रणजी ट्रॉफी 2017-18 में 6 पूर्वोत्तर राज्यों की एक टीम बनाने का बीसीसीआई से अनुरोध

रणजी ट्रॉफी 2017-18 शुरू होने में एक महीने से कुछ थोड़ा अधिक समय बचा है और पूर्वोत्तर के छह राज्यों ने बीसीसीआई में प्रशासकों की समिति को सभी 6 राज्यों को मिलाकर एक रणजी टीम मैदान में उतारने की गुजारिश की है। पूर्वोत्तर क्रिकेट राज्य क्रिकेट संघ के संयोजक नबा भट्टाचार्य ने कहा कि उनके प्रतिनिधि 8 सितम्बर को दिल्ली में सीओए से इस बारे में बात करने के लिए मिलेंगे।

भट्टाचार्य ने कहा "बीसीसीआई ने रणजी कार्यक्रम घोषित कर दिया और एक बार फिर नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को लोढ़ा समिति के एक राज्य एक वोट के फॉर्मूले के बाद भी नजरअंदाज कर दिया गया। हम यह नहीं कह रहे हैं कि अलग-अलग राज्य के रूप में खेलेंगे लेकिन कहीं से शुरुआत होनी चाहिए। नॉर्थ-ईस्ट स्टेट क्रिकेट एशोसिएशन के प्रतिनिधि सीओए से मिलकर संयुक्त टीम उतारने का प्रस्ताव रखेंगे। हमारे पास हर राज्य से अच्छे खिलाड़ी हैं जिससे एक टीम बनाई जा सकती है। अभी एक महीना बाकी है। अगर वे 28 टीम रख सकते हैं, तो हमें और बिहार को क्यों नहीं रखकर 30 टीम कर दें।"

गौरतलब है कि पिछले 80 वर्षों से रणजी ट्रॉफी भारत का प्रीमियर टूर्नामेंट है और इसमें नॉर्थ-ईस्ट राज्यों से एक भी राज्य नहीं आया। त्रिपुरा वहां से आने वाली पहली रणजी टीम है। त्रिपुरा ने 1985-86 में पहली बार रणजी खेला था, इसके बाद 2002-03 में असम की टीम आई।

लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुसार नॉर्थ-ईस्ट के 6 राज्यों को बोर्ड का पूर्ण सदस्य बनाना चाहिए। इसमें अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम और मिजोरम है। बीसीसीआई ने नए रणजी सत्र के लिए टीमों की घोषणा कर दी है लेकिन इसमें इन राज्यों का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है। इसमें 28 टीमों को 7-7 के हिसाब से चार ग्रुप में बांटा गया है। नागालैंड के दिमापुर में स्टेडियम भी है, अगर इन राज्यों की टीम बनाई जाती है, तो मैच वहां आयोजित कराए जा सकते हैं।