन को अपने नाम के साथ जोड़ लिया।” नेपोलियन ने साल 2008 के बाद से सिर्फ तीन मैचों में तमिलनाडु की तरफ से खेले थे। साल 2014 में उन्होंने अपना आखिरी मैच खेला था। तमिलनाडु क्रिकेट को फॉलो करने वाले लोगों से पूछने पर पता चला की वह आजकल कहाँ हैं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।